आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं तारा और आकाश की फिल्म के बारे में। अब हम आपसे तारा और आकाश की फिल्म के बारे में बात करें तो जितेश ठाकुर और अलंकृता बोरा अभिनीत तारा और आकाश जीवन और मृत्यु से परे एक ऐसे ही प्रेम की पड़ताल करती हैं।
प्रेम कहानियाँ अमर होती हैं। यह फिल्म जितेश और अलंकृता की व्हिस्पर्स फ्रॉम एटरनिटी फिलम्स और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा समर्थित।
कई फिल्म फेस्टिवल से गुजरते हुए आखिरकार सिनेमाघरों में फिल्म तारा एंड आकाश: लव बियांड रेल्म्स को रिलीज़ का अवसर मिल गया हैं। इस प्रेम कहानी के मुख्य पात्र तारा और आकाश हैं। यह कहानी आम प्रेम कहानी से बिल्कुल अलग हैं, क्योंकि प्रेम दो ऐसे लोगों के बीच हैं, जो दो अलग दुनिया से हैं।
क्या हैं तारा और आकाश की कहानी?- Kya hain Tara aur Akash ki kahani?
अपनी दादी की मौत के बाद तारा अकेला अनुभव करती हैं। वह अपने माता-पिता को बिना बताए स्विट्ज़रलैंड अकेले घूमने चली जाती हैं। वह देवी आंटी के होमस्टे में रहती हैं। स्विट्ज़रलैंद आने की वजह प्रेम कहानी की एक किताब हैं, जिसने दादी के जाने के बाद तारा को संभाल रखा हुआ हैं।
उस किताब में स्विट्ज़रलैंड की जगहों का जिक्र हैं, जिसे देखने वह जाती हैं। वहाँ पर तारा की मुलाकात आकाश से हो जाती हैं। आकाश हर रोज़ एक जैसे कपड़े पहनता हैं, गहरी बातें करता हैं। तारा धीरे-धीरे उसके करीब आ जाती हैं, लेकिन फिर बाद में पता चलता हैं की आकाश तो इस दुनिया से हैं ही नहीं।
जानिए होमबाउंड फिल्म की कहानी के बारे में।
श्रीनिवास ने लिखी हैं कहानी- Shreenivas ne likhi hain kahani
इस फिल्म की कहानी निर्देशक श्रीनिवास ने लिखी हैं। उनकी कोशिश अच्छी हैं, फिल्म दूसरी प्रेम कहानियों से बिल्कुल अलग हैं, शायद इसलिए बेहद धीमी होने के बाद अच्छी लगती हैं।
रोशनी वाली दुनिया से आकाश धरती पर किस उद्देश्य के लिए आया हैं, वह जानने का मन करता हैं। कई प्रेम कहानी वाली फिल्मों का गवाह रहा हैं स्विट्ज़रलैंड इस फिल्म के हर फ्रेम को किसी खूबसूरत पेंटिंग की तरह सुंदर बनाता हैं।
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फिल्म के गाने भी शानदार- Film ke gane bhi shandar
अगर किसी के लिए भी बहुत प्यार हो तो पता हो की वो आपका नहीं हो सकता हैं तो कैसे समझाए खुद को…, इस कायनात को बयां करने के लिए अगर लफ्ज ही काफी होते तो हम भी शायद किसी किताब के पन्नों पर जी रहे किरदार होते…। ऐसे कई संवाद दिल को छू जाते हैं।
क्लाइमेक्स में किताब के पन्ने जैसे तारा के ख्यालों से भरते हैं, वह परियों की कहानी जैसा लगता हैं। तारा की बीमारी का जिक्र बिल्कुल सही हैं, अंत में उसको कहानी से ठोक से जोड़ा नहीं गया हैं, जो कंफ्यूजन पैदा करता हैं। अतीत सिंह की सिनेमैटोग्राफी बिल्कुल शानदार हैं।
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अपने किरदार में मासूम लगी अलंकृता- Apne kirdar mein masoom lagi alankrta
पहले कई फिल्में साथ कर चुके अमोल पालेकर और दीप्ति नवल को साथ देखने की इच्छा होती हैं। कहानी ऐसी हैं की दोनों के सीन एक साथ नहीं होते थे। इन दोनों अनुभवी कलाकारों का काम कम स्क्रीन स्पेस में बढ़िया हैं।
इस फिल्म के दोनों लीड जितेश और अलंकृता ने इस फिल्म का निर्माण नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर किया हैं।
उन्होंने दोनों जिम्मेदारी बखूबी निभाई हैं। अलंकृता बेहद मासूम लगी हैं, उन्होंने अपनी कॉस्ट्यूम तक खुद डिज़ाइन किए हैं, जो उन्हें तारा के पात्र के और भी करीब ले जाता हैं। जितेश बिना ज्यादा कुछ कहे, बहुत कुछ कह जाते हैं। हनुमंत की छोटी-सी भूमिका में बृजेंद्र काला का काम ठीक हैं।
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निष्कर्ष- Conclusion
ये हैं तारा और आकाश फिल्म से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। इस जानकारी से आपको तारा और आकाश फिल्म की कहानी से संबंधित हर प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त होंगी।
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