एकादशी व्रत निर्णय: उपवास और भक्ति से जीवन में सकारात्मक बदलाव

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं एकादशी के पवित्र दिन के बारे में। अब हम आपसे एकादशी के पवित्र दिन के बारे में बात करें तो हिंदू धर्म में एकादशी में बहुत महत्तवपूर्ण व्रत माना जाता हैं।

एकादशी को पवित्र दिन के रुप में देखा जाता हैं। एकादशी महीने में दो बार आती हैं। कुल मिलाकर एक साल में 24 एकादशी आती हैं। जब अधिमास आता हैं तब 26 एकादशी आती हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे सितम्बर 2025 की एकादशी के बारे में।

सितम्बर 2025 में एकादशी- September 2025 mein ekadashi

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं सितम्बर 2025 की एकादशी के बारे में। अब हम आपसे सितम्बर 2025 की एकादशी के बारे में बात करें तो एकादशी महीने में दो बार आती हैं।

October 2024 mein ekadashi

एकादशी का दिन चंद्र मास के अनुसार शुक्ल पक्ष (अमावस्या से पूर्णिमा के बीच का समय) और कृष्ण पक्ष (पूर्णिमा से अमावस्या के बीच का समय) की ग्यारहवीं तिथि को आता हैं। एकादशी का दिन हर महीने शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी को आता हैं।

  • शुक्ल पक्ष की एकादशी:- 3 सितम्बर 2025
  • कृष्ण पक्ष की एकादशी:- 17 सितम्बर 2025

अब हम आपसे चर्चा करेंगे एकादशी के महत्तव के बारे में।

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एकादशी का महत्तव- Ekadashi ka mahatv

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं एकादशी के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे एकादशी के महत्तव के बारे में बात करें तो हिंदू धर्म में एकादशी बहुत महत्तवपूर्ण व्रत माना जाता हैं।

ekadashi ka mahatv

एकादशी को पवित्र दिन के रुप में देखा जाता हैं। एकादशी का मुख्य उद्देश्य शरीर और मन को शुद्ध करना, आत्म-संयम का अभ्यास करना और ईश्वर के प्रति भक्ति प्रकट करना होता हैं।

यह व्रत हर चंद्र मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को होता हैं। इसी प्रकार साल में 24 एकादशी होती हैं। अधिमास में 26 एकादशी होती हैं।

एकादशी के महत्तव के कुछ प्रमुख बिंदु

  • आध्यात्मिक शुद्धि:- एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शुद्धि हासिल होती हैं। एकादशी के व्रत को ध्यान और भक्ति के साथ किया जाता हैं। इससे आत्मा को शांति मिलती हैं। इससे ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना मज़बूत होती हैं।
  • पापों का नाश:- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत करने से पूर्व जन्मों और इस जन्म के पापों का नाश होता हैं। एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होता हैं। एकादशी के व्रत का उल्लेख विष्णु पुराण और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों में किया जाता हैं।
  • स्वास्थ्य लाभ:- एकादशी का व्रत करने से शरीर के आंतरिक अंगों को आराम मिलता हैं। इससे पाचन तंत्र को शुद्ध किया जाता हैं। एकादशी का व्रत रखने से शरीर स्वस्थ रहता हैं और पाचन तंत्र को सुधारने में सहायता मिलती हैं।

एकादशी के महत्तव के अन्य बिंदू

  • भगवान विष्णु की कृपा:- एकादशी के उपवास का संबंध भगवान विष्णु से हैं। एकादशी का दिन भगवान विष्णु के प्रिय दिन के रुप में मनाया जाता हैं। एकादशी का व्रत करने वाले भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। एकादशी का व्रत करने वाले भक्त भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करते हैं।
  • पारिवारिक और सामाजिक समृद्धि:- यह कहा जाता हैं की एकादशी का व्रत करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती हैं। कई लोग एकादशी के व्रत को विशेष पारिवारिक कल्याण के लिए भी रखते हैं।
  • मन और इंद्रियों पर नियंत्रण:- एकादशी का उपवास आत्म-संयम और इंद्रियों पर नियंत्रण करने का प्रतीक होता हैं। एकादशी का दिन अनुशासन का पालन करना और इच्छाओं पर नियंत्रण करना प्रमुख होता हैं। एकादशी का व्रत आत्म-विकास के लिए भी महत्तवपूर्ण हैं।

अलग-अलग एकादशी के व्रत का अपना एक अलग महत्तव होता हैं। जैसे की देवशयनी एकादशी, देवउठनी एकादशी और कामदा एकादशी आदि। अब हम आपसे चर्चा करेंगे एकादशी को मनाने के उद्देश्य के बारे में।

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एकादशी को मनाने का उद्देश्य- Ekadashi ko manane ka uddeshya

