आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं हेज़ा की बीमारी के बारे में। अब हम आपसे हेज़ा की बीमारी के बारे में बात करें तो हेज़ा एक संक्रामक बीमारी हैं जो Vibrio Cholerae नामक बैक्टीरिया से होती हैं।
आमतौर पर हेज़ा की बीमारी दूषित पानी या भोजन के सेवन से फैलती हैं और बहुत तेज़ डायरिया का कारण बनती हैं। इससे शरीर में पानी और लवण की भारी कमी होती हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे हेज़ा की बीमारी के कारण के बारे में।
हेज़ा की बीमारी का कारण- Heza ki bimari ka karan
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं हेज़ा की बीमारी के कारण के बारे में। अब हम आपसे हेज़ा की बीमारी के कारण के बारे में बात करें तो हेज़ा की बीमारी का मुख्य कारण Vibrio Cholerae नामक बैक्टीरिया हैं।
आमतौर पर यह बैक्टीरिया दूषित पानी और भोजन के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता हैं।
हेज़ा के लक्षण
हेज़ा की बीमारी के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:-
अधिक पतला, पानी जैसा दस्त
उल्टी
मरोड़ और पेट दर्द
तेज़ प्यास लगना
कमज़ोरी और थकान
त्वचा में सूखापन और आँखों का धँस जाना
पेशाब की मात्रा में कमी
रक्तचाप गिर जाना
हेज़ा के प्रमुख कारण
- दूषित पानी पीना:- नलों, कुओं या तालाबों का ऐसा पानी हेज़ा का कारण बनता हैं जिसमें हेज़ा का बैक्टीरिया हो।
- गंदा या अधपका भोजन खाना:- विशेष रुप से ऐसा भोजन हेज़ा का कारण बनता हैं जो खुले में बिकता हैं और मक्खियों के संपर्क में आता हैं।
- संक्रमित व्यक्ति के मल से फैला संक्रमण:- अगर शोच करने के बाद हाथ न धोएँ तब बैक्टीरिया या पानी तक पहुँचता हैं।
- स्वच्छता का अभाव:- गंदगी या खुले में शौच करने की आदत के कारण हेज़ा की बीमारी फैलती हैं।
- बाढ़ या आपदा के बाद हालात:- जब पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं होता और लोग एक-दूसरे के संपर्क में अधिक होते हैं तब हेज़ा की बीमारी होती हैं।
- संक्रमित समुद्री भोजन:- कुछ मामलों में ऐसे भोजन के कारण संक्रमण हो सकता हैं।
संक्रमण कैसे फैलता हैं
हेज़ा का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को सीधे नहीं फैलता हैं, लेकिन संक्रमित व्यक्ति के मल से दूषित पानी/भोजन से सब को हो सकता हैं। एक संक्रमण व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल की गई चीज़े (जैसे की बर्तन या पानी) अगर किसी और ने इस्तेमाल कर लीं तब भी संक्रमण हो सकता हैं।
हेज़ा की बीमारी के बचाव के उपाय
आप हमेशा उबला या फिल्टर किया हुआ पानी ही पी लें। हमेशा आप हाथ धोने की आदत रख लें। विशेष रुप से खाना खाने से पहले या शौच के बाद। आप हमेशा कच्ची सब्जियों, फलों को अच्छी तरह से धोकर ही खा लें।
कभी-भी खुले में बिकने वाला या अधपका भोजन न खा लें। हेज़ा की बीमारी का टीकाकरण उपलब्ध हैं आवश्यक हैं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क कर लें। अब हम आपसे चर्चा करेंगे हेज़ा की बीमारी के घरेलू उपाय के बारे में।
हेज़ा की बीमारी का घरेलू उपाय- Heza ki bimari ka gharelu upay
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं हेज़ा की बीमारी के घरेलू उपाय के बारे में। अब हम आपसे हेज़ा की बीमारी के घरेलू उपाय के बारे में बात करें तो हेज़ा की बीमारी के इलाज़ में सबसे जरुरी हैं शरीर में पानी और लवण की कमी को जल्दी से पूरा करना।
इस बीमारी के इलाज़ में एलोपैथिक इलाज़ के साथ-साथ कुछ घरेलू उपाय भी अत्यंत उपयोगी होते हैं, विशेष रुप से शुरुआती लक्षणों में।
ORS घोल
आप एक लीटर उबलें हुए ठंडे पानी में 6 चम्मच चीनी और ½ चम्मच नमक मिलाकर ORS घोल तैयार कर लें। ORS घोल शरीर में खोया हुआ पानी और नमक तुरंत भरता हैं। इसको हर दस्त के बाद थोड़ा-थोड़ा लेते रहें।
