जन्माष्टमी: (Janmashtami) भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं जन्माष्टमी के बारे में। अब हम आपसे जन्माष्टमी के बारे में बात करें तो जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता हैं। जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू पंचाग के अनुसार भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं।

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जन्माष्टमी का पर्व कब आता हैं?- Janmashtami ka parv kab aata hain?जन्माष्टमी के पर्व का महत्तव- Janmashtami ke parv ka mahatvभगवान श्रीकृष्ण का जन्म- Birth of Lord Krishnaधार्मिक आस्था और भक्तिसांस्कृतिक और सामाजिक महत्तवशिक्षाएँ और आदर्शराक्षसों का विनाश और धर्म की स्थापनाजन्माष्टमी का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?- Janmashtami ka parv kyon manaya jata hain?भगवान श्रीकृष्ण का अवतार- Incarnation of Lord Krishnaधार्मिक आस्था और भक्ति- Religious faith and devotionशिक्षाओं का पालनसमाज में सामूहिकता और एकताराक्षसों का नाश और धर्म की स्थापनादही-हांडी उत्सव- Dahi-Handi Festivalजन्माष्टमी का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?- Janmashtami ka parv kaise manaya jata hain?जन्माष्टमी को मनाने के निम्नलिखित तरीकेदही-हांडी उत्सवरात्री जागरणकृष्ण जन्म की लीलाझूलनोत्सवजन्माष्टमी 2025 कब आएगा?- Janmashtami 2025 kab aaega?निष्कर्ष- Conclusion

यह त्योहार विष्णु के आठवें अवतार की पूजा के रुप में मनाया जाता हैं। जन्माष्टमी के पर्व के दिन दही-हांडी का भी उत्सव मनाया जाता हैं। इस दिन भक्त उपवास भी रखते हैं। जन्माष्टमी के पर्व के दिन झांकी सजाई जाती हैं और मंदिर भी सजाए जाते हैं।

इस त्योहार की रात्रि को रातभर जागरण का भी आयोजन किया जाता हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की मूर्ति को झूले पर बिठाकर झूलाने की परंपरा भी निभाई जाती हैं। कई स्थानों पर तो भगवान कृष्ण के जन्म की बाल-लीलाओं का नाट्य रुपांतरण भी किया जाता हैं। पूरा भारत देश जन्माष्टमी के त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाता हैं।

जन्माष्टमी के पर्व के बाद राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता हैं। यह पर्व भी मथुरा और वृंदावन में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। राधाष्टमी के पर्व के दिन राधा जी का जन्म हुआ था। जो जन्माष्टमी के कई दिनों बाद मनाया जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे जन्माष्टमी का पर्व कब आता हैं?

जन्माष्टमी का पर्व कब आता हैं?- Janmashtami ka parv kab aata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं जन्माष्टमी का पर्व कब आता हैं? अब हम आपसे जन्माष्टमी के पर्व के मनाने के बारे में बात करें तो जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता हैं।

janmashtami ka parv kab aata hain

यह पर्व हिंदू पंचाग के अनुसार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व अगस्त या सितंबर के महीने में आता हैं।

इस पर्व के कई दिनों बाद राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार राधाष्टमी का पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं। राधाष्टमी के दिन ही महालक्ष्मी व्रत शुरु होता हैं।

जन्माष्टमी के पर्व की तिथि हर वर्ष बदलती रहती हैं। यह तिथि चंद्र कैलेंडर पर आधारित होती हैं। जन्माष्टमी के पर्व की तिथि की जानकारी आप अपने क्षेत्र के पंचाग या कैलेंडर की मदद से प्राप्त कर सकते हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे जन्माष्टमी के पर्व का क्या महत्तव हैं?

