दीपावली (Diwali 2025): माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना का पर्व

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं दीपावली के पर्व के बारे में। अब हम आपसे दीपावली के पर्व के बारे में बात करें तो दीपावली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। 

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दीपावली का पर्व कब आता हैं?- Diwali ka parv kab aata hain?दीपावली कब है? दीपावली के पर्व का महत्तव- Diwali ke parv ka mahatvदीपावली का धार्मिक महत्तव दीपावली का सांस्कृतिक महत्तवदीपावली का आर्थिक महत्तव प्रकाश का महत्तव दीपावली का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?- Diwali ka parv kyon manaya jata hain?भगवान राम की अयोध्या वापसी दीपावली माँ लक्ष्मी का प्रकट्य नरकासुर वध विक्रम संवत महावीर स्वामी का निर्माण दिवस सिख धर्म में महत्तवपूर्ण घटना धनतेरस और गोवर्धन पूजा कुबेर की पूजा दीपावली का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?- Diwali ka parv kaise manaya jata hain?घर की सफाई और सजावट दीप जलाना लक्ष्मी-गणेश पूजा मिठाइयाँ और पकवान पटाखे जलाना भाई दूज निष्कर्ष- Conclusion

प्रमुख कथा के अनुसार दीपावली का पर्व भगवान राम और माता सीता की 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापसी का हैं। इस दिन माँ लक्ष्मी का पूजन किया जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे दीपावली के पर्व के बारे में। 

दीपावली का पर्व कब आता हैं?- Diwali ka parv kab aata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं दीपावली के पर्व के आने के बारे में। अब हम आपसे दीपावली के पर्व के आने के बारे में बात करें तो दीपावली का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता हैं।

diwali ka parv kab aata hain

दीपावली कब है? 

शनिवार, 18 अक्तूबर 2025 – गुरुवार, 23 अक्तूबर 2025:- आमतौर पर दीपावली का पर्व ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर के महीने में पड़ता हैं। साल 2025 में दीपावली का पर्व 21 अक्तूबर 2025 को मनाया जाएगा। अब हम आपसे चर्चा करेंगे दीपावली के पर्व के महत्तव के बारे में।

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दीपावली के पर्व का महत्तव- Diwali ke parv ka mahatv

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं दीपावली के पर्व के महत्तव के बारे में। अब हम आपए दीपावली के पर्व के महत्तव के बारे में बात करें तो दीपावली का पर्व हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व हैं।

diwali ke parv ka mahatv

इस पर्व को दीपोत्सव भी कहा जाता हैं। दीपावली के पर्व का गहरा, सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक महत्तव हैं। दीपावली के पर्व के महत्तव को अलग-अलग तरीकों से समझा जा सकता हैं:- 

दीपावली का धार्मिक महत्तव 

  • भगवान राम की अयोध्या वापसी:- दीपावली के पर्व का सबसे प्रमुख धार्मिक महत्तव यह हैं की दीपावली के पर्व को भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता हैं। भगवान राम के लौटने पर अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
  • माँ लक्ष्मी की पूजा:- दीपावली के पर्व को धन की देवी लक्ष्मी की पूजा के रुप में मनाया जाता हैं। दीपावली के पर्व को समृद्धि, धन और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता हैं।
  • भगवान गणेश की पूजा:- माँ लक्ष्मी के पूजन के साथ ही भगवान गणेश की भी पूजा की जाती हैं। भगवान गणेश शुभ शुरुआत और बाधाओं को दूर करने के देवता माने जाते हैं।
  • नरकासुर वध:- दीपावली का त्योहार दक्षिण भारत में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर के वध के रुप में मनाया जाता हैं।

दीपावली का सांस्कृतिक महत्तव

दिवाली के वक्त लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं। लोग अपने घरों को रंगोली, दीपों और सजावट से सजाते हैं। दीपावली के समय घरों को सजाना सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत के रुप में देखा जाता हैं।

यह पर्व लोगों के बीच मेल-मिलाप और भाईचारे का पर्व हैं। दीपावली के दौरान लोग उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं जो आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ाने लगता हैं।

दीपावली का आर्थिक महत्तव 

इस पर्व का समय व्यापार और खरीदारी का होता हैं। व्यापारी दीपावली के पर्व को नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के रुप में मनाते हैं और बही-खाते का भी पूजा करते हैं। दीपावली के पर्व के समय बाज़ारों में खूब रौनक रहती हैं और व्यापारी की व्यापारिक गतिविधियाँ चरम सीमा पर होती हैं। 

प्रकाश का महत्तव 

दीपावली का पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय, बुराई पर अच्छाई की विजय और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक होता हैं। दीपावली का पर्व आत्मा के शुद्धिकरण और समाज में शांति व सद्भावना का संदेश होता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे दीपावली के पर्व के मनाने के बारे में।

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दीपावली का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?- Diwali ka parv kyon manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं दीपावली के पर्व के मनाने के बारे में। अब हम आपसे दीपावली के पर्व के मनाने के बारे में बात करें तो दीपावली का पर्व धार्मिक और पौराणिक कारणों से मनाया जाता हैं।

diwali ka parv kyon manaya jata hain

इनमें से सबसे प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:- 

भगवान राम की अयोध्या वापसी 

प्रमुख कथा के अनुसार दीपावली भगवान राम की 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापसी का पर्व हैं। जब भगवान श्रीराम राक्षस रावण का वध करने के बाद माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे तब अयोध्यावासियों ने खुशी में घी के दीप जलाकर भगवान राम और माता सीता का स्वागत किया था।

दीपावली के पर्व को राम की विजय और सत्य की बुराई पर जीत के रुप में देखा जाता हैं। इसी कारण से दीपावली को दीप जलाकर मनाया जाता हैं। 

