सत्य का शोध करने निकले देश के पहले महात्मा की कहानी

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं फुले फिल्म के बारे में। अब हम आपसे फुले फिल्म के बारे में बात करें तो देश के पहले समाज सुधारक लेखक महात्मा ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी व समाज सुधारक सावित्री बाई फुले पर आधारित बॉलीवुड बायोपिक फिल्म फुले आज कई विवादों के बाद आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई हैं। फुले फिल्म में ज्योतिराव फुले की निडरता और समानता के लिए लड़ाई को बताती हैं।

हमारा भारत देश एक भावुक देश हैं। यहाँ धर्म और जाति के नाम पर लोगों को लड़ाना बड़ा ही आसान हैं। यह लड़ाई भविष्य में भी होगी, बस क्रांति की इस ज्योत को जलाए रखना। यही ज्योत आपको सही रास्ता दिखाएगी। इस फिल्म का संवाद आज और भी प्रासंगिक लगता हैं, जहाँ कश्मीर का पहलगाम का आतंकी हमला पूछकर हुआ हैं।

फुले फिल्म कहाँ से शुरु होती हैं?- Phule film kahan se shuru hoti hain?

129 मिनट की फुले फिल्म की कहानी शुरु होती हैं साल 1887 में पूना में फैले प्लेग से। इसमें सावित्रीबाई एक बच्चे को पीठ पर लादे मेडिकल कैंप की और बढ़ती हैं। वहीं से ही कहानी अतीत में जाती हैं। यहाँ ज्योतिबा फुले के पिता को यह पसंद नहीं हैं की वह अपनी पत्नी को शिक्षा दें।

Phule film kahan se shuru hoti hain

उस समाज में दोनों जहाँ लड़कियाँ को पढ़ाना पाप माना जाता हैं, वहाँ छुपकर एक ब्राह्माण के घर में पिछड़ी जाति की लड़कियों के लिए स्कूल चलाते हैं।

रुढ़ीवादी उच्च समाज जाति के ठेकेदार ज्योतिबा फुले का स्कूल तोड़ देते हैं, लेकिन इस कदम से ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई के कदम डगमगाते नहीं हैं।

वह अपना घर छोड़ देते हैं, लेकिन बच्चियों को पढ़ाने, समाज की कुरीतियों और कुप्रथाओं को समाप्त करने की और हमेशा अग्रसर रहते हैं। अंत में ज्योतिबा फुले को देश के पहल महात्मा की उपाधि दी जाती हैं।

जानिए छोरी 2 फिल्म के बारे में।

फुले फिल्म में किन बातों का रखा गया ध्यान?- Phule film mein kin baton ka rakha gya dhyan?

इस फिल्म के निर्देशक अनंत महादेवन ने कहा की किसी की बायोपिक बनाने का यही तरीका हैं।

Phule film mein kin baton ka rakha gya dhyan

फुले फिल्म में ज्योतिबा फुले ने वैसे ही क्रमबद्ध तरीके से फुले की जीवनी को बताया हैं। ज्योतिबा फुले का प्रयास अच्छा हैं क्योंकि ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले पर कम ही फिल्में बनी हैं।

कहाँ पर डगमगाती हैं फिल्म फुले?- Kahan par dagmagati hain film Phule?

स्कूल की किताबों में इतना जिक्र नहीं हैं की आज जो बातें सामान्य लगती हैं, वह कभी पाप मानी जाती थी। जैसे की फिल्म के निर्देशक अनंत खुद कहते हैं की वास्तविक जीवन में बहुत ड्रामा होता हैं, ऐसे में बायोपिक में अलग से ड्रामा डालने की आवश्यकता नहीं होती हैं, पर उसी ड्रामे को वह फिल्मी अंदाज में दिखाने से थोड़ा चूकते हैं।

Kahan par dagmagati hain film Phule

धीमी गति से ही सही, लेकिन इस फिल्म में निचली जाति के लोगों को सामान्य अधिकार दिलाने के लिए फुले का सत्यशोधक समाज का गठन करना, कुआं अपने घर में ही बनवाना ताकि पिछड़ी जाति के लोग वहाँ से बिना परेशानी के पानी भर सकें, शूद्र की बजाय दलित शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह और विधवा विवाह समेत कई मुद्दों का जिक्र होता हैं।

यह भी पढ़े:- केसरी 2 फिल्म के बारे में।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं फुले फिल्म से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। हमारी दी हुई जानकारी को प्राप्त करने के बाद फुले फिल्म के बारे में बहुत कुछ जान जायेंगे। लेकिन फिर भी आप एक बार फुले फिल्म को जरुर देखना क्योंकि इस फिल्म से आप सब को बहुत कुछ सिखने को मिलेगा।

अगर आपको हमारी दी हुई जानकारी पसंद आती हैं तो आप लाइक व कमेंट जरुर करना।

इससे हमारा उत्साह और भी बढ़ेगा ताकि हम आपको अच्छी फिल्मों के बारे में अच्छी तरीके से जानकारी दे पाएंगे। हमारा उद्देश्य आपको घुमराह करना नहीं हैं बल्कि आप तक सही जानकारी प्राप्त करवाना हैं।

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