जन्माष्टमी के पर्व का महत्तव- Janmashtami ke parv ka mahatv

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं जन्माष्टमी के पर्व के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे जन्माष्टमी के पर्व के महत्तव के बारे में बात करें तो जन्माष्टमी का पर्व हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्तवपूर्ण हैं।

janmashtami ke parv ka mahatv

जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव हैं। जन्माष्टमी का पर्व विष्णु के आठवें अवतार की पूजा के रुप में मनाया जाता हैं। जन्माष्टमी के पर्व के कई पहलु निम्नलिखित हैं:-

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म- Birth of Lord Krishna

जन्माष्टमी के पर्व का सबसे बड़ा महत्तव भगवान कृष्ण के जन्म के साथ जुड़ा हुआ हैं। भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता हैं। यह कहा जाता हैं की भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अधर्म और अन्याय को खत्म करने और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। जन्माष्टमी के पर्व के दिन भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाया जाता हैं। 

धार्मिक आस्था और भक्ति

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और शिक्षाओं का पालन करने वाले भक्तों के लिए जन्माष्टमी का पर्व भक्ति और आस्था का प्रतीक होता हैं। जन्माष्टमी के पर्व के दिन भक्त व्रत रखते हैं। मंदिरों में भजन-कीर्तन करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करने लगते हैं। 

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्तव

जन्माष्टमी का पर्व समाज में एकता और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति सम्मान को दर्शाता हैं। जन्माष्टमी के दिन कई जगहों पर दही-हांड़ी का आयोजन किया जाता हैं। दही-हांडी में लोग समूह में हिस्सा लेते हैं। दही-हांड़ी का आयोजन समुदाय की भावना को बढ़ावा देता हैं। 

शिक्षाएँ और आदर्श

भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और गीता में दिए गए श्रीकृष्ण के उपदेशों में कर्म, धर्म, भक्ति और निष्काम कर्म का महत्तव दर्शाया गया हैं। जन्माष्टमी का पर्व इन शिक्षाओं की याद दिलाता हैं। ये शिक्षाएँ हमें सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता हैं। 

राक्षसों का विनाश और धर्म की स्थापना

भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में कई राक्षसों का वध किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षसों का वध कर पापियों का नाश कर धर्म की स्थापना की थी। जन्माष्टमी के पर्व के दिन उनके जीवन के इन कार्यों को स्मरण कर लोग अधर्म के विरुद्ध धर्म की जीत का उत्सव मनाते हैं। 

जन्माष्टमी का पर्व सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस का उत्सव नहीं हैं बल्कि यह पर्व धर्म, भक्ति, सांस्कृतिक विरासत और समाज में सामूहिकता का प्रतीक हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे जन्माष्टमी का पर्व क्यों मनाया जाता हैं? 

जन्माष्टमी का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?- Janmashtami ka parv kyon manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं जन्माष्टमी के पर्व के मनाने के बारे में। अब हम आपसे जन्माष्टमी के पर्व के मनाने के बारे में बात करें तो जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रुप में मनाया जाता हैं।

janmashtami ka parv kyon manaya jata hain

जन्माष्टमी के पर्व को मनाने के कई धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कारण हैं। यहाँ जन्माष्टमी के पर्व को मनाने के कई महत्तवपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं:- 

भगवान श्रीकृष्ण का अवतार- Incarnation of Lord Krishna

जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के आठवें अवतार हैं। भगवान विष्णु ने आठवा अवतार भगवान श्रीकृष्ण के रुप में धरती पर धर्म की पुनर्स्थापना और अधर्म का नाश करने के लिए लिया था। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन को मनाकर भक्त उनके आगमन का उत्सव मनाते हैं। 

धार्मिक आस्था और भक्ति- Religious faith and devotion

भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम, करुणा और धर्म के प्रतीक के रुप में पूजा जाता हैं। लोग भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन पर व्रत रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। जन्माष्टमी के पर्व के दिन भगवान के प्रति अपनी आस्था और भक्ति को व्यक्त करने का एक मौका होता हैं। 

