ज्येष्ठ मास: गंगा अवतरण से लेकर निर्जला एकादशी तक

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं ज्येष्ठ मास के महीने के बारे में। अब हम आपसे ज्येष्ठ मास के महीने के बारे में बात करें तो ज्येष्ठ मास का महीना हिंदू पंचांग का तीसरा महीना होता हैं। ज्येष्ठ मास वैशाख मास के बाद और आषाढ़ मास से पहले आता हैं।

आमतौर पर यह महीना मई से जून के बीच में पड़ता हैं। ज्येष्ठ मास के महीने का समय उत्तर भारत में सबसे अधिक गर्मी वाला होता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे ज्येष्ठ मास कब आता हैं?

ज्येष्ठ मास कब आता हैं?- Jyeshtha maas kab aata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं ज्येष्ठ मास के महीने के आने के बारे में। अब हम आपसे ज्येष्ठ मास के महीने के आने के बारे में बात करें तो हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास का महीना आता हैं और यह महीना वैशाख के बाद और आषाढ़ से पहले आता हैं।

Jyeshtha maas kab aata hain

हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ मास का महीना तीसरा महीना होता हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह महीना मई से जून के बीच में आता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे ज्येष्ठ मास के महत्तव के बारे में।

ज्येष्ठ मास का महत्तव- Jyeshtha maas ka mahatva

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं ज्येष्ठ मास के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे ज्येष्ठ मास के महत्तव के बारे में बात करें तो हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास का महीना विशेष आध्यात्मिक और धार्मिक महत्तव का हैं।

Jyeshtha maas ka mahatva

ज्येष्ठ मास का महीना वर्ष का सबसे गर्म महीना होता हैं और इस दौरान किए गए पुण्य कार्यों का फल कई गुना बढ़कर प्राप्त होता हैं। ज्येष्ठ मास का महीना तप, सेवा, संयम और जल दान का प्रतीक होता हैं।

जल दान का विशेष महत्तव

ज्येष्ठ की तपती गर्मी में जल की आवश्यकता सबसे ज्यादा होती हैं। ज्येष्ठ महीने में प्यासे को पानी पिलाना, प्याऊ लगवाना, घड़ा दान करना अति पुण्यकारी माना जाता हैं।

पुण्य और सेवा का महीना

इस समय किए गए दान, सेवा, जप-तप का फल कई गुना मिलता हैं। इस महीने में बुजुर्गो, गरीबों और असहायों की सेवा विशेष फलदायी होती हैं।

व्रत और त्योहारों की महिमा

  • गंगा दशहरा:- गंगा दशहरा का पर्व ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता हैं। यह दिन मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का दिन होता हैं। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, पवित्र जल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता हैं। इससे पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।
  • निर्जला एकादशी:- निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती हैं। यह एकादशी बिना जल के उपवास करने वाली एकादशी होती हैं लेकिन सभी एकादशियों के बराबर पुण्य देती हैं। निर्जला एकादशी वर्ष की सबसे कठिन और पुण्यदायक एकादशी होती हैं। इस दिन बिना जल के पूरे दिन उपवास रखा जाता हैं।
  • वट सावित्री व्रत:- वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती हैं। इस दिन सुहागन स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।
  • शनि जयंती:- शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या को आती हैं। शनि जयंती भगवान शनि देव का प्रकटोत्सव हैं। इस दिन शनिदेव की मूर्ति को सरसों के तेल से स्नान कराकर पूजा करना अत्यंत शुभ होता हैं।
  • सावन की तैयारी:- ज्येष्ठ के अंत में लोग आने वाले श्रावण मास के व्रतों और शिव आराधना की तैयारी करते हैं।

शारीरिक और मानसिक तप का समय

यह समय गर्मी के कारण शरीर और मन पर नियंत्रण रखने का अभ्यास करने के लिए उत्तम माना गया हैं। संतों, तपस्वियों और साधकों के लिए यह समय विशेष साधना का काल होता हैं।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं ज्येष्ठ मास के महीने से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर कर लें।

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