धृतराष्ट्र का अंधापन: महाभारत के युद्ध की पृष्ठभूमि

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं धृतराष्ट्र का अंधापन होने की वजह के बारे में। धृतराष्ट्र महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। धृतराष्ट्र हस्तिनापुर के राजा थे। धृतराष्ट्र कौरवों के पिता थे।

धृतराष्ट्र के पिता का नाम विचित्रवीर्य था तथा माता का नाम अंबिका था। धृतराष्ट्र जन्म से अंधे थे। लेकिन धृतराष्ट्र के छोटे भाई पांडु जन्म से अंधे नहीं थे। पांडु जन्म से ही स्वस्थ थे। पांडु धृतराष्ट्र के छोटे भाई हैं।

पांडु के पिता का नाम विचित्रवीर्य था तथा माता का नाम अंबालिका था। पहले, हम आपसे चर्चा करेंगे धृतराष्ट्र कौन थे और धृतराष्ट्र के अंधे होने की वजह क्या थी? 

धृतराष्ट्र कौन थे और धृतराष्ट्र के अंधे होने की वजह – Dhritarashtra kaun the aur dhritarashtra ke andhe hone ki vajah 

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं धृतराष्ट्र कौन थे और धृतराष्ट्र के अंधे होने की वजह के बारे में। धृतराष्ट्र महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। धृतराष्ट्र हस्तिनापुर के राजा थे। धृतराष्ट्र कौरवों के पिता थे। धृतराष्ट्र के पिता का नाम विचित्रवीर्य था तथा माता का नाम अंबिका था। 

dhritarashtra ke andhe hone ki vajah

धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे। धृतराष्ट्र के अंधे होने की वजह के पीछे कथा यह हैं की जब ऋषि व्यास ने धृतराष्ट्र की माता अंबिका को वरदान दिया की उन्हें एक शक्तिशाली और महान पुत्र प्राप्त होगा तो उस वक्त ऋषि का स्वरुप देखने पर अंबिका ने आँखे बंद कर ली थी। इसी वजह से अंबिका के गर्भ से जन्म लेने वाला पुत्र धृतराष्ट्र अंधा हुआ। 

धृतराष्ट्र एक शक्तिशाली और पराक्रमी व्यक्ति थे। धृतराष्ट्र के अंधापन ने उनके शासन और निर्णयों पर प्रभाव डाला जिसकी वजह से महाभारत का युद्ध हुआ था। अब हम आपसे चर्चा करेंगे ऋषि व्यास ने धृतराष्ट्र की माता अंबिका को शक्तिशाली और महान पुत्र के वरदान के बारे में। 

ऋषि व्यास ने माता अंबिका को शक्तिशाली पुत्र का वरदान क्यों दिया? – Rishi vyas ne mata ambika ko shaktishali putra ka varadan kyon diya? 

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं ऋषि व्यास ने धृतराष्ट्र की माता अंबिका को शक्तिशाली और महान पुत्र का वरदान क्यों दिया? ऋषि व्यास ने धृतराष्ट्र की माता अंबिका को शक्तिशाली और महान पुत्र का वरदान देने का कारण था की अंबिका और अंबिका के पति राजा विचित्रवीर्य एक संतान की लालसा रखते थे।

Rishi vyas ne mata ambika ko shaktishali putra ka varadan kyon diya

अंबिका और उनकी बहन अंबालिका दोनों को ही राजा विचित्रवीर्य से संतान प्राप्त करने में कठिनाई हो रही थी। राजा विचित्रवीर्य की मृत्यु के पश्चात्‌ अंबिका और अंबालिका को संतान प्राप्त करने के लिए व्यास मुनि के पास भेजा दिया गया था। 

अंबिका ने व्यास मुनि को देखकर अंबिका व्यास मुनि की शक्ल से प्रभावित हो गई और अपनी आँखे बंद कर ली थी। इससे धृतराष्ट्र का जन्म हुआ जोकि अंधे थे।

व्यास मुनि ने अंबालिका को भी देखने के लिए कहा, तो अंबालिका ने भी डर और संकोच की वजह से आँखें बंद कर ली थी। इससे एक और पुत्र पांडु का जन्म हुआ जोकि स्वस्थ और साहसी था। 

इसी तरह से, ऋषि व्यास का वरदान अंबिका के लिए विशेष रुप से शक्तिशाली और महान पुत्र का था। लेकिन अंबिका की प्रतिक्रिआ की वजह से धृतराष्ट्र अंधे पैदे हुए। इसी स्थिति ने धृतराष्ट्र के जीवन और महाभारत की घटनाओं पर महत्तवपूर्ण प्रभाव डाला था। अब हम आपसे चर्चा करेंगे पांडु इतने स्वस्थ और साहसी कैसे थे? 

