गुमनाम जासूसों पर आधारित हैं सीरिज़

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं सारे जहाँ से अच्छा वेब सीरिज़ के बारे में। अब हम आपसे सारे जहाँ से अच्छा वेब सीरिज़ के बारे में बात करें तो प्रतीक गांधी और सनी हिंदुजा स्टारर वेब सीरिज़ सारे जहाँ से अच्छा इंडिपेंडेंस डे वीक में रिलीज़ हुई हैं। इस वेब सीरिज़ में कुल छह एपिसोड्स हैं। गुमनाम जासूसों पर आधारित प्रतीक गांधी की ये वेब सीरिज़ क्या मचा पाएगी धमाल? यह जानते हुए देखते रहे सारे जहाँ से अच्छा वेब सीरिज़।

इस वेब सीरिज़ में एक संवाद हैं अगर रिस्क नहीं लेना हैं तो हम इस जॉब में कर रहे हैं? इस वेब सीरिज़ में यही कमी खलती हैं। यहाँ पर पात्रों की कार्यशैली में खतरा कम नज़र आता हैं। यही इस वेब सीरिज़ की रोचकता में आड़े आने लगती हैं।

लेखक गौरव शुक्ला और भावेश मंडालिया द्वारा लिखित सच्ची घटना से प्रेरित यह वेब सीरिज़ उन गुमनाम जासूसों पर आधारित हैं जो देश के लिए अपना सर्वस्य न्योछावर कर देते हैं, लेकिन उन्हें कोई सम्मान नहीं मिल पाता हैं।

क्या हैं सारे जहाँ से अच्छा की कहानी?- Kya hain saare jahan se achcha ki kahani?

वेब सीरिज़ की कहानी पिछली सदी के सातवें दशक में सेट हैं। अमेरिका, रुस और चीन में परमाणु बम को बनाने की होड़ में भारतीय वैज्ञानिक डॉ. होमी जहाँगीर बाबा भी देश की सुरक्षा के लिए उसको बनाने के पक्षधर होते हैं। वह डेढ़ साल में एक साक्षात्कार में भारत को न्यूक्लियर पावर बनाने की बात कहते हैं। उसके कुछ दिन बाद एक विमान हादसे में उनकी मृत्यु हो जाती हैं।

Kya hain saare jahan se achcha ki kahani

इस हादसे को भारतीय खुफिया एंजेसी रॉ का एंजेंट विष्णु शंकर चंद मिनटों की देरी के कारन रोक पाने में असफल रहता हैं। इसी बीच रॉ के मुखिया आर एन काओ को पता चलता हैं की 1971 के युद्ध में हार में तिलमिलाए पाकिस्तानी राष्ट्रपति भुड़ों गोपनीय तरीके से परमाणु बम बनाने की तैयारी में हैं।

मिशन की जिम्मेदारी पाकिस्तानी खुफिया एंजेंसी आइएसआइ के प्रमुख मुर्तजा मलिक को सौंपी जाती हैं। वहीं विष्णु को इस्लामाबाद में राजनयिक की आड़ में पाकिस्तानियों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए भेजा जाता हैं। विष्णु पाकिस्तान के साथ देश-विदेश में तैनात एंजेंट की सहायता से इस मिशन को कैसे नाकाम करता हैं। यह कहानी इसी संबंध में होती हैं।

जानिए ज़ोरा फिल्म की कहानी के बारे में।

तीन एपिसोड के बाद खटकेगी ये बातें- Teen episode ke baad khatakegi ye baaten

सुमित पुरोहित द्वारा निर्देशित छह एपिसोड की वेब सीरिज़ सारे जहाँ से अच्छा जासूसों की पेशेवर के साथ निजी जिंदगी की चुनौतियों और द्वंद्व की झलक देती हैं। इसी बार पाकिस्तानी पक्ष केवल बैठकों या चंद संवादों तक सीमित नहीं रखा गया हैं।

Teen episode ke baad khatakegi ye baaten

मुर्तजा के जरिए भारतीय जासूसों पर कसे शिकंजे को भी दिखाया गया हैं। मुर्तजा और विष्णु के बीच टकराव काफी दिलचस्प हैं, लेकिन उसे और रोमांचक बनाने की गुंजाइश थी।

शुरुआत के तीन एपिसोड सीधे तरीके से आगे बढ़ते हैं। इसी दौरान कहानी अमेरिका, रुस, फ्रांस और अन्य देश में जाती हैं, लेकिन कठिनाई यह हैं की इन दोनों देश में जब शह और मात का खेल खेल रहे हैं तब उसमें थ्रिल का अभाव होता हैं। कुछ उप-कथानक बहुत तेज़ी से आगे बढ़ते हैं, लेकिन बिना किसी व्यवधान के बहुत आसानी से सुलझते हैं, इससे कई बार कहानी वास्तविक नहीं बनती हैं।

पाकिस्तानी अखबार के संपादक फातिमा समय से काफी आगे चलती दिखती हैं, लेकिन उनके पात्र में गहराई नहीं हैं। अपने मिशन को किसी भी कीमत पर सफल होते देखने की ख्वाहिश रखने वाला मुर्तजा आखिर में लाचार दिखता हैं। यह क्लाइमैक्स को कमज़ोर बनाता हैं। यहीं नहीं मुर्तजा और विष्णु कब विदेश आते-जाते हैं वह भी पता नहीं चलता हैं।

आवश्यक जानकारी:- सलाकार वेब सीरिज़ की कहानी के बारे में।

निष्कर्ष- Conclusion

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