शिक्षाओं का पालन

भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन और भगवदगीता में दिए गए उपदेशों में कर्मयोग, भक्ति और निष्काम कार्य का महत्तव दर्शाया हैं। जन्माष्टमी का पर्व इन शिक्षाओं को स्मरण दिलाता हैं और हमें धर्म, सच्चाई और नैतिकता के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता हैं। 

समाज में सामूहिकता और एकता

जन्माष्टमी का जश्न मंदिरों और समाज में सामूहिक रुप से मनाया जाता हैं। इससे समाज में एकता और सामूहिकता की भावना बढ़ने लगती हैं। मथूरा और वृंदावन जैसे स्थानों पर जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती हैं। क्योंकि मथूरा और वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण का जीवन बीता था। 

राक्षसों का नाश और धर्म की स्थापना

भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में कई राक्षसों का वध किया था और अधर्म को पूर्ण रुप से समाप्त किया था। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कंस जैसे अत्याचारी शासक का वध करने और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए हुआ था। जन्माष्टमी के दिन को मनाकर भक्त अधर्म के विरुद्ध धर्म की विजय का उत्सव मनाते हैं।

दही-हांडी उत्सव- Dahi-Handi Festival

जन्माष्टमी के पर्व के दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं की झलक दही-हांडी प्रतियोगिताओं में देखने को मिलती हैं। जन्माष्टमी के पर्व का उत्सव भगवान श्रीकृष्ण के माखन चोरी की लीला का प्रतीक हैं।

इस पर्व को विशेष रुप से महाराष्ट्र और गुजरात में बड़े धुमधाम से मनाया जाता हैं। जन्माष्टमी के पर्व के उत्सव के अनुसार समाज में एकता और सहयोग की भावना को बल मिलता हैं। 

जन्माष्टमी के पर्व का उत्सव भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य अवतार की याद दिलाते हुए उनकी शिक्षाओं का पालन करने और समाज में सद्भावना और एकता का प्रसार करने के लिए मनाया जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे जन्माष्टमी का पर्व कैसे मनाया जाता हैं? 

जन्माष्टमी का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?- Janmashtami ka parv kaise manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं जन्माष्टमी का पर्व कैसे मनाया जाता हैं? अब हम आपसे जन्माष्टमी के पर्व को मनाने के बारे में बात करें तो जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रुप में बड़े धुमधाम से मनाया जाता हैं।

janmashtami ka parv kaise manaya jata hain

जन्माष्टमी के पर्व को मनाने के कई अलग-अलग तरीके हैं जो क्षेत्र और परंपरा के अनुसार अलग-अलग होते हैं। यहाँ जन्माष्टमी मनाने के प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं:-

जन्माष्टमी को मनाने के निम्नलिखित तरीके

  • व्रत और उपवास:- जन्माष्टमी के पर्व के दिन भक्त उपवास करते हैं। कुछ लोग जन्माष्टमी के पर्व के दिन पूरे दिन निर्जल व्रत रखते हैं जबकि कुछ लोग जन्माष्टमी के पर्व के दिन फल, दूध और अन्य सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।
  • पूजा और आराधना:- भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा मंदिरों और घरों में की जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में भगवान की मूर्ति को स्नान कराया जाता हैं। भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और गहनों से सजाया जाता हैं। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को भोग अर्पित किया जाता हैं और भजन-कीर्तन किए जाते हैं। 
  • झांकी सजाना:- भगवान श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं को प्रदर्शित करने वाली झांकियाँ मंदिरों और घरों में सजाई जाती हैं। इन झांकियों में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े महत्तवपूर्ण प्रसंग दिखाए जाते हैं। महत्तवपूर्ण प्रसंग जैसे की बाल श्रीकृष्ण का माखन चुराना, राधा-कृष्ण का रासलीला और गोवर्धन पर्वत उठाना आदि।

