व्लादिमीर पुतिन: रुस की राजनीति में शक्ति, सशक्तिकरण और विवाद का युग

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं व्लादिमीर पुतिन के बारे में। अब हम आपसे व्लादिमीर पुतिन के बारे में बात करें तो व्लादिमीर पुतिन रुस के वर्तमान राष्ट्रपति हैं। व्लादिमीर पुतिन पिछले दो दशकों से अधिक समय से रुस की राजनीति में प्रमुख व्यक्ति रहे हैं।

व्लादिमीर पुतिन ने 1999 में रुस के प्रधानमंत्री के रुप में राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उसके बाद 2000 में व्लादिमीर पुतिन पहली बार रुस के राष्ट्रपति बने थे। व्लादिमीर पुतिन ने 2000 से 2008 तक राष्ट्रपति पद को संभाला था।

फिर 2008 से 2012 तक व्लादिमीर पुतिन रुस के प्रधानमंत्री बने थे। व्लादिमीर पुतिन 2012 में फिर से रुस के राष्ट्रपति बने थे। तभी से व्लादिमीर पुतिन राष्ट्रपति पद पर बने हुए हैं।

उनका जन्म 7 अक्टूबर 1952 को सोवियत संघ के लेनिनग्राद में हुआ था। व्लादिमीर पुतिन केजीबी के अधिकारी रहे हैं और सोवियत संघ के विघटन के पश्चात्‌ रुसी राजनीति में तेज़ी से आगे बढ़े रहे हैं।

व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में रुस ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मज़बूत की हैं। व्लादिमीर पुतिन ने कई विवादास्पद नीतियाँ भी अपनाई हैं। इनमें क्रीमिया पर कब्जा और पश्चिमी देशों के साथ तनाव शामिल हैं।

व्लादिमीर पुतिन को एक कठोर नेता के रुप में देखा जाता हैं। व्लादिमीर पुतिन रुस की शक्ति और प्रभुता को बढ़ाने के लिए कार्य करते हैं। व्लादिमीर पुतिन के शासनकाल में रुस में राजनीतिक विरोधियों पर सख्त कार्रवाई और मानवाधिकारों पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे व्लादिमीर पुतिन की राजनीति के बारे में।

व्लादिमीर पुतिन की राजनीति- Vladimir Putin ki politics

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं व्लादिमीर पुतिन की राजनीति के बारे में। अब हम आपसे व्लादिमीर पुतिन की राजनीति के बारे में बात करें तो व्लादिमीर पुतिन की राजनीति को अधिनायकवादी, राष्ट्रवादी और सत्तावादी के रुप में दर्शाया जाता हैं।

Vladimir Putin ki politics

व्लादिमीर पुतिन की राजनीतिक शैली और नीतियाँ रुस की ताकत, प्रभुता और स्थिरता बनाए रखने पर केंद्रित होती हैं। व्लादिमीर पुतिन की राजनीति के प्रमुख पहलुओं को निम्नलिखित बिंदुओं में साझा जाता हैं:-

केंद्रीकृत सत्ता

व्लादिमीर पुतिन ने रुस में राजनीतिक और आर्थिक सत्ता को केंद्रीकृत किया हैं। व्लादिमीर पुतिन के शासनकाल के दौरान, रुस में लोकतांत्रिक संस्थानों और विपक्षी दलों को कमज़ोर किया हैं।

अधिकतर जरुरी फैसले व्लादिमीर पुतिन और उनके करीबी सलाहकारों द्वारा किए जाते हैं। साथ ही रुस में राजनीतिक विरोधियों पर भी कठोर कार्रवाई की जाती हैं।

राष्ट्रवाद

रुसी राष्ट्रवाद की एक मज़बूत धारा पुतिन की राजनीति हैं। व्लादिमीर पुतिन रुस की पुरानी महाशक्ति की स्थिति को बहाल करने का प्रयास करते हैं। इसी संदर्भ में व्लादिमीर पुतिन ने सोवियत संघ के पतन को रुस की “सबसे बड़ी त्रासदी” बताया हैं। रुस की सुरक्षा और प्रभुता को कायम रखने के कारण पश्चिमी देशों से उनके संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहते हैं।

विदेश नीति

व्लादिमीर पुतिन की विदेश नीति का फोकस रुस के प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाने और पश्चिमी देशों विशेषकर अमेरिका और यूरोपीय संघ से प्रतिस्पर्धा करने पर सबसे ज्यादा रहा हैं।

2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने और पूर्वी यूक्रेन में चल रहे युद्ध में रुस की भूमिका उनके विदेशी रणनीतिक उद्देश्यों का एक उदाहरण हैं। व्लादिमीर पुतिन ने सीरिया में असद सरकार का समर्थन करने के बाद मध्य-पूर्व में भी रुस की भूमिका को मज़बूत किया हैं।

आर्थिक नीतियाँ

रुस की अर्थव्यवस्था में स्थिरता व्लादिमीर पुतिन के शुरुआती शासनकाल में आई। रुसी अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियाँ पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों और आंतरिक भ्रष्टाचार के कारण आई हैं। व्लादिमीर पुतिन के शासन में बड़े उद्योगपतियों और सरकार के बीच नजदीकी संबंध रहे हैं। इसे “ओलिगार्क सिस्टम” कहा जाता हैं।

