भगवान कार्तिकेय की कथा: असुरों पर विजय की कहानी

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं भगवान कार्तिकेय की कथा के बारे में। अब हम आपसे भगवान कार्तिकेय की कथा के बारे में बात करें तो भगवान कार्तिकेय हिंदू धर्म में युद्ध और विजय के देवता माने जाते हैं। भगवान कार्तिकेय भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और भगवान गणेश के बड़े भाई हैं।

भगवान गणेश के अलावा भगवान कार्तिकेय का भाई भगवान अय्यपा भी हैं। भगवान कार्तिकेय की तीन बहनें हैं जिनका नाम देवी अशोक सुंदरी, देवी ज्योति और देवी मनसा हैं। भगवान कार्तिकेय को मुरूगन, स्कंद और सुब्राह्माण्य के नाम से भी जाना जाता हैं।

विशेष रुप से भगवान कार्तिकेय की पूजा दक्षिण भारत में लोकप्रिय हैं। भगवान कार्तिकेय को तमिलनाड़ु में तमिल देवता के रुप में खास सम्मान दिया जाता हैं। असुरों से देवताओं की रक्षा करने के लिए भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। एक प्रमुख कथा के अनुसार भगवान कार्तिकेय का जन्म शिव के तेज़ से हुआ था और छह देवियों ने भगवान कार्तिकेय का पालन-पोषण किया था।

उन छह देवियों को कृतिकाएँ कहते हैं। तभी से भगवान कार्तिकेय छह देवियों यानी की कृतिकाओं के पुत्र कहलाए जाते हैं। भगवान कार्तिकेय साहस, बलिदान, अनुशासन और विजय के प्रतीक माने जाते हैं। भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर हैं और भगवान कार्तिकेय के साथ हमेशा एक शक्ति का प्रतीक भाला होता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे भगवान कार्तिकेय के जन्म के बारे में।

भगवान कार्तिकेय का जन्म- Bhagvan Kartikey ka janm

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं भगवान कार्तिकेय के जन्म के बारे में। अब हम आपसे भगवान कार्तिकेय के जन्म के बारे में बात करें तो एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कार्तिकेय का जन्म असुरों के राजा तारकासुर का वध करने के लिए हुआ था।

bhagvan kartikey ka janm

असुरों के राजा तारकासुर ने कठिन तपस्या करने के बाद अमरत्व का वरदान प्राप्त किया था। इस वरदान को प्राप्त करने के बाद असुर तारकासुर को हारा पाना थोड़ा कठिन हो गया था।

सिर्फ भगवान शिव का पुत्र ही तारकासुर का वध कर सकता था। असुर तारकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर देवताओं ने भगवान शिव और माता पार्वती से प्रार्थना की। इसके फलस्वरुप भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। अब हम आपसे चर्चा करेंगे भगवान कार्तिकेय के बाल्यकाल और शिक्षा के बारे में।

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भगवान कार्तिकेय का बाल्यकाल और शिक्षा- Bhagvan Kartikey ka balyakal aur shiksha

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं भगवान कार्तिकेय के बाल्यकाल और शिक्षा के बारे में। अब हम आपसे भगवान कार्तिकेय के बाल्यकाल और शिक्षा के बारे में बात करें तो भगवान कार्तिकेय का बचपन अलग-अलग ऋषियों और देवताओं के सरंक्षण में बीता था।

bhagvan kartikey ka balyakal aur shiksha

भगवान कार्तिकेय ने बाल्यकाल में ही युद्ध कला, शस्त्र संचालन और नीति का ज्ञान प्राप्त किया था। भगवान कार्तिकेय ज्ञान और बुद्धिमता के प्रतीक माने जाते हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे भगवान कार्तिकेय के विवाह और परिवार के बारे में।

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भगवान कार्तिकेय का विवाह और परिवार- Bhagvan Kartikey ka vivah aur parivar

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं भगवान कार्तिकेय के विवाह और परिवार के बारे में। अब हम आपसे भगवान कार्तिकेय के परिवार और विवाह के बारे में बात करें तो भगवान कार्तिकेय के विवाह की अलग-अलग कथाएँ हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में अधिक लोकप्रिय हैं।

bhagvan kartikey ka vivah aur parivar

दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय का विवाह देवसेना और वल्ली से हुआ था। देवसेना जो की इंद्र की पुत्री थीं और वल्ली जो भी एक आदिवासी कन्या थीं।

देवसेना और वल्ली के साथ भगवान कार्तिकेय के विवाह की कहानियाँ शक्ति, प्रेम और साहस का प्रतीक मानी जाती हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे भगवान कार्तिकेय के प्रतीक और वाहन के बारे में।

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भगवान कार्तिकेय का प्रतीक और वाहन- Bhagvan Kartikey ka pratik aur vahan

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं भगवान कार्तिकेय के प्रतीक और वाहन के बारे में। अब हम आपसे भगवान कार्तिकेय के प्रतीक और वाहन के बारे में बात करें तो उनका वाहन मयूर हैं। मयूर वीरता, आत्म-नियंत्रण और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक होता हैं।

bhagvan kartikey ka pratik aur vahan

भगवान कार्तिकेय के हाथों में एक विशेष शक्ति का प्रतीक होता हैं जो भाला होता हैं। भाला को “वेल” के नाम से भी जाना जाता हैं। भाला भगवान कार्तिकेय को उनकी माता पार्वती जी ने उपहार स्वरुप दिया था। अब हम आपसे चर्चा करेंगे भगवान कार्तिकेय द्वारा तारकासुर के वध के बारे में।

भगवान कार्तिकेय द्वारा तारकासुर का वध- Bhagvan Kartikey dvara Tarakasur ka vadh

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं भगवान कार्तिकेय द्वारा तारकासुर के वध के बारे में। अब हम आपसे भगवान कार्तिकेय द्वारा तारकासुर के वध के बारे में बात करें तो जब भगवान कार्तिकेय युवा हुआ करते थे तब देवताओं ने भगवान कार्तिकेय को तारकासुर का वध करने के लिए भेजा था।

bhagvan kartikey dvara tarakasur ka vadh

भगवान कार्तिकेय ने अपने खास अस्त्र भाला से तारकासुर का वध किया था। इससे धरती पर शांति और धर्म की स्थापना हुई थी। भगवान कार्तिकेय के इसी पराक्रम के कारण भगवान कार्तिकेय युद्ध के देवता के रुप में पूजा जाने लगे। अब हम आपसे चर्चा करेंगे भगवान कार्तिकेय के महत्तव और पूजा के बारे में।

भगवान कार्तिकेय के महत्तव और पूजा- Bhagvan Kartikey ke mahatav aur pooja

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं भगवान कार्तिकेय के महत्तव और पूजा के बारे में। अब हम आपसे भगवान कार्तिकेय के महत्तव और पूजा के बारे में बात करें तो भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से साहस, ज्ञान और आत्मबल की प्राप्ति होती हैं। खासकर तमिल संस्कृति में भगवान कार्तिकेय की पूजा का विशेष महत्तव होता हैं।

bhagvan kartikey ke mahatav aur pooja

भगवान कार्तिकेय का वार्षिक पर्व “थाईपूषम” के नाम से मनाया जाता हैं। ऐसा कहा जाता हैं की भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से निडरता और दृढ़ता की प्राप्ति होती हैं। भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली हर बाधा का सामना कर सकता हैं।

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निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं भगवान कार्तिकेय की कथा से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।

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