आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं ग्राउंड जीरो फिल्म के बारे में। अब हम आपसे ग्राउंड जीरो फिल्म के बारे में बात करें तो बीएसएफ को केंद्र में रखकर बनी ग्राउंड जीरो फिल्म आज सिनेमा में रिलीज़ हुई हैं। इस फिल्म में बीएसएफ कमांडेंट नरेंद्र नाथ धर दुबे की कहानी हैं।
इन्होंने इस फिल्म में आतंकी गाजी बाबा को मारने के ऑपरेशन का नेतृत्व किया था। ग्राउंड जीरो फिल्म 2001 के श्रीनगर से शुरु होती हैं और बीएसएफ के बलिदान और आतंकवाद के विरुद्ध उनकी लड़ाई को दिखाती हैं।
ग्राउंड जीरो फिल्म क्यों देखनी चाहिए?- Ground Zero film kyon dekhne chahiye?
क्या आप कश्मीर में वर्दी का मतलब समझते हैं? इस फिल्म का संवाद न केवल झकझोरता हैं बल्कि वर्दी के पीछे के कई अनछुए पहलुओं की और ध्यान खींचता हैं।
धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर को जब भी आतंकियों ने नापाक करने का प्रयास किया तब भारतीय सेना, एयरफोर्स और खुफिया एजेंसियों ने उन्हें अंजाम तक पहुँचाया हैं।
ग्राउंड जीरो फिल्म ऐसे वक्त पर आई हैं जब देश पहलगाम हमले में मारे गए निहत्थे और निर्दोष पर्यटकों को लेकर गमगीन हैं, लेकिन ‘ग्राउंड जीरो’ फिल्म आशा जगाती हैं की हमारे जांबाज सैनिक अपनों के बलिदान को जाया नहीं जाने देंगे।
जानिए फुले फिल्म की कहानी के बारे में।
ग्राउंड जीरो फिल्म में किस की कहानी हैं?- Ground Zero film mein kis ki kahani hain?
इस फिल्म में सेना, इंटेलिजेंस विभाग, एयरफोर्स की जांबाजी को अनेक फिल्मों में कभी सच्ची तो कभी काल्पनिक कहानियों के माध्यम से समय-समय पर बताया गया हैं। सीमा प्रहरी कहे जाने वाले बीएसएफ को केंद्र में रखकर पहली बार यह फिल्म बनी हैं।
यह फिल्म बीएसएफ कमांडेंट नरेंद्र नाथ धर दुबे पर आधारित हैं। नरेंद्र नाथ धर दुबे ने इस फिल्म में आतंकी गाजी बाबा को मार गिराने वाले ऑपरेशन का नेतृत्व किया था।
बीएसएफ के पिछले 50 वर्षों में सबसे बहेतरीन ऑपरेशन के तौर पर यह मिशन दर्ज हैं। इस फिल्म में गाजी बाबा जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर और हरकत-उल-असार आतंकी संगठन का डिप्टी कमांडर था।
इसे 13 दिसंबर, 2001 को भारतीय संसद पर हुए हमले का मास्टरमाइंड माना जाता हैं। गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हुए हमले के पीछे यही आतंकी संगठन मौजूद था।
यह भी जानें:- छोरी 2 फिल्म के बारे में।
कहाँ से शुरु होती हैं ग्राउंड जीरो की कहानी- Kahan se shuru hoti hain Ground Zero ki kahani
इस कहानी की शुरुआत साल 2001 में श्रीनगर से होती हैं, जब पिस्टल गैंग का आतंक श्रीनगर में छाया हुआ हैं। नौजवान लड़कों को पैसों का लालच देकर बरगलाया जा रहा होता हैं। अचानक से वे पीठ पीछे आकर बीएसएफ कर्मियों को गोली मार देते हैं। इसमें करीब 70 जवान बलिदान दे चुके होते हैं।
इस फिल्म में आतंकी अपने संदेशों को कोड के माध्यम से भेजते हैं। इसमें बीएसएफ अधिकारी नरेंद्र को पिस्टल गैंग के मास्टरमाइंड को पकड़ने की जिम्मेदारी दी जाती हैं।
वह इस बात में विश्वास रखते हैं की असली जीत नौजवानों को गिरफ्तार करने में नहीं बल्कि बंदूक छुड़ाने में होती हैं। उसी दौरान जैश-ए-मोहम्मद भारतीय संसद पर हमला करता हैं। नरेंद्र अपने इनफॉर्मर की सहायता से गाजी बाबा तक पहुँचने में सफल होते हैं, लेकिन वो भागने में कामयाब होता हैं।
आवश्यक जानकारी:- केसरी 2 फिल्म के बारे में।
निष्कर्ष- Conclusion
ये हैं ग्राउंड जीरो फिल्म से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे उम्मीद करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। हमारी दी हुई जानकारी को प्राप्त करने के बाद आप ग्राउंड जीरो फिल्म के बारे में बहुत कुछ जान जायेंगे। लेकिन फिर भी आप इस फिल्म को एक बार जरुर देखना। क्योंकि इन सब फिल्मों से हमें बहुत कुछ सिखने को मिल सकता हैं।
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