आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं चंद्र देव के बारे में। अब हम आपसे चंद्र देव के बारे में बात करें तो चंद्र देव को शांति, शीतलता और मन की स्थिरता के प्रतीक के रुप में पूजा जाता हैं।
हिंदू धर्म में चंद्र देव चंद्रमा के देवता हैं। चंद्र देव से “चंद्र” या “सोम” के नाम से जाना जाता हैं। चंद्र देव को ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों में से एक माना जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे चंद्र देव के बारे में।
चंद्र देव कौन हैं?- Chandra Dev kaun hain?
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं चंद्र देव के बारे में। अब हम आपसे चंद्र देव के बारे में बात करें तो हिंदू धर्म में चंद्र देव चंद्रमा के देवता हैं। चंद्र देव को “चंद्र” या “सोम” के नाम से जाना जाता हैं। उनको शांति, शीतलता और मन की स्थिरता के प्रतीक के रुप में पूजा जाता हैं।
चंद्र देव ग्रहों में से एक महत्तवपूर्ण स्थान रखते हैं और नवग्रहों में से एक माने जाते हैं। उनको रात्रि का सरंक्षक और भावनाओं तथा मनोबल का नियंत्रक माना जाता हैं। विशेष रुप से चंद्र देव की पूजा सोमवार को की जाती हैं। चंद्र देव को शीतलता और मानसिक शांति देने वाला देवता माना जाता हैं।
समुद्र मंथन के दौरान चंद्र देव अमृत प्राप्त करने वाले देवता थे। चंद्र देव का प्रभाव उनकी बहुमूल्य मणि के कारण बहुत शक्तिशाली माना जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे चंद्र देव के जन्म के बारे में।
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चंद्र देव का जन्म- Chandra Dev ka janm
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं चंद्र देव के जन्म के बारे में। अब हम आपसे चंद्र देव के जन्म के बारे में बात करें तो हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्र देव का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था। देवता और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन के दौरान अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र को मथा था।
समुद्र मंथन से कई रत्न और अमूल्य चीज़ें निकलीं थीं। इन चीज़ों में से चंद्र देव (सोम) एक थे। उनका रुप अति सुंदर और शीतल था। चंद्र देव अमृत के साथ प्रकट हुए थे।
उनको “सोम” भी कहते हैं क्योंकि सोम का अर्थ “चंद्रमा”और सोमरस के देवता माने जाते हैं। उनका जन्म शांति, सौम्यता और मानसिक शांति के प्रतीक के रुप में हुआ था। चंद्र देव जीवन में शीतलता, भावनात्मक संतुलन और रात्रि के वक्त की व्यवस्था को नियंत्रित करने वाले देवता माना जाता हैं।
उनका एक अन्य महत्तवपूर्ण संदर्भ ब्रह्मा के मानसपुत्र के रुप में आता हैं। अलग-अलग पुराणों में उनके जन्म और उनकी भूमिका के बारे में अनेकों कहानियाँ हैं। चंद्र देव की समुद्र मंथन वाली कथा सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे चंद्र देव की पौराणिक कथा के बारे में।
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चंद्र देव की पौराणिक कथा- Chandra Dev ki pauranik katha
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं चंद्र देव की पौराणिक कथा के बारे में। अब हम आपसे चंद्र देव की पौराणिक कथा के बारे में बात करें तो उनकी पौराणिक कथा बहुत ही ज्यादा रोचक और विविधापूर्ण हैं।
विशेष रुप से हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में चंद्र देव के जन्म, विवाह और उनके जीवन से संबंधित घटनाएँ वर्णित हैं। यहाँ पर कुछ पौराणिक कथाएँ निम्नलिखित हैं:-
चंद्र देव का जन्म (समुद्र मंथन)
उनका जन्म समुद्र मंथन से हुआ था। जब समुद्र मंथन के दौरान देवता और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था तब समुद्र मंथन से कई रत्न और अमूल्य वस्तुएँ निकली थीं।
इन सब चीज़ों में से चंद्र देव एक थे। वे अति सुंदर और शीतल थे। चंद्र देव का रुप अमृत से भी ज्यादा दिव्य था। उनके रुप में एक नया ग्रह और देवता प्रकट हुए। चंद्र देव को सोम और सोमरस के देवता के रुप में पूजा जाता हैं।
चंद्र देव और तारा की कहानी
उनका विवाह रोहिणी, प्रियदा और अन्य कन्याओं के साथ हुआ था। लेकिन चंद्र देव की एक और प्रसिद्ध कहानी तारा के साथ संबंधित हैं। तारा जो की ब्रह्मा के पुत्र ब्रहस्पति की पत्नी थी। एक दिन चंद्र देव ने तारा को अपने प्रेम में आकर्षित कर लिया था और तारा का अपहरण कर लिया था।
इसके कारण ब्रहस्पति काफी क्रोधित हुए और उन्होंगे चंद्र देव से तारा को वापस लाने की मांग की थी। चंद्र देव ने ब्रहस्पति को तारा को वापस कर दिया था। लेकिन तारा के गर्भ में पैदा हुए पुत्र का पालन-पोषण स्वयं चंद्र देव ने किया था। इसी कारण चंद्र देव की स्थिति और सम्मान में काफी गिरावट हुई थी।
चंद्र देव और उनकी कष्टपूर्ण स्थिति
भगवान शिव के अभिशाप के कारण चंद्र देव को एक कठिन स्थिति का सामना करना पड़ा था। एक समय शनि देव जी के साथ चंद्र देव ने एक विवाद में हिस्सा लिया था। शनि देव जी ने चंद्र देव को शाप दिया। इसके परिणामस्वरुप चंद्र देव की चमक काफी कम हो गई थी।
उनकी स्थिति में यह गिरावट “चंद्रमा के मंद होने” के रुप में देखी जाती हैं। इसे “चंद्र दोष” या “चंद्र के शाप” के रुप में जाना जाता हैं। इन सब के बाद उन्होंगे शिव जी की पूजा की और शिव जी को प्रसन्न किया। शिव जी ने चंद्र देव को आशीर्वाद दिया और चंद्र देव की स्थिति फिर से बहेतर हो गई थी।
चंद्र देव की पूजा
विशेष रुप से चंद्र देव की पूजा सोमवार के दिन की जाती हैं। उनकी मन की शांति, सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता हैं। चंद्र देव मन और भावनाओं के नियंत्रक माने जाते हैं।
इनकी पूजा करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा हासिल होती हैं। उनको शांतिपूर्वक और सौम्य स्वभाव वाला देवता माना जाता हैं। जो जीवन के उतार-चढ़ाव को संतुलित करने में मददगार रहता हैं।
आवश्यकता जानकारी:- शिव जी के भैरव की कथा।
निष्कर्ष- Conclusion
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