शीतलाष्टमी: माता शीतला की पूजा और बसौड़ा पर्व का महत्तव

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं शीतलाष्टमी के पर्व के बारे में। अब हम आपसे शीतलाष्टमी के पर्व के बारे में बात करें तो शीतलाष्टमी एक हिंदू पर्व हैं। इस पर्व को विशेष रुप से माता शीतला की पूजा के रुप में मनाया जाता हैं।

Contents
शीतलाष्टमी का पर्व कब आता हैं?- Sheetala Ashtami ka parv kab aata hain?शीतलाष्टमी के पर्व का महत्तव- Sheetala Ashtami ke parv ka mahatvaमाता शीतला की कृपा प्राप्तिशीतला माता की परंपरा और बासी भोजनरोगों से बचाव की परंपराप्राकृतिक और धार्मिक महत्तवपरिवार और समाज में समरसताशीतलाष्टमी का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?- Sheetala Ashtami ka parv kyon manaya jata hain?पौराणिक कथा और कारणमाता शीतला और ज्वरासुर की कथाचेचक और खसरा जैसी बीमारियों से बचावबासी भोजन का महत्तव (बसौड़ा परंपरा)धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएँशीतलाष्टमी का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?- Sheetala Ashtami ka parv kaise manaya jata hain?व्रत और पूजा विधिबासी भोजन (बसौड़ा) खाने की परंपरामंदिर और धार्मिक अनुष्ठानसंक्रामक रोगों से बचाव और स्वच्छतालोकगीत और सामाजिक समरसतानिष्कर्ष- Conclusion

शीतलाष्टमी को बसौड़ा भी कहते हैं। शीतलाष्टमी का पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे शीतलाष्टमी का पर्व कब आता हैं?

शीतलाष्टमी का पर्व कब आता हैं?- Sheetala Ashtami ka parv kab aata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं शीतलाष्टमी के पर्व के आने के बारे में। अब हम आपसे शीतलाष्टमी के पर्व के आने के बारे में बात करें तो शीतलाष्टमी को बसौड़ा भी कहते हैं।

Sheetala Ashtami ka parv kab aata hain

हर वर्ष होली के आठवें दिन चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतलाष्टमी मनाई जाती हैं। 2025 में शीतलाष्टमी का पर्व 22 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। अब हम आपसे चर्चा करेंगे शीतलाष्टमी के पर्व के महत्तव के बारे में।

शीतलाष्टमी के पर्व का महत्तव- Sheetala Ashtami ke parv ka mahatva

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं शीतलाष्टमी के पर्व के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे शीतलाष्टमी के पर्व के महत्तव के बारे में बात करें तो शीतलाष्टमी का पर्व शीतला माता को समर्पित हैं और इस पर्व को स्वास्थ्य, शुद्धता और रोगों से रक्षा करने के लिए मनाया जाता हैं।

Sheetala Ashtami ke parv ka mahatva

विशेष रुप से शीतलाष्टमी का पर्व चेचक, खसरा और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव के लिए महत्तवपूर्ण माना जाता हैं।

माता शीतला की कृपा प्राप्ति

शीतला माता को रोग नाशिनी देवी माना जाता हैं। विशेष रुप से शीतला माता चेचक, त्वचा रोग और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाने वाली देवी हैं। शीतला माता की पूजा करने से परिवार स्वस्थ रहता हैं।

शीतला माता की परंपरा और बासी भोजन

लोग इस दिन एक दिन पहले पका हुआ भोजन खाते हैं, जिसे ‘बसौड़ा’ कहते हैं। यह माना जाता हैं की माता शीतला ठंडा और बासी भोजन पसंद करती हैं। इसलिए ताज़ा गर्म भोजन पकाने से परहेज किया जाता हैं। बासी भोजन से पेट और त्वचा के रोगों से बचाव होता हैं।

रोगों से बचाव की परंपरा

शीतला माता की पूजा से संक्रामक रोगों से बचाव होता हैं। शीतलाष्टमी का पर्व स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाने का संदेश देता हैं। क्योंकि गर्मियों के मौसम में स्वच्छता और ठंडे भोजन से शरीर को फायदा मिलता हैं।

प्राकृतिक और धार्मिक महत्तव

शीतलाष्टमी के दिन घरों की सफाई कर घरों को पवित्र किया जाता हैं। माता शीतला की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती हैं और परिवार में सुख-शांति आती हैं।

परिवार और समाज में समरसता

शीतलाष्टमी के पर्व पर पूरे परिवार और समाज के लोग एक साथ भोजन करते हैं। इससे आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ता हैं। विशेष रुप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार में शीतलाष्टमी को बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे शीतलाष्टमी के पर्व के मनाने के बारे में।

शीतलाष्टमी का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?- Sheetala Ashtami ka parv kyon manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं शीतलाष्टमी के पर्व के मनाने के बारे में। अब हम आपसे शीतलाष्टमी के पर्व के मनाने के बारे में बात करें तो शीतलाष्टमी का पर्व माता शीतला की पूजा के रुप में मनाया जाता हैं।

Sheetala Ashtami ka parv kyon manaya jata hain

शीतलाष्टमी के दिन माता शीतला की उपासना करने के बाद रोगों, विशेष रुप से चेचक, खसरा और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव की प्रार्थना की जाती हैं।

