आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं कार्तिक मास के बारे में। अब हम आपसे कार्तिक मास के बारे में बात करें तो कार्तिक मास चातुर्मास का अतिंम और अत्यंत पवित्र महीना माना जाता हैं। कार्तिक मास का महीना आश्विन मास के महीने के बाद आता हैं।
धार्मिक दृष्टि से कार्तिक मास को बहुत शुभ और पुण्यदायी माना जाता हैं। विशेष रुप से कार्तिक मास के महीने को भगवान विष्णु और शिव की पूजा के लिए समर्पित किया गया हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे कार्तिक मास के आने के बारे में।
कार्तिक मास कब आता हैं? – Kartik maas kab aata hain?
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं कार्तिक मास के आने के बारे में। अब हम आपसे कार्तिक मास के आने के बारे में बात करें तो हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास आश्विन मास के बाद आता हैं।
आमतौर पर कार्तिक मास अक्टूबर-नवंबर के महीने में आता हैं। कार्तिक मास चंद्र पंचाग के आधार पर होता हैं। कार्तिक मास की तिथियाँ हर साल बदल सकती हैं।
आश्विन मास की पूर्णिमा के बाद कार्तिक मास की शुरुआत होती हैं। कार्तिक मास का समापन कार्तिक पूर्णिमा पर होता हैं। कार्तिक मास की अवधि में दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं।
आमतौर पर कार्तिक मास के प्रमुख त्योहार अक्टूबर-नवंबर के महीने के दौरान पड़ते हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे कार्तिक मास के महत्तव के बारे में।
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कार्तिक मास का महत्तव – Kartik maas ka mahatv
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं कार्तिक मास के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे कार्तिक मास के महत्तव के बारे में बात करें तो हिंदू धर्म में कार्तिक मास का अधिक महत्तव हैं। कार्तिक मास चातुर्मास का अतिंम और अत्यंत पवित्र महीना माना जाता हैं।
कार्तिक मास आश्विन मास के बाद आता हैं। धार्मिक दृष्टि से कार्तिक मास को बहुत शुभ और पुण्यदायी माना जाता हैं। विशेष रुप से कार्तिक मास को भगवान विष्णु और शिव की पूजा के लिए समर्पित किया गया हैं। यहाँ कार्तिक मास के महत्तव निम्नलिखित हैं:-
धार्मिक महत्तव
- व्रत और उपवास:- लोग कार्तिक मास में उपवास करते हैं और अलग-अलग धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करते हैं। विशेषकर महिलाएँ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आशीर्वाद के लिए व्रत रखती हैं।
- धनतेरस, दीपावली और भाई दूज:- इस मास में धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। विशेष रुप से दीपावली लक्ष्मी और गणेश की पूजा का त्योहार हैं।
- कार्तिक पूर्णिमा:- कार्तिक पूर्णिमा का दिन विशेष महत्तव रखता हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान का अधिक पुण्य माना जाता हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा और दीप दान करने की परंपरा भी हैं।
स्नान का महत्तव
कार्तिक मास में स्नान का विशेष महत्तव होता हैं विशेषकर नदी में स्नान करना। गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य के पापों का नाश होता हैं। ऐसा कहा जाता हैं की कार्तिक मास में स्नान की परंपरा पूरे महीने तक चलती हैं। इसे “कार्तिक स्नान” भी कहा जाता हैं।
भगवान विष्णु और शिव की पूजा
कार्तिक मास भगवान विष्णु को समर्पित हैं। कार्तिक मास के महीने में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन करना, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना और तुलसी पूजा करना शुभ माना जाता हैं।
भगवान शिव की आराधना और कार्तिकेय की पूजा भी कार्तिक मास में की जाती हैं। भक्त कार्तिकेय की पूजा करने के बाद लोग उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं।
तुलसी विवाह
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी विवाह होता हैं। कार्तिक मास की एकादशी के दिन तुलसी के पौधे का विवाह भगवान विष्णु के अवतार शालिग्राम से किया जाता हैं। तुलसी विवाह धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता हैं।
पुण्यकाल
कार्तिक मास में किया गया कोई भी धार्मिक कार्य कई गुना अधिक फलदायी होता हैं। इस मास को भगवान विष्णु का प्रिय महीना कहा जाता हैं। कार्तिक मास में भगवान विष्णु की पूजा से विशेष पुण्य की प्राप्ति हो सकती हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे कार्तिक मास के त्योहार के बारे में।
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कार्तिक मास के त्योहार – Kartik maas ke tyohar
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं कार्तिक मास के त्योहार के बारे में। अब हम आपसे कार्तिक मास के त्योहार के बारे में बात करें तो कार्तिक मास के दौरान कई महत्तवपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं।
ये त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अधिक महत्तवपूर्ण हैं। यहाँ कार्तिक मास में आने वाले प्रमुख त्योहार निम्नलिखित हैं:-
करवा चौथ
करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता हैं। विवाहित महिलाएँ करवा चौथ का व्रत अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए रखती हैं। करवा चौथ का व्रत निर्जला होता हैं और विवाहित महिलाएँ चाँद देखकर करवा चौथ का व्रथ खोलती हैं।
अहोई अष्टमी
अहोई अष्टमी का त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं। अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएँ अपने बच्चों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा की जाती हैं।
धनतेरस
धनतेरस का त्योहार कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता हैं। धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी और धनवंतरि की पूजा की जाती हैं। धनतेरस के दिन घरों में धन-संपत्ति की वृद्धि के लिए नए बर्तन, आभूषण या धातु के सामान खरीदें जाते हैं।
नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली)
चरक चतुर्दशी कार्तिक मास की चतुर्दशी को मनाया जाता हैं। नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इस त्योहार को नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली के रुप में मनाया जाता हैं।
दीपावली
दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता हैं। दीपावली का त्योहार सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार हैं। दीपावली के त्योहार के दिन भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में घरों और मंदिरों को दीपों से सजाया जाता हैं। दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती हैं।
गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता हैं। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा को याद किया जाता हैं। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के रुप में मनाया जाता हैं। गोवर्धन पूजा के दिन गायों और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती हैं।
भाई दूज
भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता हैं। भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते का पर्व हैं। इसमें बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
देवउठनी एकादशी
देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता हैं। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। इसी दिन से शुभ कार्य, जैसे विवाह पुन: आरम्भ होते हैं।
चार महीने पहले जब भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में जाते हैं तो उस दिन को देवशयनी एकादशी कहते हैं। देवशयनी एकादशी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती हैं।
जब भगवान विष्णु योग निद्रा में जाते हैं तब कोई भी मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए। जब भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं तब कोई भी मांगलिक कार्य करना शुभ माना जाता हैं। जब भगवान विष्णु योग निद्रा में जाते हैं तब भगवान शिव के परिवार के लोग सृष्टि का संचालन करते हैं।
तुलसी विवाह
तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी या इसके आसपास के दिन होता हैं। तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे का विवाह भगवान विष्णु के अवतार शालिग्राम से किया जाता हैं। तुलसी विवाह धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता हैं।
कार्तिक पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा का दिन विशेष रुप से गंगा स्नान और दीपदान के लिए महत्तवपूर्ण हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्तव हैं। गुरु नानक जयंती भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती हैं।
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निष्कर्ष – Conclusion
ये हैं कार्तिक मास से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।
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कार्तिक मास का महीना हमारे हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा खास हैं। कार्तिक मास में हम जो भी व्रत व उपवास रखते हैं वो सफल होता हैं। कार्तिक मास का महीना व्रत व उपवास के मामले में अधिक खास हैं।