नींबू पानी
नींबू में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। आप दिन में गुनगुने पानी में नींबू का रस, थोड़ा नमक और शहद मिलाकर 2-3 बार पी लें।
धनिया का पानी
आप 1 चम्मच धनिया के बीज को पानी में उबाल लें। इसको ठंडा करके छान लें और धीरे-धीरे पी लें। धनिया का पानी पाचन को शांत करता हैं और दस्त में आराम दिलाता हैं।
अदरक का रस
आप थोड़ा-सा अदरक का रस लेकर उसमें शहद मिला लें। आप इसको दिन में 2 बार लें। अदरक का रस आंतों की सूजन को कम करता हैं और गैस बनने से रोकता हैं।
नारियल पानी
नारियल पानी एक प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक होती हैं। यह शरीर में पानी और मिनरल्स की कमी को पूरा करता हैं।
अनार का रस या छिलके का काढ़ा
अनार का रस दस्त को नियंत्रित करता हैं। पानी में अनार के छिलके को उबालकर पीने से फायदा मिलता हैं।
बेल का शरबत
बेल की गिरी को पानी में घोलकर शरबत तैयार कर लें। बेल का शरबत पेट को ठंडक देता हैं और दस्त में राहत दिलाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे हेज़ा की बीमारी के एलोपैथिक उपचार के बारे में।
आप सिर्फ घरेलू उपायों पर निर्भर न रहें अगर हालात ज्यादा बिगड़ रही हो तो अधिक कमज़ोरी, लगातार दस्त या उल्टी, बुखार, पेशाब कम होना जैसे लक्षण हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखा लें। बच्चों या बुजुर्गों में हेज़ा की बीमारी ज्यादा जानलेवा भी हो सकती हैं अगर इलाज़ में देर हो जाए।
हेज़ा की बीमारी के एलोपैथिक उपचार- Heza ki bimari ke Allopathic Upchar
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं हेज़ा की बीमारी के एलोपैथिक उपचार के बारे में।
अब हम आपसे हेज़ा की बीमारी के एलोपैथिक उपचार के बारे में बात करें तो हेज़ा के एलोपैथिक इलाज़ का मुख्य उद्देश्य हैं:- शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को तुरंत पूरा करना, संक्रमण को रोकना और मरीज़ को शारीरिक रुप से मज़बूत बनाए रखना।
ORS- सबसे जरुरी इलाज़
डॉक्टर की सलाह मात्रानुसार हर दस्त के बाद ORS घोल दिया जाता हैं। ORS का घोल शरीर में पानी और लवण की कमी को तेज़ी से पूरा करता हैं। इसके लिए बाज़ार में WHO- मानक वाले ORS पैकेट भी उपलब्ध हैं।
IV Fluids
यदि मरीज़ बहुत ज्यादा कमज़ोर हो गया हैं या उल्टी इतनी ज्यादा हो की ORS पिया न जा सके तब डॉक्टर IV Fluids चढ़ाते हैं।
एंटीबायोटिक दवाएँ
एलोपैथिक इलाज़ में एंटीबायोटिक दवाएँ वयस्कों के लिए Doxycycline, Azithromycin और Ciprofloxacin उपलब्ध हैं और बच्चों के लिए Azithromycin या Erythromycin उपलब्ध हैं। हेज़ा की बीमारी के लक्षण एंटीबायोटिक से जल्दी कम होते हैं और बैक्टीरिया का संक्रमण भी तेज़ी से रुकता हैं।
जिंक सप्लीमेंट
रोज़ाना जिंक की गोली 10-20mg 10-14 दिन तक दी जाती हैं। जिंक सप्लीमेंट बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाता हैं और दस्त की पुनरावृत्ति को रोकता हैं।
प्रोबायोटिक्स
कुछ डॉक्टर Probiotic sachets देते हैं जो आंतों की हेल्दी बैक्टीरिया को सपोर्ट करते हैं।
हमेशा हेज़ा का इलाज़ डॉक्टर की निगरानी में करवाना चाहिए। आप स्वयं से एंटीबायोटिक न लें। गर्भवती महिलाएँ, बुजुर्ग और छोटे बच्चों में हेज़ा तेज़ी से बिगड़ता हैं इसलिए तुरंत अस्पताल ले जाएँ। मरीज़ को अलग रखें ताकि संक्रमण दूसरों तक न फैलें।
निष्कर्ष- Conclusion
ये हैं हेज़ा की बीमारी के घरेलू नुस्खें से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। इस जानकारी को प्राप्त करने के बाद आपको हेज़ा की बीमारी के घरेलू उपायों के बारे में थोड़ा ज्ञात हो गया होगा। इस जानकारी से आप हेज़ा की बीमारी के इलाज़ में जान जायेगे।
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