दीपावली माँ लक्ष्मी का प्रकट्य 

अन्य पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। दीपावली के दिन माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से विवाह किया था। दीपावली के पर्व के दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती हैं ताकि घरों में सुख-समृद्धि और धन की वर्षा हो सके। 

नरकासुर वध 

दीपावली का पर्व दक्षिण भारत में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर के वध की खुशी में मनाया जाता हैं। दीपावली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। राक्षस नरकासुर ने कई ऋषियों और देवताओं को परेशान किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर को मारकर संसार को उसके आतंक से मुक्त किया था।

विक्रम संवत 

दीपावली के पर्व के दिन राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक हुआ था। इसी कारण से दीपावली के पर्व को विक्रम संवत के रुप में मनाया जाता हैं। दीपावली का पर्व हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी मानी जाती हैं। 

महावीर स्वामी का निर्माण दिवस 

जैन धर्म के अनुसार दीपावली का दिन विशेष महत्तव रखता हैं। दीपावली के दिन भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त किया था। दीपावली के पर्व को महावीर स्वामी के निर्माण दिवस के रुप में भी मनाया जाता हैं। 

सिख धर्म में महत्तवपूर्ण घटना 

सिख धर्म के अनुसार दीपावली का दिन ऐतिहासिक महत्तव रखता हैं। दीपावली के पर्व को “बंदी छोड़ दिवस” के रुप में भी मनाया जाता हैं। दीपावली के पर्व के दिन गुरु हरगोबिंद सिंह जी मुगल सम्राट जहाँगीर की कैद से 52 राजाओं को मुक्त करके वापस आए थे। 

धनतेरस और गोवर्धन पूजा 

दीपावली के पर्व से पहले धनतेरस के पर्व को मनाया जाता हैं। दीपावली के पर्व को आरोग्य और समृद्धि के लिए महत्तवपूर्ण माना जाता हैं। इन सब के साथ ही गोवर्धन पूजा भी की जाती हैं। गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने और गोकुलवासियों की रक्षा की याद में मनाया जाता हैं। 

कुबेर की पूजा 

कुबेर को धन के देवता माना जाता हैं। कुबेर की पुजा दीपावली के पर्व के दिन ही की जाती हैं। इससे व्यापार और जीवन में आर्थिक उन्नति होने लगती हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे दीपावली का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?

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दीपावली का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?- Diwali ka parv kaise manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं दीपावली का पर्व कैसे मनाया जाता हैं? अब हम आपसे दीपावली के पर्व के मनाने के बारे में बात करें तो दीपावली का पर्व एक हिंदू पर्व हैं। दीपावली के पर्व को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं।

diwali ka parv kaise manaya jata hain

दीपावली के पर्व को मनाने के अलग-अलग रीति-रिवाज होते हैं जो स्थान और परंपराओं के अनुसार अलग-अलग होते हैं। दीपावली के पर्व को मनाने के मुख्य बिंदू निम्नलिखित हैं:- 

घर की सफाई और सजावट 

दीपावली के कुछ दिनों पहले लोग अपने घरों में साफ-सफाई करना शुरु कर देते हैं। यह कहा जाता हैं की स्वच्छ और साफ-सुथरे घरों में देवी लक्ष्मी का आगमन होने लगता हैं।

लोग घरों को रंग-बिरंगी रोशनी, दीपों, मोमबत्तियों और झालरों से सजाते हैं। घर के प्रवेश द्वार पर सुंदर रंगोली बनाई जाती हैं। सुंदर रंगोली स्वागत और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता हैं। 

दीप जलाना 

दीपावली का पर्व दीप जलाने से मनाया जाता हैं। दीपावली के पर्व के दिन घरों में घी या तेल के दीये जलाए जाते हैं जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक होता हैं। दीपावली का पर्व पूरे परिवार द्वारा सामूहिक रुप से मनाया जाता हैं।

दीपक जलाने की यह परंपरा भगवान राम की अयोध्या वापसी के वक्त का प्रतीक माना जाता हैं। अब अयोध्यावासियों ने भगवान राम के स्वागत में दीप जलाए थे। 

लक्ष्मी-गणेश पूजा 

शाम को दीपावली के पर्व के दिन माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती हैं। माँ लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता हैं। दूसरी तरफ भगवान गणेश विघ्न का नाश करने वाले देवता माने जाते हैं। दीपावली की पूजा के दौरान धन, धान्य और व्यापारिक खाता-बही की पूजा की जाती हैं। 

मिठाइयाँ और पकवान 

दीपावली के मौके पर घरों में तरह-तरह की मिठाइयाँ और विशेष पकवान बनाए जाते हैं। मिठाइयों में लड्डू, जलेबी, बर्फी, काजू कतली और अन्य मिठाइयाँ शामिल हैं। 

पटाखे जलाना 

दीपावली के वक्त पटाखे जलाने की परंपरा भी निभाई जाती हैं। दीपावली का पर्व खुशी और उल्लास का प्रतीक होता हैं। पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता के कारण पटाखों के इस्तेमाल में कमी देखी जा रही हैं। लोग अब सबसे ज्यादा प्रदूषण-रहित दीवाली मनाने की तरफ बढ़ रहे हैं। 

भाई दूज 

दीपावली के दो दिनों बाद भाई दूज का पर्व मनाया जाता हैं। इसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करने लगती हैं। भाई-दूज के दिन भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं दीपावली के पर्व से संबंधित कुछ जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।

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मैं रोज़ाना की खबरों पर लिखने के लिए प्रेरित हूँ और भारत की सभी खबरों को कवर करता हूँ। मेरा लक्ष्य पाठकों को ताज़ा जानकारी प्रदान करना है, जो उन्हें समाचार की समझ और देशव्यापी घटनाओं की खोज में मदद करे।
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