पौराणिक कथा और कारण

माता शीतला और ज्वरासुर की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्वरासुर नामक राक्षस ने लोगों को अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित करना आरम्भ किया था। माता शीतला ने ज्वरासुर नामक राक्षस को पराजित कर लोगों को इन बीमारियों से बचाया था। तब से माता शीतला को रोगों की नाशिनी देवी के रुप में पूजा जाने लगा था।

चेचक और खसरा जैसी बीमारियों से बचाव

चेचक और खसरा जैसी बीमारियाँ प्राचीन काल में महामारी के रुप में फैलती थी। प्राचीन काल से ही माता शीतला की पूजा करने से इन रोगों से बचाव की मान्यता हैं। ठंडा और बासी भोजन खाने से शरीर को ठंडक मिलती हैं और गर्मियों में संक्रमण से बचाव होता हैं।

बासी भोजन का महत्तव (बसौड़ा परंपरा)

शीतला माता को ठंडा भोजन प्रिय माना जाता हैं। इसलिए शीतलाष्टमी के दिन एक दिन पहले बना हुआ भोजन खाया जाता हैं। बासी भोजन वाली परंपरा गर्मियों में भोजन को जल्दी खराब होने से बचाने और स्वच्छता बनाए रखने के लिए भी जरुरी हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएँ

शीतलाष्टमी के दिन महिलाएँ व्रत रखती हैं और शीतला माता के मंदिर में जाकर माता शीतला की पूजा-अर्चना करती हैं। गाय के गोबर से शीतला माता की मूर्ति बनाकर शीतला माता की पूजा की जाती हैं।

इस दिन लोग अपने घरों, गलियों और आस-पास की जगहों को साफ करते हैं ताकि बीमारियों को रोका जाए। अब हम आपसे चर्चा करेंगे शीतलाष्टमी के पर्व के मनाने के बारे में।

शीतलाष्टमी का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?- Sheetala Ashtami ka parv kaise manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं शीतलाष्टमी के पर्व के मनाने के बारे में। अब हम आपसे शीतलाष्टमी के पर्व के मनाने के बारे में बात करें तो शीतलाष्टमी को बसौड़ा भी कहते हैं।

Sheetala Ashtami ka parv kaise manaya jata hain

मुख्य रुप से शीतलाष्टमी को माता शीतला की पूजा के लिए मनाया जाता हैं। भक्त इस दिन रोगों से रक्षा, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

व्रत और पूजा विधि

इस दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान किया जाता हैं। विशेष रुप से महिलाएँ शीतला माता का व्रत रखती हैं। इस दिन माता शीतला की मूर्ति या चित्र की पूजा की जाती हैं।

माता शीतला की पूजा में दूध, दही, हल्दी, अक्षत, जल, कुमकुम, गूलर के पत्ते और मीठा बासी भोजन अर्पित किया जाता हैं। माता शीतला को बासी भोजन चढ़ाने के बाद ही लोग स्वयं भोजन करते हैं।

बासी भोजन (बसौड़ा) खाने की परंपरा

शीतलाष्टमी के दिन ताज़ा भोजन बनाने की मनाही होती हैं। इस दिन पहले तैयार किए गए व्यंजन जैसे की पू‌ड़ी, दही, गुड़, बासी खिचड़ी, मीठे चावल, पकौड़े आदि खाए जाते हैं। यह माना जाता हैं की माता शीतला ठंडा और बासी भोजन पसंद करती हैं। इससे शरीर को ठंडक प्राप्त होती हैं और पाचन तंत्र ठीक रहता हैं।

मंदिर और धार्मिक अनुष्ठान

इस दिन भक्त शीतला माता के मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। विशेष रुप से शीतलाष्टमी का पर्व उत्तर-प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और बिहार में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। कई स्थानों पर गाय के गोबर से माता शीतला की मूर्ति बनाकर पूजा की जाती हैं।

संक्रामक रोगों से बचाव और स्वच्छता

लोग इस दिन घर, आंगन, मंदिर और गलियों की सफाई करते हैं। शीतलाष्टमी का पर्व स्वच्छता, और स्वास्थ्य को बनाए रखने के महत्तव को बताता हैं। क्योंकि गर्मियों में बीमारियाँ ज्यादा फैलती हैं।

लोकगीत और सामाजिक समरसता

कई जगहों पर तो महिलाएँ इस दिन शीतला माता के भजन और लोकगीत गाती हैं। परिवार और समाज के लोग एक साथ मिलकर भोजन करते हैं। इससे आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ता हैं।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं शीतलाष्टमी के पर्व से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर कर लें।

जानकारी को लाइक व कमेंट करने पर हमें प्रोत्साहन मिलेगा ताकि हम आपको बहेतर-से-बहेतर जानकारियाँ प्राप्त करवा सकें।

हम आपसे आशा करते हैं की हमारी दी हुई जानकारियों को प्राप्त करने के बाद आपको थो‌ड़ी संतुष्टि मिली होगी। हमारा उद्देश्य आपको घुमराह करना नहीं हैं बल्कि आप तक सही जानकारियाँ प्राप्त करवाना हैं।

Share This Article
मैं रोज़ाना की खबरों पर लिखने के लिए प्रेरित हूँ और भारत की सभी खबरों को कवर करता हूँ। मेरा लक्ष्य पाठकों को ताज़ा जानकारी प्रदान करना है, जो उन्हें समाचार की समझ और देशव्यापी घटनाओं की खोज में मदद करे।
2 Comments