Ganpati Bappa Morya in hindi:- आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं गणेश चतुर्थी के महापर्व के बारे में। अब हम आपसे गणेश चतुर्थी के महापर्व के बारे में बात करें तो गणेश चतुर्थी को भारत के कुछ हिस्सों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं।
यह महापर्व दस दिनों तक चलता हैं। गणेश चतुर्थी का महापर्व भगवान गणेश की पूजा के अनुसार जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त करने का प्रतीक हैं।
गणेश चतुर्थी का महापर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे गणेश चतुर्थी का महापर्व कब आता हैं?
गणेश चतुर्थी का महापर्व कब आता हैं? – Ganesh Chaturthi ka mahaparv kab aata hain?
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं गणेश चतुर्थी के महापर्व के बारे में। अब हम आपसे गणेश चतुर्थी के महापर्व के बारे में बात करें तो गणेश चतुर्थी का महापर्व हर वर्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता हैं।
यह महापर्व आमतौर से अगस्त या सितंबर के महीने में आता हैं। गणेश चतुर्थी की तिथि चंद्र कैलेंडर पर आधारित होती हैं। गणेश चतुर्थी के महापर्व की तारीख हर वर्ष बदलती रहती हैं।
गणेश चतुर्थी का महापर्व दस दिनों तक चलता हैं। गणेश चतुर्थी का समापन “अनंत चतुर्दशी” के दिन गणेश विसर्जन के साथ होता हैं। हर वर्ष अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती हैं। इस बार 2025 में गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा और अनंत चतुर्दशी का पर्व 6 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। अब हम आपसे चर्चा करेंगे गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती हैं?
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गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती हैं? – Ganesh Chaturthi kyon manai jati hain?
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं गणेश चतुर्थी के मनाने के बारे में। अब हम आपसे गणेश चतुर्थी के मनाने के बारे में बात करें तो गणेश चतुर्थी का महापर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता हैं।
भगवान गणेश विघ्नहर्ता और बुद्धि, ज्ञान एवं समृद्धि के देवता हैं।
गणेश चतुर्थी के मनाने के पीछे के मुख्य कारण
- भगवान गणेश का जन्म:- यह कहा जाता हैं की गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती ने अपने शरीर की मिट्टी से किया था। बाद में भगवान शिव ने भगवान गणेश को हाथी का सिर देकर पुनः जीवन प्रदान किया था।
- विघ्नहर्ता:- किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को माना जाता हैं। इससे भगवान गणेश किसी भी प्रकार के विघ्न को दूर कर सकते हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
- समृद्धि और बुद्धि के देवता:- भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों को सफलता, समृद्धि और बुद्धिमता का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
इस महापर्व की शुरुआत घरों और सार्वजनिक स्थानों पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करके किया जाता हैं। यह महापर्व आमतौर से दस दिनों तक चलता हैं।
गणेश चतुर्थी के महापर्व का समापन “गणेश विसर्जन” के साथ होता हैं। इसमें गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित किया जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे गणेश चतुर्थी के महत्तव के बारे में।
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गणेश चतुर्थी का महत्तव – Ganesh Chaturthi ka mahatv
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं गणेश चतुर्थी के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे गणेश चतुर्थी के महत्तव के बारे में बात करें तो गणेश चतुर्थी का महत्तव धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अधिक महत्तवपूर्ण हैं।
गणेश चतुर्थी का महापर्व भगवान गणेश की पूजा के माध्यम से जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त करने का प्रतीक होता हैं।
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गणेश चतुर्थी का धार्मिक महत्तव
- विघ्नहर्ता के रुप में पूजन:- भगवान गणेश को शुभ कार्य की शुरुआत में पूजा जाता हैं। ताकि शुभ कार्य की शुरुआत करने में सभी प्रकार के विघ्न दूर हो सकें। भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के संकट और समस्याएँ कम होने लगती हैं।
- ज्ञान और बुद्धि के देवता:- भगवान गणेश विद्या बुद्धि और विवेक के प्रतीक हैं। गणेश चतुर्थी के दौरान छात्र और व्यापारी उनकी विशेष पूजा करते हैं। ताकि छात्र और व्यापारी शिक्षा और व्यवसाय में सफलता प्राप्त कर सकें।
- आध्यात्मिक आस्था:- गणेश चतुर्थी का महापर्व भक्तों में भगवान गणेश के प्रति गहरी आस्था और विश्वास को सुदृढ़ करता हैं। गणेश चतुर्थी का महापर्व ध्यान, साधना और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने लगता हैं।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्तव
- सामूहिक एकता:- समाज में सामूहिकता और भाईचारे की भावना गणेश चतुर्थी के दौरान प्रबल होती हैं। सामूहिक रुप से लोग भगवान गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करते हैं। जो सामाजिक समरसता और सहयोग को बढ़ावा देने लगता हैं।
- लोक कलाओं का विकास:- गणेश चतुर्थी के महापर्व के दौरान अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं। जैसे की नृत्यु, संगीत, नाटक और कला प्रदर्शनियाँ। जिससे समाज में कला और संस्कृति को बढ़ावा मिलने लगता हैं।
- पारिस्थितिक जागरुकता:- गणेश चतुर्थी के दौरान आजकल पर्यावरण के प्रति जागरुकता भी बढ़ने लगती हैं। लोग पर्यावरण-अनुकूल गणेश मूर्तियों का इस्तेमाल करते हैं। लोग विसर्जन के वक्त पानी की स्वच्छता का ध्यान भी रखते हैं।
गणेश चतुर्थी के महापर्व के दौरान स्थानीय बाज़ारों में मूर्तियों, सजावटी वस्तुओं, मिठाइयों और अन्य सामग्रियों की बिक्री बढ़ने लगती हैं। जो आर्थिक गतिविधियों को भी गति देती हैं।
गणेश चतुर्थी धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी एक महत्तवपूर्ण हिस्सा हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती हैं?
