हरियाणा के बनभौरी माता मंदिर की पौराणिक कथा

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं बनभौरी माता मंदिर के बारे में। अब हम आपसे बनभौरी माता मंदिर के बारे में बात करें तो वास्तव में “बनभौरी माता मंदिर” माँ भ्रामरी देवी मंदिर, बनभौरी, हरियाणा में स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे बनभौरी माता मंदिर के परिचय के बारे में।

बनभौरी माता मंदिर का परिचय- Banbhauri Mata Mandir ka parichay

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं बनभौरी माता मंदिर के परिचय के बारे में। अब हम आपसे बनभौरी माता मंदिर के परिचय के बारे में बात करें तो हरियाणा के हिसार ज़िले के बरवाला कस्बे के पास बनभौरी गाँव में स्थित “माँ भ्रामरी देवी मंदिर” उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक हैं।

Banbhauri Mata Mandir ka parichay

बनभौरी माता मंदिर श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का केंद्र हैं, जहाँ देश-विदेश से लोग अपनी मनोकामनाएँ लेकर आते हैं।

यह माना जाता हैं की माँ भ्रामरी देवी की प्रतिमा यहाँ धरती से स्वयं प्रकट हुई थी। इस मंदिर का वातावरण अति शांत, भव्य और दिव्य हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे बनभौरी माता मंदिर का स्थान और पहुँच के बारे में।

बनभौरी माता मंदिर का स्थान और पहुँच- Banbhauri Mata Mandir ka sthan aur pahunch

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं बनभौरी माता मंदिर के स्थान और पहुँच के बारे में। अब हम आपसे बनभौरी माता मंदिर के स्थान और पहुँच के बारे में बात करें तो माँ भ्रामरी देवी मंदिर हरियाणा राज्य के हिसार ज़िले में बरवाला कस्बे से लगभग 7-8 किलोमीटर दूर बनभौरी गाँव में स्थित हैं।

Banbhauri Mata Mandir ka sthan aur pahunch

यह मंदिर मुख्य सड़क से बिल्कुल पास हैं, इसलिए सड़क मार्ग से पहुँचना आसान हैं।

  • सड़क मार्ग:- हिसार, बरवाला, जिंद, कैथल, फतेहाबाद और दिल्ली से नियमित बस लें और निजी वाहन आसानी से उपलब्ध हैं।
  • रेल मार्ग:- निकटतम रेलवे स्टेशन बरवाला और हिसार हैं, यहाँ से टैक्सी/ऑटो द्वारा मंदिर तक पहुँचा जा सकता हैं।
  • हवाई मार्ग:- निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा हैं।

बनभौरी माता मंदिर गाँव के मध्य में स्थित हैं और यहाँ पार्किंग, प्रसाद, ठहरने और भोजन की मूलभूत सुविधाएँ भी मिलती हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे बनभौरी माता मंदिर के ऐतिहासिक महत्तव के बारे में।

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बनभौरी माता मंदिर का ऐतिहासिक महत्तव- Banbhauri Mata Mandir ka aitihasik mahatva

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं बनभौरी माता मंदिर के ऐतिहासिक महत्तव के बारे में। अब हम आपसे बनभौरी माता मंदिर के ऐतिहासिक महत्तव के बारे में बात करें तो बनभौरी माता मंदिर को उत्तर भारत के प्राचीन शक्तिपीठों में गिना जाता हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार बनभौरी माता मंदिर कई सौ वर्ष पुराना हैं और यहाँ देवी की प्रतिमा धरती से स्वयं प्रकट हुई थी।

Banbhauri Mata Mandir ka aitihasik mahatva

इतिहासकार और श्रद्धालु बताते हैं की पहले यह मंदिर एक छोटा-सा स्थान था, जहाँ गाँव के कुछ लोग पूजा करते थे। समय के साथ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई और इस मंदिर का विस्तार हुआ। वर्तमान स्वरुप में यह मंदिर हरियाणा सरकार व मंदिर समिति की देखरेख में विकसित किया गया हैं।

माँ भ्रामरी देवी को शक्ति की वह रुप माना जाता हैं, जिन्होंने भँवरें का रुप लेकर असुरों का संहार किया था। इसी वजह से इस स्थान का नाम “बनभौरी” पड़ा यानी की जंगल में भँवरें।

आज बनभौरी माता मंदिर हरियाणा के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक हैं। यहाँ हर नवरात्रि और विशेष अवसरों पर लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे बनभौरी माता मंदिर के पौराणिक कथा के बारे में।

बनभौरी माता मंदिर की पौराणिक कथा- Banbhauri Mata Mandir ki pauranik katha

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं बनभौरी माता मंदिर की पौराणिक कथा के बारे में। अब हम आपसे बनभौरी माता मंदिर की पौराणिक कथा के बारे में बात करें तो पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माँ भ्रामरी देवी देवी दुर्गा का एक रुप हैं।

Banbhauri Mata Mandir ki pauranik katha

यह कहा जाता हैं की एक बार अरुण नामक असुर ने देवताओं को परास्त किया और देवलोक में आतंक फैलाया था। तभी भगवान शंकर और अन्य देवताओं ने देवी से प्रार्थना की थी।

तब माँ दुर्गा ने भँवरों के झुंड का रुप धारण किया था। इस स्वरुप में देवी को “भ्रामरी देवी” कहा गया था। देवी ने भँवरों के झुंड से असुर का वध किया था और देवताओं को भयमुक्त किया था।

यह माना जाता हैं की जिस स्थान पर माँ ने इस स्वरुप में प्रकट होकर राक्षसों का संहार किया था, वहीं बाद में “बनभौरी” के नाम से यह शक्तिपीठ प्रसिद्ध हुआ था। यहाँ स्थित प्रतिमा के बारे में यह भी कहा जाता हैं की यह स्वयंभू हैं, इसलिए यहाँ की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती हैं।

