गन्स एंड गुलाब्स के बाद फिर राजकुमार ने हाथ में उठाई बंदूक

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं मालिक फिल्म के बारे में। अब हम आपसे मालिक फिल्म के बारे में बात करें तो एक बार फिर से गंस एंड गुलाब्स की रिलीज़ के एक लंबे समय बाद राजकुमार राव गैंगस्टर बनकर पर्दे पर छाने की तैयारी में हैं। शुक्रवार को उनकी फिल्म मालिक थिएटर में रिलीज़ हुई हैं।

बॉक्स ऑफिस पर मारधांड़ और हिंसा से भरपूर फिल्मों की संख्या पिछले कुछ समय से बड़ी हैं। आने वाले दिनों में भी कई ऐसी फिल्में आएंगें। इसमें शामिल पुलकित निर्देशित फिल्म मालिक रिलीज़ हुई हैं।

कैसे एक खेत जोतने वाला बनता फिल्म में मालिक?- Kaise ek khet jotne wala banta film mein malik?

इस फिल्म की कहानी पिछले सदी के आठवें दशक के इलाहाबाद में रखी गई हैं। जब किसान बिंदेश्वर अपने बेटे दीपक को मालिक के पैर छूने के लिए कहता हैं, इसके खेत को जोतकर वह फसल उगाता हैं, दीपक मनाकर देता हैं। वह मालिक पैदा नहीं हुआ हैं, लेकिन बनना चाहता हैं।

Kaise ek khet jotne wala banta film mein malik

उसके पिता की फसल को जब शंकर सिंह उर्फ दद्दा के आदमी खराब करने के बाद उसे मारते हैं तब दीपक दद्दा के पास पहुँचकर सहायता माँगता हैं। दद्दा उसे अपनी सहायता स्वयं करने के लिए कहता हैं।

वह दद्दा के आदमी को मार देता हैं। यहीं से दीपक बन जाता हैं मालिक और अपराध की दुनिया में उतर आता हैं। विधायक बल्हार सिंह को लेकर व्यापारी चंद्रशेखर तक हर किसी को नाक में मालिक ने दम किया कर रखा हैं।

मालिक को खत्म करने के लिए बलहार तीन साल से सस्पेंडेंड एसपी प्रभु दास की पोस्टिंग इलाहाबाद में करवाता हैं। दूसरी तरफ मालिक तो विधानसभा का टिकट लेकर राजनीति में उतरने की तैयारी में हैं।

जानिए आँखों की गुस्ताखियाँ फिल्म की कहानी के बारे में।

शहंशाह के पोस्टर से लेकर मेकर्स ने इन चीज़ों पर दिया ध्यान- Shehanshah ke poster se lekar makers ne in cheezon par diya dhyan

इस फिल्म की कहानी, पटकथा और संवाद ज्योत्सना नाथ और पुलकित ने मिलकर लिखी हैं। कमज़ोर पिता के बेटे का बाहुबली बनना इस पर कई फिल्में पहले भी बनी हैं। ऐसे में कहानी के लिहाज़ में इसमें नयापन नहीं हैं, लेकिन पुलकित और ज्योत्सना ने दमदार संवादों और चुस्त स्क्रीनप्ले ने इसे मनोरंजक बनाया हैं। 80 का दशक एंग्री यंग मैन अभिताभ बच्चन की फिल्मों के लिए जाना जाता हैं।

Shehanshah ke poster se lekar makers ne in cheezon par diya dhyan

उस दौर को मालिक के अंदाज में दिखाने में पुलकित कामयाब होते हैं। राजकुमार और मानुषी के बीच रोमांटिक गाने को छोड़े, तब उनकी पकड़ निर्देशन पर फ्रेम की बारीकियों पर बनी रहती हैं।

बीच-बीच में सिनेमाघरों का बाहर चिपके शहंशाह के पोस्टर और दीवारों पर उनकी फिल्मों के लिखे डायलॉग की मूंछे हो तब उस दौर का सुर बनाए रखते हैं। पुलकित दीपक के पात्र में गहराई से नहीं जाते की कमज़ोर परिवार से होने के बावजूद वह इतना निडर कैसे हैं?

फुटबॉल खेलने वाला एक झटके में अपराधी बन जाता हैं और अपराध की दुनिया से बाहर आने की सोचता भी नहीं। पुलिस का पक्ष बेहद कमज़ोर हैं, जो सिर्फ बाहुबली और विधायक के अनुसार चलती हैं।

अनुज राकेश धवन का कैमरा वर्क कमाल हैं, विशेष रुप से एक्शन के दृश्यों में। अक्सर इस तरह की फिल्मों में हीरों की बार-बार हीरोइक एंट्री होती हैं, इसमें म्यूजिक बनता हैं, स्लो मोशन होता हैं, इन चीज़ों से पुलकित बचते हैं।

आवश्यक जानकारी:- कालीधर लापता फिल्म की कहानी के बारे में।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं मालिक फिल्म की कहानी से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। इस जानकारी से आपको मालिक फिल्म की कहानी के बारे में बहुत कुछ पता चल गया होगा।

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