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गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती हैं? – Ganesh Chaturthi kaise manai jati hain?
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं Ganesh Chaturthi को मनाने के बारे में। अब हम आपसे गणेश चतुर्थी को मनाने के बारे में बात करें तो गणेश चतुर्थी को पूरे भारतवर्ष विशेषकर महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, गुजरात और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता हैं।
गणेश चतुर्थी का महोत्सव दस दिनों तक चलता हैं। गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान गणेश की पूजा अर्चना, भक्ति और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं। यहाँ गणेश चतुर्थी को मनाने के कुछ मुख्य बिंदू निम्नलिखित हैं:-
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गणेश मूर्ति की स्थापना – (Ganesh Murti ki Sthapana)
Ganesh Chaturthi के पहले दिन लोग भगवान गणेश की मूर्तियों को घरों, सार्वजनिक स्थानों और मंडपों में स्थापित करते हैं। भगवान गणेश की मूर्तियाँ मुख्यतौर से मिट्टी, प्लास्टर ऑफ पेरिस, या पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों से बनी होती हैं।
भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना करने से पहले पंडालों को सुंदर तरीके से सजाया जाता हैं। पंडालों में फूल, रंगोली और अन्य सजावटी सामग्री का इस्तेमाल किया जाता हैं।
गणेश पूजा विधि
भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने के बाद भगवान गणेश की पूजा की जाती हैं। भगवान गणेश की विशेष पूजा विधि में “प्राण प्रतिष्ठा” की जाती हैं। इन सब के बाद “सप्तकृत पूजा” भी की जाती हैं।
सप्तकृत पूजा में गणेश जी के सामने दीपक, फूल, धूप, चंदन और मिठाइयों का अर्पण किया जाता हैं। गणेश जी को उनका पसंदीदा भोजन “मोदक” अर्पित किया जाता हैं। “मोदक” के अलावा लड्डू, पूरनपोली और अन्य मिठाइयाँ भी अर्पित की जाती हैं।
गणेश आरती और भजन
भगवान गणेश की पूजा और आरती हर सूबह और शाम को की जाती हैं। भगवान गणेश की आरती के समय भक्त गणेश जी के भजन, मंत्र और श्लोक गाते हैं। विशेष रुप से “गणपति बप्पा मोरया” का उच्चारण महोत्सव का मुख्य आकर्षण होता हैं।
गणेश चतुर्थी के महोत्सव में भजन-कीर्तन और धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता हैं। जो भक्तों में भक्ति भावना और समर्पण को बढ़ाने लगता हैं।
सामूहिक आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम
पंडालों और सार्वजनिक स्थानों में नाटक, नृत्य, संगीत और धार्मिक प्रवचनों का भी आयोजन किया जाता हैं। लोग एक साथ होकर भगवान गणेश की महिमा का गुणगान करने लगते हैं और सामूहिक रुप से उनके चरणों को नमन करने लगते हैं।
दस दिनों की भक्ति और उपवास
भक्त गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दौरान दस दिनों तक भक्ति और उपवास करते हैं। कुछ लोग गणेश चतुर्थी के दौरान पूर्ण उपवास रखते हैं जबकि अन्य केवल सात्विक भोजन करते हैं। गणेश भक्त पूरी श्रद्धा और नियम के साथ भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इन दिनों विनम्रता, सेवा और दान को महत्तव देते हैं।
ध्यान दें:- सावन शिवरात्रि
गणेश विसर्जन – Ganesh Visarjan
गणेश चतुर्थी का समापन “गणेश विसर्जन” (Ganesh Visarjan) के साथ होने लगता हैं। गणेश चतुर्थी का समापन दस दिनों के बाद किया जाता हैं। भक्तगण विसर्जन के दिन भगवान गणेश की मूर्ति को बैंड-बाजों और नृत्य के साथ नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित करने लगते हैं।
Ganpati Bappa Morya:- मूर्ति विसर्जन के वक्त लोग “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के जयकारे लगाने लगते हैं। लोग भगवान गणेश से अलगे वर्ष आने की प्रार्थना करने लगते हैं।
Happy Vinayak Chaturthi:- हमारे www.newsbreak.in के सभी सदस्यों की ओर से आप सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं।
आवशयक जानकारी:- देवगुरु बृहस्पति
निष्कर्ष
आशा है कि आप सभी इस गणेश चतुर्थी के महोत्सव पर भगवान श्री गणेश जी को अपने घर पर लाएंगे। और उनकी अच्छे से सेवा करेंगे ताकि भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद आपके घर और परिवार पर सदा बना रहे।
ये हैं गणेश चतुर्थी से संबंधित कुछ जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।
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हमें उम्मीद हैं की गणपति बप्पा आपके घरों में खुशियाँ लेकर आएंगे। हम आशा करते हैं की ये गणेश चतुर्थी आपके घर में खुशहाली लेकर आएंगी।
मुझे आपसे जानना हैं की भगवान शिव ने भगवान गणेश को हाथ का सिर क्यों दिया था? भगवान शिव ने भगवान गणेश को इंसान वाला सिर क्यों नहीं दिया था? यह प्रश्न आज ही मेरे दिमाग में आया था? कृप्या करके आप मुझे इस प्रश्न का उत्तर जरुर देना।