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं एकादशी को मनाने के उद्देश्य के बारे में। अब हम आपसे एकादशी को मनाने के उद्देश्य के बारे में बात करें तो एकादशी को मनाने का मुख्य उद्देश्य आत्मा की शुद्धि,  भगवान के प्रति भक्ति और आत्म-संयम का पालन करना होता हैं।

ekadashi ko manane ka uddeshya

एकादशी का व्रत धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से व्यक्ति के अंदर शांति, अनुशासन और ईश्वर के प्रति समर्पण को जाग्रत करना होता हैं। एकादशी को मनाने के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:-

एकादशी को मनाने के निम्नलिखित उद्देश्य

  • आध्यात्मिक शुद्धि:- एकादशी व्रत का पालन करने से मन और आत्मा की शुद्धि होती हैं। एकादशी के व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपनी बुरी आदतों, गलतियों और पापों से मुक्त होने का प्रयास करता हैं।
  • भगवान विष्णु की भक्ति:- एकादशी का दिन भगवान विष्णु के प्रिय दिन के रुप में माना जाता हैं। एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती हैं। एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु के आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति बनी रहती हैं। एकादशी के दिन भक्त विष्णु के अलग-अलग नामों का जाप और भगवान विष्णु के लिए विशेष पूजा करते हैं।
  • पापों का नाश:- धर्म ग्रंथों के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से पूर्व जन्मों और इस जन्म के पापों का नाश होता हैं। एकादशी का व्रत व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति में मददगार होता हैं।
  • आत्म-संयम और अनुशासन:- एकादशी के व्रत का मुख्य उद्देश्य मानसिक और शारीरिक अनुशासन का पालन करना होता हैं। एकादशी के दिन उपवास रखना, सरल आहार लेना और मन को ईश्वर की और लगाना आत्म-संयम को बढ़ावा देता हैं।
  • शारीरिक शुद्धि और स्वास्थ्य लाभ:- एकादशी के व्रत से शरीर का पाचन तंत्र आराम करता हैं। इससे शरीर की शुद्धि होने लगती हैं। इससे अलग-अलग रोगों से बचाव में सहायता मिलती हैं।
  • मन की शांति और ध्यान:- एकादशी का व्रत मन को शांत और स्थिर बनाने में मददगार रहता हैं। एकादशी के दिन ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से व्यक्ति अपनी मानसिक स्थिति को संतुलित करता हैं।

इसी प्रकार, एकादशी के व्रत का उद्देश्य व्यक्ति को आत्मिक उन्नति और ईश्वर के साथ संबंध को प्रगाढ़ करना होता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे एकादशी के दिन चीज़ों के परहेज के बारे में।

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एकादशी के दिन चीज़ों का परहेज- Ekadashi ke din chijon ka parhej

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं एकादशी के दिन चीज़ों के परहेज के बारे में। अब हम आपसे एकादशी के दिन चीज़ों के परहेज़ के बारे में बात करें तो एकादशी के व्रत करने वालों को कुछ विशेष नियमों और परहेज़ों का पालन करना होता हैं।

ekadashi ke din chizon ka parhej

धार्मिक और स्वास्थ्य कारणों से निम्नलिखित चीज़ों से परहेज़ किया जाता हैं:-

अनाज और दालों का सेवन न करें

एकादशी के दिन चावल, गेहूँ, जौ, दाल और अन्य अनाज का सेवन करना वर्जित होता हैं। एकादशी के दिन को अशुद्ध माना जाता हैं। एकादशी के दिन अनाज खाने से व्रत का फल कम होता हैं।

लहसुन और प्याज न खाएँ

एकादशी के दिन लहसुन और प्याज का सेवन करना वर्जित होता हैं। क्योंकि लहसुन और प्याज को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा जाता हैं। इससे मन और शरीर को अशांत कर सकते हैं।

मसालेदार और तामसिक भोजन से बचें

एकादशी के व्रत के दिन तेज़ मसालेदार भोजन, तामसिक और भारी भोजन का सेवन करना वर्जित हैं। इससे पाचन तंत्र पर भार न पड़े और मन शांत रहें।

चावल और इससे बने उत्पाद न खाएँ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चावल का सेवन करना वर्जित माना जाता हैं। क्योंकि चावल को ग्रहण करने से व्रत का फल नहीं मिलता हैं।

तली और भारी चीज़ों का परहेज़ करें

एकादशी के दिन तले हुए भोजन और भारी वस्त्र या मिठाइयों का सेवन वर्जित होता हैं। ताकि पाचन तंत्र पर भार न पड़े।

मांसाहार और शराब का सेवन वर्जित हैं

एकादशी के दिन मांसाहार, अंडे और मछली जैसी चीज़ों का सेवन करना वर्जित होता हैं। साथ ही एकादशी के दिन शराब या अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन करना वर्जित होता हैं।

दूध और उससे बनी चीज़ों का सेवन का निषेध

कुछ विशेष एकादशी के दिन दूध या उससे बने उत्पाद का सेवन करना वर्जित होता हैं।

अन्य तामसिक खाद्य पदार्थों से बचें

बैंगन, कद्दू जैसे विशिष्ट सब्जियों का परहेज़ करना अनिवार्य होता हैं। विशिष्ट सब्जियों को तामसिक भोजन माना जाता हैं।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं एकादशी के दिन से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।

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