लोहड़ी: सूर्य की पूजा और खुशी का पर्व

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं लोहड़ी के पर्व के बारे में। अब हम आपसे लोहड़ी के पर्व के बारे में बात करें तो लोहड़ी का पर्व एक प्रमुख भारतीय पर्व हैं। यह पर्व विशेष रुप से उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में मनाया जाता हैं।

लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति के आसपास मनाया जाता हैं। हर वर्ष लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को होता हैं। यह पर्व सर्दियों के अंत और गर्मी के मौसम के आगमन का प्रतीक होता हैं।

मुख्य रुप से यह पर्व फसल की कटाई, सूर्य देव की पूजा और कृषि के महत्तव से संबंधित हैं। लोहड़ी का त्योहार न सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव हैं बल्कि यह पर्व प्रकृति, कृषि और सामूहिक खुशी का प्रतीक होता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे लोहड़ी के पर्व के बारे में।

लोहड़ी का पर्व कब आता हैं?- Lohri ka parv kab aata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं लोहड़ी के पर्व के बारे में। अब हम आपसे लोहड़ी के पर्व के बारे में बात करें तो हर वर्ष लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को मनाया जाता हैं।

Lohri ka parv kab aata hain

मुख्य रुप से लोहड़ी का पर्व पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। लोहड़ी का पर्व फसल की कटाई और मकर संक्रांति के आगमन का प्रतीक होता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे लोहड़ी के पर्व के महत्तव के बारे में।

लोहड़ी के पर्व का महत्तव- Lohri ke parv ka mahatva

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं लोहड़ी के पर्व के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे लोहड़ी के पर्व के महत्तव के बारे में बात करें तो लोहड़ी का त्योहार विशेष रुप से उत्तर भारत, पंजाब और हरियाणा में अधिक महत्तवपूर्ण हैं।

Lohri ke parv ka mahatva

यहाँ लोहड़ी के पर्व के महत्तव निम्नलिखित हैं:-

फसल की कटाई का उत्सव

यह पर्व नई फसल की कटाई के साथ जुड़ा हुआ हैं। लोहड़ी का पर्व किसान समुदाय के लिए खुशी का समय होता हैं। क्योंकि लोहड़ी के पर्व के दिन रबी की फसल काटकर भगवान का धन्यवाद करते हैं।

प्रकृति और सूर्य देव की पूजा

लोहड़ी के पर्व को सूर्य देव और अग्नि की आराधना के साथ मनाया जाता हैं। लोहड़ी का त्योहार सर्दियों के अंत और गर्मी की शुरुआत की और इशारा करता हैं।

सामाजिक और पारिवारिक मिलन

लोहड़ी के पर्व के दिन परिवार और समुदाय के लोग मिलकर अग्नि के चारों और घूमते हैं, गाने गाते हैं और पारंपरिक नृत्य करने लगते हैं। यह पर्व सामूहिकता और भाईचारे को बढ़ावा देता हैं।

खास व्यंजन और परंपराएँ

लोहड़ी के पर्व के दिन रेवड़ी, मूंगफली, तिल, गज़क और मक्की की रोटी व सरसों का साग खाया जाता हैं। ये भोजन सर्दियों में शरीर को गर्म और ऊर्जा से भरपूर रखने में मददगार रहता हैं।

नवजात और विवाहितों का स्वागत

जिस भी परिवार में नई शादी हुई हो या बच्चा पैदा हुआ हो तो उन परिवारों के लिए यह पर्व विशेष रुप से महत्तवपूर्ण होता हैं। उन सब के सम्मान में विशेष आयोजन किए जाते हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे लोहड़ी का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?

लोहड़ी का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?- Lohri ka parv kyon manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं लोहड़ी के पर्व के मनाने के बारे में। अब हम आपसे लोहड़ी के पर्व के मनाने के बारे में बात करें तो कई सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक कारणों से लोहड़ी का पर्व मनाया जाता हैं।

Lohri ka parv kyon manaya jata hain

मुख्य रुप से लोहड़ी का पर्व फसल की कटाई, सर्दियों के अंत और प्रकृति व मानव जीवन के बीच के संबंध का उत्सव होता हैं। यहाँ लोहड़ी के पर्व के मनाने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:-

