आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं आश्विन मास की पौराणिक कथाओं के बारे में। अब हम आपसे आश्विन मास की पौराणिक कथाओं के बारे में बात करें तो हिंदू पंचाग के अनुसार आश्विन महीना सातवां महीना होता हैं। आश्विन महीना आमतौर पर सितंबर और अक्टूबर के बीच आता हैं।
इस महीने की शुरुआत भाद्रपद महीने के बाद होती हैं। आश्विन मास का आरम्भ ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार लगभग सितंबर के मध्य से होता हैं। आश्विन मास अक्टूबर के मध्य तक चलता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे आश्विन महीने की अमावस्या के बारे में।
आश्विन महीने की अमावस्या- Aashvin mahina ki amavasya
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं आश्विन महीने की अमावस्या के बारे में। अब हम आपसे आश्विन महीने की अमावस्या के बारे में बात करें तो आश्विन महीने की अमावस्या को महालय अमावस्या या पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता हैं। आश्विन महीने की अमावस्या का विशेष महत्तव होता हैं।
इस दिन को पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए मनाया जाता हैं। आश्विन महीने की अमावस्या का दिन श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता हैं। श्राद्ध पक्ष आश्विन महीने की शुरुआत के बाद के पहले 15 दिन का होता हैं।
आश्विन महीने की अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और पूजा-अर्चना की जाती हैं। पितृ अमावस्या के कुछ प्रमुख महत्तव निम्नलिखित हैं:-
- पितरों का श्राद्ध और तर्पण:- पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा आश्विन अमावस्या को की जाती हैं। इस दिन लोग अपने पितरों को जल अर्पण करते हैं और पितरों के लिए पिंडदान करते हैं। आश्विन अमावस्या को पितरों को संतुष्ट करने और पितरों के आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर माना जाता हैं।
- महालय से नवरात्रि की शुरुआत:- पितृ अमावस्या के अगले दिन शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ होता हैं। शारदीय नवरात्रि को दुर्गा देवी के अवतरण का संकेत माना जाता हैं। शारदीय नवरात्रि के दिन के बाद माँ दुर्गा की आराधना के नौ दिन आरम्भ होते हैं।
- धार्मिक अनुष्ठान और दान:- आश्विन अमावस्या को पितरों के निमित्त दान-पुण्य का विशेष महत्तव होता हैं। इस दिन लोग गरीबों और ब्राह्माणों को भोजन कराते हैं और वस्त्र आदि का दान भी करते हैं।
पितृ अमावस्या को पूर्वजों की आत्मा की शांति और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्तवपूर्ण माना जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे आश्विन महीने के महत्तव के बारे में।
आश्विन महीने का महत्तव- Aashvin mahina ka mahatv
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं आश्विन महीने के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे आश्विन महीने के महत्तव के बारे में बात करें तो हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन महीना सातवां महीना होता हैं।
आश्विन महीने का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्तव हैं। आमतौर पर आश्विन महीना सितंबर-अक्टूबर के बीच आता हैं। आश्विन महीने के कुछ प्रमुख महत्तव निम्नलिखित हैं:-
नवरात्रि का पर्व
आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष में 9 दिन तक चलने वाला नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता हैं। नवरात्रि का समय देवी दुर्गा की पूजा और उपासना का हैं। नवरात्रि के दौरान लोग व्रत रखते हैं और माँ दुर्गा के नौ रुपों की पूजा करते हैं।
दशहरा
दशहरा का त्योहार नवरात्रि के बाद आता हैं। दशहरा का त्योहार भगवान राम की रावण पर विजय का प्रतीक होता हैं। दशहरा के त्योहार को असत्य पर सत्य की विजय के रुप में मनाया जाता हैं। दशहरा के त्योहार के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता हैं।
शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा आश्विन महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती हैं। शरद पूर्णिमा को बहुत शुभ माना जाता हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का विशेष महत्तव होता हैं। इस दिन लोग रात में चाँद की पूजा करते हैं। शरद पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं।
कार्तिक महीने की तैयारी