हर वर्ष नवरात्रि और अन्य पर्वों पर लाखों श्रद्धालु यहाँ आकर माँ भ्रामरी देवी के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने की प्रार्थना करते हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे मंदिर की स्थापत्य शैली के बारे में।

यह भी जानें:- जीवदानी माता मंदिर की कहानी के बारे में।

मंदिर की स्थापत्य शैली- Mandir ki sthapatya shaily

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं मंदिर की स्थापत्य शैली के बारे में। अब हम आपसे मंदिर की स्थापत्य शैली के बारे में बात करें तो बनभौरी माता मंदिर की बनावट पारंपरिक उत्तर भारतीय शक्तिपीठ शैली को बताती हैं।

Mandir ki sthapatya shaily

यहाँ मुख्य गर्भगृह में माँ भ्रामरी देवी की स्वयंभू प्रतिमा विराजमान हैं।

  • शिखर और तोरण:- इस मंदिर का ऊँचा शिखर लाल व सफेद रंग के पत्थरों से सुसज्जित हैं, जो दूर से भव्य दिखाई देता हैं।
  • गर्भगृह:- अंदर छोटा गर्भगृह हैं लेकिन अति पवित्र हैं, जहाँ अखंड ज्योति जलती रहती हैं।
  • परिसर:- इस मुख्य मंदिर के चारों और पक्की परिक्रमा पथ, खुले हॉल, रसोई और श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था हैं।
  • अन्य देवालय:- इस परिसर में हनुमान, भैरव, शिव-पार्वती और अन्य देवी-देवताओं के छोटे मंदिर हैं।
  • द्वार और सजावट:- इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर विशाल तोरणद्वार हैं जिस पर नवरात्रि और विशेष अवसरों पर रंग-बिरंगें सजावट की जाती हैं।

इस मंदिर की पूरी सरंचना आधुनिक निर्माण सामग्री से विकसित की गई हैं। लेकिन स्थानीय मान्यता और पवित्रता को ध्यान में रखते हुए पारंपरिक शैली को बनाए रखा हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे देवी की विशेषताएँ और मान्यताएँ के बारे में।

देवी की विशेषताएँ और मान्यताएँ- Devi ki visheshta aur manyata

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं देवी की विशेषताएँ और मान्यताएँ के बारे में।

Devi ki visheshta aur manyata

बनभौरी माता मंदिर में देवी की विशेषताएँ और मान्यताएँ निम्नलिखित हैं:-

  • स्वरुप:- माँ भ्रामरी देवी को दुर्गा का वह रुप माना जाता हैं जिसने भँवरों के झुंड का रुप लेकर असुरों का वध किया था। इसलिए माँ भ्रामरी देवी को “भ्रमरी” या “बनभौरी” भी कहते हैं।
  • स्वयंभू प्रतिमा:- यह माना जाता हैं की मंदिर के गर्भगृह में स्थित देवी की प्रतिमा धरती से स्वत: प्रकट हुई थी।
  • मनोकामना पूर्ति:- श्रद्धालु विश्वास करते हैं की यहाँ सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य पूरी होती हैं।
  • अखंड ज्योति:- गर्भगृह में 24 घंटे अखंड ज्योति जलती रहती हैं, जिसको माँ की शक्ति और अनंत कृपा का प्रतीक माना जाता हैं।
  • भँवरें का प्रतीक:- माँ भ्रामरी देवी के चबूतरे और मंदिर परिसर में भँवरों को शुभ संकेत माना जाता हैं।
  • विशेष अवसर:- नवरात्रि और विशेष तिथियों पर यहाँ लाखों श्रद्धालु आकर हवन, भजन, कीर्तन और भंडारे में हिस्सा लेते हैं।

अब हम आपसे चर्चा करेंगे प्रमुख आयोजन व मेले के बारे में।

प्रमुख आयोजन व मेले- Pramukh ayojan aur mele

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं प्रमुख आयोजन व मेले के बारे में।

Pramukh ayojan aur mele

अब हम आपसे प्रमुख आयोजन व मेले के बारे में बात करें तो बनभौरी माता मंदिर के प्रमुख आयोजन व मेले निम्नलिखित हैं:‌-

  • नवरात्रि मेला:- साल में दो बार (चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि) नौ दिनों तक विशेष पूजा, भजन-कीर्तन, हवन और भंडारे आयोजित किए जाते हैं। इन दिनों लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।
  • वार्षिक जागरण:- मंदिर समिति और स्थानीय भक्तों द्वारा समय-समय पर बड़े स्तर पर माँ का जागरण, भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते हैं।
  • विशेष पूजन व अनुष्ठान:- संतान प्राप्ति, व्यापार वृद्धि, रोग निवारण जैसी मनोकामनाओं के लिए भक्त यहाँ विशेष पूजा-अर्चना व अनुष्ठान कराते हैं।
  • भंडारा:‌- नवरात्रि और अन्य पर्वों पर निरंतर लंगर/भंडारे की व्यवस्था रहती हैं।
  • स्थानीय मेले:- मंदिर परिसर और आसपास के मैदानों में लोकनृत्य, मेले, झूले, दुकानों और धार्मिक वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगती हैं।

इन सब आयोजनों के कारण बनभौरी माता मंदिर हरियाणा का एक बड़ा धार्मिक व सांस्कृतिक केंद्र माना जाता हैं।

आवश्यक जानकारी:- मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की कहानी के बारे में।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं बनभौरी माता मंदिर से संबधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। इस जानकारी से आपको बनभौरी माता मंदिर से संबंधित हर प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त होंगी।

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