पौराणिक कथा

  • माता सती से संबंधित कथा:- एक मान्यता के अनुसार, लोहड़ी का पर्व माता सती को समर्पित होता हैं। ऐसा कहा जाता हैं की राजा दक्ष ने एक महायज्ञ का आयोजन किया हुआ था। इस महायज्ञ में राजा दक्ष ने शिव जी और माता सती को आमंत्रित नहीं किया हुआ था। जब माता सती बिना किसी आमंत्रण के उस महायज्ञ में पहुँची तब राजा दक्ष ने माता सती का बहुत अपमान किया था। इन सब के बाद माता सती ने अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे।
  • दुल्ला भट्टी से संबंधित कथा:- एक और मान्यता के अनुसार लोहड़ी का पर्व दुल्ला भट्टी से संबंधित हैं। दुल्ला भट्टी मुगल सम्राट अकबर के वक्त का एक काबिल योद्धा था। उस वक्त लड़कियों को गुलामी के लिए अमीर लोगों को बेचा जाता हैं। बाद में दुल्ला भट्टी ने एक योजना के अनुसार उन सब लड़कियों को बचाया था और उन सब लड़कियों की शादी कराई थी।
  • भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित कथा:- एक और मान्यता के अनुसार लोहड़ी का पर्व भगवान कृष्ण से संबंधित हैं। यह माना जाता हैं की द्वापरयुग में मकर संक्रांति के दिन कंस ने कृष्ण जी को मारने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को भेजा था। लेकिन कृष्ण जी ने खेल-खेल में ही लोहिता नामक राक्षसी का वध किया था।

फसल की कटाई और नई फसल का स्वागत

लोहड़ी के पर्व का मुख्य उद्देश्य नई फसलो का स्वागत करना और भगवान का धन्यवाद करना होता हैं। लोहड़ी का पर्व रबी की फसलों के पकने और कटाई के समय से संबंधित हैं। किसान इस दिन अपनी मेहनत की खुशियाँ मनाते हैं और अग्नि के जरिए प्रकृति का आभार व्यक्त प्रकट करते हैं।

सूर्य देव और ऋतु परिवर्तन का उत्सव

लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति के करीब आता हैं। यह पर्व सूर्य के उत्तरायण होने का समय होता हैं। इस पर्व को दिन-रात के संतुलन और सर्दियों के अंत का इशारा माना जाता हैं। लोहड़ी के पर्व के दिन सूर्य देव और अग्नि की पूजा की जाती हैं।

पारिवारिक और सामाजिक जुड़ाव

लोहड़ी का पर्व परिवार और समुदाय को एकजुट करने का मौका हैं। इस दिन लोग एक साथ आग जलाते हैं, उसके चारों और घूमकर पारंपरिक गाने गाया करते हैं और नृत्य भी किया करते हैं। यह पर्व सामूहिकता और खुशी का प्रतीक होता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे लोहड़ी के पर्व के मनाने के बारे में।

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लोहड़ी का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?- Lohri ka parv kaise manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं लोहड़ी के पर्व के मनाने के बारे में। अब हम आपसे लोहड़ी के पर्व के मनाने के बारे में बात करें तो उत्तर भारत में लोहड़ी के त्योहार को हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता हैं।

Lohri ka parv kaise manaya jata hain

लोहड़ी के पर्व को मनाने का तरीका पारंपरिक रीति-रिवाज़ों और सांस्कृतिक गतिविधियों से संबंधित होता हैं।

आग जलाने की परंपरा

इस पर्व के दिन की शाम को खुले स्थान पर लकड़ियाँ, उपले और अन्य जलने वाले पदार्थों से आग जलाई जाती हैं। यह आग सूर्य देव और प्रकृति को धन्यवाद देने के प्रतीक के रुप में मानी जाती हैं। इस दिन लोग अग्नि के चारों और घूमते हुए रेवड़ी, मूंगफली, तिल और गुड़ को अर्पित करते हैं। इसे “लोहड़ी डालना” भी कहते हैं।

पारंपरिक गाने और नृत्य

इस दिन लोग भांगड़ा और गिद्धा जैसे पारंपरिक नृत्य किए जाते हैं। दुल्ला भट्टी की कहानी पर आधारित लोकगीत भी गाए जाते हैं। इस दिन ढोल की थाप और गीतों के साथ वातावरण में उत्सव का रंग भरने लगता हैं।

खास व्यंजन

लोहड़ी के पर्व पर विशेष पारंपरिक भोजन बनाया जाता हैं। लोहड़ी के पर्व के दिन मक्के की रोटी और सरसों का साग, तिल की गज़क, मूंगफली और गुड़ से बनी मिठाइयाँ खाई जाती हैं। ये सब व्यंजन सर्दियों में शरीर को गर्म और पोषण प्रदान करने के लिए बनाए जाते हैं।

सामूहिक समारोह और मिलन

लोहड़ी का पर्व सामुदायिक और पारिवारिक मिलन का समय होता हैं। लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर लोहड़ी के पर्व का आनंद लेते हैं।

उपहार और सौगातों का आदान-प्रदान

एक-दूसरे को लोग तिल, गुड़, रेवड़ी और मिठाइयाँ उपहार में दिया करते हैं। यह पर्व समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक होता हैं।

बच्चों द्वारा लोहड़ी मांगने की परंपरा

बच्चे घर-घर जाकर “लोहड़ी मांगने” की परंपरा निभाया करते हैं। बच्चे लोकगीत गाते हैं और बदले में बच्चों को मूंगफली, रेवड़ी, तिल और पैसे दिए जाते हैं।

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निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं लोहड़ी के पर्व से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।

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