दीपावली से पहले आश्विन महीना आता हैं। आश्विन महीने के बाद ही कार्तिक महीना आरम्भ होता हैं। कार्तिक महीना दीपावली और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का समय हैं।
ऋतु परिवर्तन
आश्विन महीना शरद ऋतु का भी समय होता हैं। आश्विन महीने में मौसम गर्मी से बदलकर हल्की ठंड की और बढ़ने लगता हैं। आश्विन महीने को प्रकृति के संतुलन और बदलाव का भी समय माना जाता हैं।
महालक्ष्मी व्रत समाप्त
महालक्ष्मी व्रत समाप्त के दिन व्रत का समापन होता हैं। महालक्ष्मी के व्रत का समापन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता हैं। इसी दिन महालक्ष्मी व्रत समाप्त किया जाता हैं।
इसी प्रकार से आश्विन मास धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्तवपूर्ण माना जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे आश्विन महीने की अमावस्या के महत्तव के बारे में।
आश्विन महीने की अमावस्या का महत्तव- Aashvin mahina ki amavasya ka mahatv
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं आश्विन महीने की अमावस्या के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे आश्विन महीने की अमावस्या के महत्तव के बारे में बात करें तो आश्विन महीने की अमावस्या का अधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्तव हैं।
आश्विन अमावस्या को महालय अमावस्या या पितृ अमावस्या भी कहा जाता हैं। पितृ अमावस्या को पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए समर्पित किया जाता हैं। आश्विन अमावस्या के प्रमुख महत्तव निम्नलिखित हैं:-
पितरों का श्राद्ध और तर्पण
पितृ अमावस्या के दिन लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा संतुष्ट होती हैं और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। आश्विन अमावस्या को पितृ पक्ष का समापन माना जाता हैं। पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से शुरु होकर आश्विन अमावस्या तक चलता हैं।
पितृ दोष निवारण
जो भी व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित होते हैं। उनके लिए पितृ अमावस्या का दिन विशेष रुप से महत्तवपूर्ण होता हैं। पितृ अमावस्या के दिन पितरों को संतुष्ट करने से पितृ दोष का निवारण माना जाता हैं। इससे जीवन में आने वाली बाधाओं और समस्याओं से मुक्ति मिलती हैं।
महालय का महत्तव
पितृ अमावस्या के बाद शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ होता हैं। शारदीय नवरात्रि को माँ दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन का संकेत माना जाता हैं। नवरात्रि से लोग नवरात्रि की तैयारियाँ आरंभ करते हैं और देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना भी करते हैं।
दान-पुण्य
पितृ अमावस्या के दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्तव होता हैं। इस दिन लोग ब्राह्माणों और गरीबों को भोजन, वस्त्र, अनाज और अन्य सामग्रियों का दान करते हैं। इस दिन को पवित्र और शुभ माना जाता हैं।
धार्मिक अनुष्ठान
पितृ अमावस्या के दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्तव हैं। पवित्र नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती हैं और पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान भी किए जाते हैं। इसमें देवी-देवताओं के साथ पितरों की आराधना भी की जाती हैं।
पारिवारिक एकता
पितृ अमावस्या के दिन लोग अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर पूर्वजों की पूजा करते हैं। इससे परिवार में एकता और आपसी प्रेम बढ़ने लगता हैं।
निष्कर्ष- Conclusion
ये हैं आश्विन मास से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।
जानकारी को लाइक व कमेंट करने पर हमें प्रोत्साहन मिलेगा ताकि हम आपको बहेतर-से-बहेतर जानकारियाँ प्राप्त करवा सके।
हम आपसे आशा करते हैं की हमारी दी हुई जानकारी को प्राप्त करने के बाद आपको थोड़ी संतुष्टि मिली होगी। हमारा उद्देश्य आपको घुमराह करना नहीं हैं बल्कि आप तक सही जानकारी प्राप्त करवाना हैं।
आश्विन महीना हमारे हिंदू धर्म का बहुत बड़ा महीना होता हैं। आश्विन महीने में बहुत बड़े-बड़े त्योहार आते हैं और ठंड का आगमन भी इसी महीने में होता हैं।
हमारे हिंदू धर्म में आश्विन मास का बहुत बड़ा महत्तव हैं। आश्विन मास में ही शरद नवरात्रि और दशहरे जैसे त्योहार आते हैं। आश्विन मास की पूर्णिमा के बाद कार्तिक मास का आगमन होता हैं। कार्तिक मास के आगमन के साथ शरद ऋतु का भी आगमन होता हैं।