लोकप्रियता और प्रचार

व्लादिमीर पुतिन की लोकप्रियता रुस में काफी हद तक मज़बूत बनी हुई हैं। सरकारी नियंत्रण वाले मीडिया का इस्तेमाल कर व्लादिमीर पुतिन ने अपने नेतृत्व की छवि को “रुस के सरंक्षक” के रुप में स्थापित किया हैं। पुतिन की छवि को सकारात्मक बनाए रखने में सरकारी मीडिया और प्रचार तंत्र महत्तवपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मानवाधिकार और स्वतंत्रता

व्लादिमीर पुतिन के शासन में मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल उठते रहे हैं। रुस में विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, और मानवाधिकारों कार्यकर्ताओं पर हमले और गिरफ्तारियाँ आम बात हैं।

व्लादिमीर पुतिन के आलोचकों का कहना हैं की व्लादिमीर पुतिन की सरकार लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को कुचल रही हैं। साथ ही रुस को एक अधिनायकवादी राज्य में बदल रही हैं।

रुसो-यूक्रेन युद्ध

2022 में रुस का आक्रमण यूक्रेन पर व्लादिमीर पुतिन की सबसे महत्तवपूर्ण और विवादास्पद कार्रवाइयों में से एक हैं। इन सब ने वैश्विक स्तर पर उन्हें कठोर आलोचना के घेरे में ला खड़ा किया हैं।

साथ ही रुस पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का दौर आरम्भ हुआ। इन सब के बावजूद, व्लादिमीर पुतिन रुस की सुरक्षा और भौगोलिक हितों की रक्षा के रुप में देखते हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे व्लादिमीर पुतिन ने रुस में बदलाव के बारे में।

व्लादिमीर पुतिन ने रुस में बदलाव- Vladimir Putin ne russia mein badlav

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं व्लादिमीर पुतिन ने रुस में बदलाव के बारे में। अब हम आपसे व्लादिमीर पुतिन ने रुस में बदलाव के बारे में बात करें तो व्लादिमीर पुतिन ने रुस में अपने नेतृत्व के दौरान कई महत्तवपूर्ण बदलाव किए हैं।

Vladimir Putin ne russia mein badlav

इन सब का असर रुस की आंतरिक राजनीति, अर्थव्यवस्था और वैश्विक संबंधों पर पड़ा हैं। यहाँ कुछ प्रमुख बदलाव निम्नलिखित हैं:-

राजनीतिक स्थिरता और केंद्रीकरण

रुस में राजनीतिक सत्ता का केंद्रीकरण पुतिन के नेतृत्व में हुआ हैं। व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्रपति के अधिकारों को बढ़ाया और क्षेत्रीय गर्वनरों की शक्तियों को सीमित किया हैं। व्लादिमीर पुतिन ने एक मज़बूत प्रशासनिक ढ़ांचा बनाया। इसमें विपक्ष पर नियंत्रण किया गया हैं। इससे रुस में राजनीतिक विरोध कमज़ोर हो गया हैं।

आर्थिक सुधार और ऊर्जा क्षेत्र पर ज़ोर

व्लादिमीर पुतिन ने अपने शुरुआती कार्यकाल में रूसी अर्थवस्था को स्थिर किया हैं। जो सोवियत संघ के पतन के पश्चात्‌ खराब स्थिति में थी। व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में रूसी अर्थवस्था ने एक नई दिशा पकड़ी।

इससे ऊर्जा क्षेत्र में बड़े सुधार किए गए थे। ऊर्जा क्षेत्र को रूस की अर्थवस्था का प्रमुख स्तंभ बनाया गया हैं। व्लादिमीर पुतिन ने सरकारी नियंत्रण में बड़ी ऊर्जा कंपनियों को एकीकृत किया हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य सशक्तिकरण

व्लादिमीर पुतिन ने रूसी सेना को आधुनिक और मज़बूत बनाने पर ज़ोर दिया हैं। व्लादिमीर पुतिन ने सैन्य बजट को बढ़ाया और हथियार प्रणालियों का आधुनिकीकरण किया हैं। 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया। इससे पुतिन के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में काफी तनाव बढ़ा। हाल के वर्षों में रुस ने पूर्वी यूरोप और सीरिया जैसे क्षेत्रों में अपने सैन्य हस्तक्षेप को बढ़ाया हैं।

ग्लोबल पॉलिसी और पश्चिम से संघर्ष

व्लादिमीर पुतिन ने रुस को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया था। व्लादिमीर पुतिन ने NATO और यूरोपीय संघ के प्रभाव का विरोध किया था। रूस और पश्चिमी देशों के बीच संबंधों में तनाव व्लादिमीर पुतिन की ग्लोबल नीति का प्रमुख हिस्सा बना।

संविधान संशोधन

पुतिन ने 2020 में एक संविधान संशोधन पारित किया था। इससे व्लादिमीर पुतिन 2036 तक रूस के राष्ट्रपति बने रहे सकते हैं। संविधान संशोधन ने राष्ट्रपति के कार्यकाल की सीमा को फिर से शून्य पर ला दिया हैं। इससे पुतिन लंबे समय तक सत्ता में बने रहने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

सत्ता पर कड़ी पकड़

व्लादिमीर पुतिन ने मीडिया न्यायपालिका और विपक्षी नेताओं पर कड़ा नियंत्रण कर रखा हैं। पुतिन ने कई प्रमुख विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कराया हैं। साथ ही विपक्षी नेताओं को निर्वासन में धकेला गया और स्वतंत्र मीडिया को पूरी तरह से दबाया गया हैं।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं व्लादिमीर पुतिन से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।

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