‘बागान’ की कहानी में कहाँ चूक गई फिल्म

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं जुगनुमा फिल्म के बारे में। अब हम आपसे जुगनुमा फिल्म के बारे में बात करें तो नेटफ्लिक्स पर फिल्म इंस्पेक्टर झेंडें के साथ धमाल मचाने के बाद मनोज बाजपेयी थिएटर में लौट आए। अंतरराष्ट्रीय मंच पर सराहना पाने वाले उनकी फिल्म जुगनुमा 12 सितंबर को थिएटर में रिलीज़ हुई हैं।

कई फिल्म फेस्टिवल में सराही गई और 38वें लीड्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवॉर्ड जीतनए वाली पहली भारतीय फिल्म जुगनुमा- द फेवल सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई हैं।

बागान पर आधारित हैं ‘जुगनुमा’ की कहानी- Bagan par adharit hain Jugnuma ki kahani

यह कहानी साल 1989 की हैं। देव अपने परिवार के साथ हिमालय में रहता हैं। वह फ्लो के बागान का मालिक हैं। अपने बिजनेस को संभालने के साथ देव को उड़ने का शौक हैं। उसके पास चील की तरह विशाल पंख हैं जो उसने खुद बनाए हुए हैं।

Bagan par adharit hain Jugnuma ki kahani

अपने बागानों को कीड़ों से बचाने के लिए वह अपने मैंनेजर मोहन का पेस्टिसाइड्स का छिड़काव करने को कहा जाता हैं। इसी बीच एक दिन उसके बागान का एक पेड़ जला नज़र आता हैं। कुछ दिनों बाद पूरे बागान में आग लग जाती हैं। आग कौन लगा रहा हैं, इसकी खोजबीन में यह कहानी आगे बढ़ जाती हैं।

इस फिल्म की कहानी पहले दस मिनटों में चौंकाती, उसकी वजह देव का किसी पंक्षी की तरह आसमान में उड़ना होता हैं। फिर कुछ घटनाएँ होती हैं, दिमाग दौड़ता हैं की आगे क्या होगा, लेकिन अंत तक फिल्म को समझना कठिन होता हैं।

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नेशनल अवॉर्ड जीतने के 10 साल बाद लाए फिल्म- National award jitane ke 10 saal bad lae film

अपनी कन्नड़ फिल्म तिथि के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीते निर्देशक राम रेड्डी उसके दस साल बाद यह फिल्म लेकर आए हैं। इस फिल्म का जोनर मैजिकल रियलिज्म हैं यानी की वास्तविकता में जादुई दुनिया को ऐसे पिरोया जाता हैं की दोनों के बीच का अंतर खत्म होता हैं। ऐसी फिल्मों को फिल्म फेस्टिवल में तालियाँ मिलती हो, लेकिन आम दर्शकों के लिए यह समझना बेहद कठिन होगा।

National award jitane ke 10 saal bad lae film

इस फिल्म के निर्देशक राम रेड्डी इस फिल्म से काफी कुछ कहना चाहते हैं, शायद जैसे पहाड़ों के निवासी कौन हैं? लोग या खुद पहाड़ या प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने का नतीजा क्या होता हैं। लेकिन कई अधूरे सीन, दर्जन भर अनुत्तरित प्रशन कुछ समझने नहीं देते हैं।

कई घटनाक्रम जैसे की देव की बेटी वन्या जंगल में रह रहे कुछ लामाओं में से एक को पसंद करती हैं, उसको पेपर पर लिखकर कुछ भेजती हैं, उसमें क्या लिखा हैं पता नहीं हैं।

लामा के साथ बैठकर वह मेडिटेशन क्यों करती हैं? बागान में काम करने वाले मज़दूर की पत्नी राधा परियों की कहानी सुनाती हैं। यह फिल्म वाकई परियों की कहानी जैसी लगती हैं, जहाँ कुछ भी संभव हैं।

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निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं जुगनुमा फिल्म से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। इस जानकारी से आपको जुगनुमा फिल्म की कहानी से संबंधित हर प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त हो गई होगी।

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