इसके आलावा आप यहाँ पर धृतराष्ट्र के बेटे दुर्योधन के गुरु गुरु द्रोणाचार्य के बारे में विस्तार से जान सकते हैं। 

पांडु इतने स्वस्थ और साहसी कैसे थे? – Pandu itane swasth aur sahasi kaise the?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं पांडु इतने स्वस्थ और साहसी कैसे थे? पांडु का स्वस्थ और साहसी होना ऋषि व्यास के वरदान और उनके जन्म का कारण था। पांडु धृतराष्ट्र के छोटे भाई थे। धृतराष्ट्र के जन्म की प्रक्रिया में अंबालिका ने व्यास मुनि को देखा था। इससे पांडु का जन्म हुआ था। पांडू पांडवों के पिता थे। 

Pandu itane swasth aur sahasi

व्यास मुनि का स्वरुप अंबालिका के लिए अधिक अनुकुल था। इससे पांडु का जन्म स्वस्थ और शक्तिशाली हुआ। पांडु के स्वस्थ और साहसिकता होने की वजह उनकी माता अंबालिका की प्रतिक्रिया थी। इस प्रतिक्रिया ने एक महान और बलशाली पुत्र को जन्म देने में मदद की। 

पांडु का साहसिक और वीरतापूर्ण स्वभाव पांडु के जन्म से ही था। पांडु की शिक्षा और प्रशिक्षण भी पांडु को एक योग्य और सक्षम योद्धा बनाने में मददगार साबित हुई। पांडु का शारीरिक बल, बुद्धिमता और नेतृत्व की क्षमता पांडु के साहसी और पराक्रमी व्यक्तित्व का मुख्य कारण थे। अब हम आपसे चर्चा करेंगे धृतराष्ट्र के अंधे होने की वजह से महाभारत के युद्ध के बारे में।

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धृतराष्ट्र के अंधे होने की वजह से महाभारत का युद्ध- Dhritarashtra ke andhe hone ki vajah se mahabharat ka yuddh

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं धृतराष्ट्र के अंधे होने की वजह से महाभारत के युद्ध के बारे में। धृतराष्ट्र का जन्म से अंधा होना महाभारत के युद्ध का प्रमुख कारण नहीं था। धृतराष्ट्र के अंधेपन का प्रतीकात्मक अर्थ और धृतराष्ट्र की निर्णय लेने की अक्षमता ने कुछ हद तक युद्ध की परिस्थिति को प्रभावित किया। 

dhritarashtra ke andhe hone ki vajah se mahabharat ka yuddh

धृतराष्ट्र के अंधे होने का कारण कई मामलों में उचित था तो कई मामलों में धृतराष्ट्र का अंधापन निष्पक्ष निर्णय लेने में असर्थमता का कारण बना। धृतराष्ट्र के पुत्र दुर्योधन के प्रति धृतराष्ट्र अत्यधिक पक्षपाती थे। धृतराष्ट्र के अपनी संतान के प्रति अत्यधिक मोह के कारण धृतराष्ट्र ने पांडवों के साथ हुए अन्याय को अनदेखा किया था। 

जब धृतराष्ट्र के बेटे दुर्योधन ने पांडवों के साथ छल किया और दुष्टता के कार्य किए जैसे की द्रौपदी का अपमान और पांडवों को जुए में हराकर वनवास भेजना तब धृतराष्ट्र ने इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। धृतराष्ट्र की इस पक्षपातपूर्ण और कमज़ोर नेतृत्व ने कौरवों और पांडवों के बीच के तनाव को और बढ़ा दिया था जोकि महाभारत के विनाशकारी युद्ध में परिणव हुआ था। 

धृतराष्ट्र का अंधापन धृतराष्ट्र के निर्णय लेने की कमी का प्रतीक माना जाता हैं। लेकिन धृतराष्ट्र का अंधापन युद्ध का सीधा कारण नहीं था। युद्ध के पीछे का कारण सत्ता की भूख, अंहकार था। 

इसके आलावा आप यहाँ पर भगवान् श्री कृष्ण के द्वारा दिए गए अर्जुन को उपदेश के बारे में जान सकते हैं। 

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं धृतराष्ट्र का महाभारत के योगदान से संबंधित कुछ जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।

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