आप जैसा बनने की कोशिश में पीछे छूटी कहानी

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं आप जैसा कोई फिल्म के बारे में। अब हम आपसे आप जैसा कोई फिल्म के बारे में बात करें तो आर माधवन और बॉलीवुड एक्ट्रेस फातिमा सना शेख की फिल्म आप जैसा कोई नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई हैं। आप इस फिल्म को घर बैठे भी देख सकते हैं। विवेक सोनी द्वारा निर्देशित ये फिल्म एक रोमांटिक ड्रामा हैं जो मॉर्डन जमाने की लव स्टोरी हैं। ये फिल्म 11 जुलाई से स्ट्रीम हुई हैं।

पहले युवाओं की प्रेम कहानी में नायक-नायिका के बीच अमीरी-गरीबी, जातपात, ऊंच-नीच जैसे मुद्दों को उठाया गया हैं। अभी फिल्ममेकरों की दिलचस्पी मैच्योर लव स्टोरी में बढ़ी हुई हैं, लेकिन उसमें भी ज्वलंत विषय भी उठाए जा रहे हैं। आप जैसा कोई में प्रेम की खोज के साथ महिलाओं को बराबरी का दर्जा और सम्मान देने और जीवन में दूसरा अवसर देने का मुद्दा भी उठाया हैं।

इसके लिए दो अलग-अलग परिवेश को आधार बनाया गया हैं। इसमें एक पात्र जमशेदपुर से ताल्लुक रखता हैं, जहाँ पर महिलाओं को घरेलू कामों तक सीमित रखने की रुढ़िवादी सोच होती हैं। उन महिलाओं के सपनों की कोई अहमियत नहीं हैं, वहीं दूसरे तरफ एक परिवार कोलकाता से हैं, जहाँ पर महिलाएँ अपने फैसले स्वयं लेती हैं।

क्या हैं “आप जैसा कोई” की कहानी?- Kya hain “Aap Jaisa Koi” ki kahani?

ये कहानी ऐसी हैं की जमशेदपुर में संस्कृत के अध्यापक 42 वर्षीय श्ररेणु त्रिपाठी अविवाहित हैं। वह अध्यापक शादी के लिए इच्छुक होते हैं। मेट्रोमोनियल साइट के जरिए कई लड़कियों से मिलते रहते हैं, लेकिन बात नहीं बनती हैं। उनका मित्र उन्हें डेटिंग ऐप पर जाने की सलाह देता हैं।

Kya hain _Aap Jaisa Koi” ki kahani

इसके बाद उसे कोलकाता की फ्रेंच की टीचर मधु बोस के परिवार की और से शादी का निमंत्रण आता हैं। ये दोनों एक-दूसरे से मिलना-जुलना शुरु कर देते हैं और एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं।

सगाई होने के दौरान अचानक कुछ ऐसा होता हैं, जिसके कारण श्रीरेणु का मधु के प्रति नज़रिया बदल जाता हैं। वहीं से रिश्तों में दरार आने लगती हैं।

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थोपे हुए से लगते हैं सामाजिक मुद्दे- Thope hue se lagte hain samajik mudde

नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई फिल्म में निर्देशक विवेक सोनी ने “आप जैसा कोई” के जरिए कुछ प्रासंगिक मुद्दों को उठाने की कोशिश की हैं। उनका यह प्रयास काफी सराहनीय हैं। उसके प्रस्तुतिकरण में वह चुक गए हैं।

Thope hue se lagte hain samajik mudde

पितृसत्तात्मक समाज को चुनौती देने वाले मुद्दे कहानी में स्वाभाविक लगने चाहिए थोपे हुए नहीं। यहीं पर ये थोपे हुए लगते हैं। इस फिल्म की शुरुआत में श्रीरेणु और मधु की मुलाकातें और बातें बहुत खुशनुमा लगती हैं।

बाद में फिल्म में टकराव के कारण सेक्स चैटिंग एप्स बनता हैं। वहीं से श्रीरेणु की संकुचित और मधु की बेकाकी और आधुनिक सोच में टकराव होने लगता हैं। यह टकराव तनावपूर्ण और दमदार नहीं लगता हैं।

श्रीरेणु को यह बात सहजता से स्वीकार लेता हैं की एक उम्र के बाद कोई भी लड़की वर्जिन नहीं होती हैं, लेकिन एप पर ल‌ड़की का बिंदास अंदाज से बात करना बर्दाश्त नहीं हैं।

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पुरानी फिल्म की कहानियों का मिश्रण?- Purani film ki kahaniyon ka mishran?

यहीं नहीं संस्कृत का शिक्षक होने के बावजूद भी उसकी उपयोगिता फिल्म में कहीं दिखती नहीं हैं। यह पहलु खटकता हैं। सही मायने में लेखक राधिका आनंद और जेहान हांडा की लिखी कहानी फिल्म ‘मिसेज’ और ‘राकी और रानी की प्रेम कहानी’ का मिश्रण नज़र आने लगती हैं।

Purani film ki kahaniyon ka mishran

मिसेज की तरह यहीं पर एक परिवार महिलाओं की आकांक्षाओं और महत्तवाकांक्षाओं का सम्मान नहीं करता हैं। उसके लिए महिलाएँ सिर्फ रसोई तक सीमित होती हैं।

वहीं दूसरा परिवार उम्र के दायरों को बिल्कुल भी नहीं मानता वह खुली हवा में सांस लेना पसंद करता हैं। उसकी यह स्वच्छंदता रुढ़िवादी परिवार को बिल्कुल भी पसंद नहीं आती हैं। वहीं पर लेकिन दोनों परिवारों के बीच टकराव नहीं दिखता हैं।

पहली बार फातिमा और माधवन की जोड़ी स्क्रीन पर एक साथ आई हैं। ये दोनों ही अच्छे खासे कलाकार हैं, लेकिन साथ आने पर उनकी केमिस्ट्री बिल्कुल भी नहीं जमती हैं। इन दोनों का उम्र, परिवेश अलग हैं, लेकिन पात्रों में वह समुचित तरीके से उभर नहीं पाया।

आवश्यक जानकारी:- कालीधर लापता फिल्म की कहानी के बारे में।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं आप जैसा कोई फिल्म से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। इस जानकारी से आपको आप जैसा कोई फिल्म के बारे में बहुत कुछ पता चल पाएगा।

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