बाप-बेटे की लड़ाई के बीच माँ निकली हीरो

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं सरजमीन फिल्म के बारे में। अब हम आपसे सरजमीन फिल्म के बारे में बात करें तो जियो हॉटस्टार पर 25 जुलाई से पृथ्वीराज सुकुमारन काजोल और इब्राहिम अली खान स्टारर सरजमीन स्ट्रीम हो रही हैं।

यह कहानी एक ऐसे परिवार की हैं जिसमें एक मिलिट्री मैन को अपने बेटे और देश के बीच किसी एक को चुनना होता हैं। वहीं दूसरी तरफ माँ बाप-बेटे के रिश्ते को अपनी भावनाओं से संभालने का प्रयास करती हैं।

‘सरजमीन से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं’, ‘अपनों के खून से बढ़कर कुछ नहीं’, देखा जाए तो इन दोनों डायलॉग्स के बीच की कहानी हैं धर्मा प्रोडक्शन की सरजमीन।

इस फिल्म में देशभक्ति पर आधारित फिल्मों की बॉलीवुड में कोई कमी नहीं हैं और यह एक ऐसा विषय हैं जिस पर फिल्में बनती रहेंगी क्योंकि दर्शक भी इन्हें ही पसंद करते हैं, विशेष रुप से मुद्दा अगर भारत और पाकिस्तान के बीच का हो।

अधिकतर हमने फिल्मों में देश और प्यार के बीच की जंग देखी हैं, लेकिन इस बार कहानी अलग और नई हैं।

क्या हैं सरजमीन की कहानी?- Kya hain Sarazmeen ki kahani?

इस फिल्म में पृथ्वीराज सुकुमारन कर्नल विजय मेनन का किरदार निभाते हैं जो अपने देश के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ काजोल ने उनकी पत्नी मेहर का किरदार निभाया हैं और इब्राहिम अली खान ने उनके बेटे हरमन का।

Kya hain Sarazmeen ki kahani

फिल्म की कहानी की शुरुआत विजय द्वारा पाकिस्तान के एक मुख्य आतंकी को पकड़ने से होती हैं और इस सफलता के लिए उनकी पत्नी मेहर एक पार्टी का आयोजन करती हैं।

इस पार्टी में मेहर अपने बेटे को अपने पिता के लिए कुछ बोलने के लिए कहती हैं लेकिन उनका बेटा हरमन बोलने वक्त हकलाता हैं और डरा-सहमा सा नज़र आता हैं। इसको लेकर विजय शर्मिंदा अनुभव करते हैं और वहाँ से चले जाते हैं।

विजय की यह इच्छा होती हैं की हरमन उन्हीं के तरह ही निडर बने लेकिन विजय के उलट हरमन थोड़ा कमज़ोर और डरपोक होता हैं। इस कारण उसे पिता का वो प्यार नहीं मिलता जो उसे चाहिए। इसी बीच पड़ोसी देश के आतंकी हरमन को किडनैप करके ले जाते हैं और बदले में अपने साथियों को लौटाने की मांग करते हैं।

इसी पॉइंट पर विजय को अपने देश और अपने बेटे में से किसी एक को चुनना पड़ता हैं और विजय अपने देश को ही चुनता हैं। एक कैंपेन के दौरान आठ साल बाद विजय को उसका बेटा मिलता हैं लेकिन बिल्कुल बदले हुए अंदाज में। विजय को बेटे के इस अंदाज से शक होने लगता हैं।

वहीं दूसरी तरफ सीमा पार से उसे कई संदेश प्राप्त होते हैं जिसमें कोई वहाँ बैठा आगे होने वाले हमलों की जानकारी देकर उनकी सहायता करने का प्रयास करता हैं। इन सब के बाद कहानी में कई मो‌ड़ आते हैं और यह देशभक्ति की तर्ज पर चलता पारिवारिक ड्रामा एक थ्रिलर बनता हुआ दिखाई देता हैं।

काजोल और सुकुमारन की एक्टिंग- Kajol aur Sukumaran ki acting

इस फिल्म की कहानी के लीड कैरेक्टर काजोल और सुकुमारन फिल्म की कहानी को बांधने का काम करते हैं। विशेष रुप से काजोल शुरु से आखिरी तक अपनी भूमिका के साथ न्याय करती हैं। बेटे के लिए एक माँ और पति के लिए एक पत्नी की भावनाएँ काजोल आखिरी तक बांधती हैं।

Kajol aur Sukumaran ki acting

काजोल का डायलॉग ‘अपनों के खून से बढ़कर कुछ नहीं’, उनके किरदार की पहचान बनता हैं। वहीं दूसरी तरफ सुकुमारन एक फौजी के किरदार के लिए एकदम परफेक्ट च्वॉइस हैं। साउथ से होने के बावजूद सुकुमारन की हिंदी कहीं भी कमज़ोर साबित नहीं होती हैं।

आवश्यक जानकारी:- सैयारा फिल्म की कहानी के बारे में।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं सरजमीन फिल्म से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। इस जानकारी से आपको सरजमीन फिल्म की कहानी के बारे में हर प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त हो जाएगी।

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