दही-हांडी उत्सव

दही-हांडी का उत्सव महाराष्ट्र और गुजरात में बड़े धुमधाम से मनाया जाता हैं। दही-हांडी के आयोजन में ऊँचाई पर दही से भरी मटकी बाँधी जाती हैं। युवा बालक-गोपियों की टोली एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर मटकी फोड़ने का प्रयास करते हैं। यह उत्सव भगवान श्रीकृष्ण की माखन चुराने की लीला का प्रतीक हैं।

रात्री जागरण

जन्माष्टमी के पर्व के दिन रातभर जागरण का आयोजन किया जाता हैं। इसी दौरान भक्त भजन-कीर्तन करते हैं, श्रीमद्भागवद गीता और भागवत पुराण का पाठ करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की स्तुतियाँ गाते हैं। जन्माष्टमी की मध्यरात्रि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का समय माना जाता हैं। विशेष रुप से आरती और भोग का आयोजन किया जाता हैं।

कृष्ण जन्म की लीला

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म और उनकी बाल-लीलाओं का नाट्य रुपांतरण कई स्थानों पर किया जाता हैं। इस लीला में बच्चे और वयस्क भगवान श्रीकृष्ण, राधा और अन्य पात्रों के रुप में सजते हैं तथा भगवान श्रीकृष्ण की कथाओं का मंचन करते हैं।

झूलनोत्सव

भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को झूले पर बिठाकर झूलाने की परंपरा निभाई जाती हैं। इस झूले को फूलों और रोशनी से सजाया जाता हैं। इस दिन भक्त झूला झूलाते हुए भजन गाते हैं।

जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण की दिव्यता और उनकी लीलाओं को स्मरण दिलाते हुए मनाया जाता हैं। जन्माष्टमी का पर्व भक्तों के लिए भगवान के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम को व्यक्त करने का एक महत्तवपूर्ण मौका होता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे जन्माष्टमी 2025 कब आएगा? 

जन्माष्टमी 2025 कब आएगा?- Janmashtami 2025 kab aaega?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं जन्माष्टमी 2025 कब आएगा? अब हम आपसे जन्माष्टमी 2025 के बारे में बात करें तो जन्माष्टमी 2025 15 और 16 अगस्त को मनाई जा रही हैं। कहने का भाव यह हैं की जन्माष्टमी आज और कल मनाई जाएगी।

janmashtami 2024 kab aaega

जन्माष्टमी का पर्व हिंदू पंचाग के अनुसार भाद्रपद मास की अष्टमी को मनाया जाता हैं। जन्माष्टमी का पर्व इस बार 2025 में दो दिनों तक मनाया जा रहा हैं। विशेष रुप से जन्माष्टमी की तिथि का आरंभ और समाप्ति दो अलग-अलग दिनों में हो रही हैं।

अलग-अलग स्थानों पर लोग जन्माष्टमी को 15 अगस्त को स्मार्त जन्माष्टमी और 16 अगस्त को वैष्णव जन्माष्टमी के रुप में मना रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का समय रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के आधार पर किया जा रहा हैं। साथ ही कई स्थानों पर जन्माष्टमी के साथ-साथ राधाष्टमी भी मनाई जाती हैं। इस बार 2025 में राधाष्टमी का पर्व 31 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं जन्माष्टमी 2025 से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।

जानकारी को लाइक व कमेंट करने पर हमें प्रोत्साहन मिलेगा ताकि हम आपको बहेतर-से-बहेतर जानकारियाँ प्राप्त करवा सके।

हम आपसे आशा करते हैं की हमारी दी हुई जानकारी को प्राप्त करने के बाद आपको थोड़ी संतुष्टि मिली होगी। हमारा उद्देश्य आपको घुमराह करना नहीं हैं बल्कि आप तक सही जानकारी प्राप्त करवाना हैं। 

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मैं रोज़ाना की खबरों पर लिखने के लिए प्रेरित हूँ और भारत की सभी खबरों को कवर करता हूँ। मेरा लक्ष्य पाठकों को ताज़ा जानकारी प्रदान करना है, जो उन्हें समाचार की समझ और देशव्यापी घटनाओं की खोज में मदद करे।
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