करवा चौथ: पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना का व्रत

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं करवा चौथ के व्रत के बारे में। अब हम आपसे करवा चौथ के व्रत के बारे में बात करें तो भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत अत्यंत महत्तवपूर्ण होता हैं।

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करवा चौथ का पर्व कब आता हैं?- Karva Chauth ka parv kab aata hain?करवा चौथ के पर्व का महत्तव- Karva Chauth ke parv ka mahatvपति की लंबी उम्र की कामनादाम्पत्य जीवन की सुख-समृद्धिसामाजिक और पारिवारिक एकतासंस्कार और परंपराओं का निर्वहनआध्यात्मिक महत्तवचंद्रमा का महत्तवकरवा चौथ का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?- Karva Chauth ka parv kyon manaya jata hain?पौराणिक कथा से जुड़ा कारणकरवा और साहस की कथाफसल की कटाई और सौभाग्य का पर्वस्त्री शक्ति और पतिव्रता धर्मकरवा चौथ का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?- Karva Chauth ka parv kaise manaya jata hain?व्रत की तैयारी (सज-धज और श्रृंगार)सरगी (सुबह की पूजा और भोजन)पूजा सामग्री की तैयारीशाम की पूजाचंद्र दर्शन (चंद्रमा को अर्घ्य देना)भोजन और उत्सवनिष्कर्ष- Conclusion

करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक होता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे करवा चौथ के पर्व के आने के बारे में।

करवा चौथ का पर्व कब आता हैं?- Karva Chauth ka parv kab aata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं करवा चौथ के पर्व के आने के बारे में। अब हम आपसे करवा चौथ के पर्व के आने के बारे में बात करें तो हर वर्ष करवा चौथ का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता हैं। करवा चौथ का पर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार आता हैं।

karva chauth ka parv kab aata hain

सामान्य तौर पर यह पर्व अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता हैं। करवा चौथ के पर्व के दिन विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।

इस दिन विवाहित महिलाएँ चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करती हैं। करवा चौथ का पर्व इस वर्ष 2025 में 10 अक्टूबर 2025 को हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे करवा चौथ के पर्व के महत्तव के बारे में।

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करवा चौथ के पर्व का महत्तव- Karva Chauth ke parv ka mahatv

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं करवा चौथ के पर्व के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे करवा चौथ के पर्व के महत्तव के बारे में बात करें तो भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए करवा चौथ का पर्व अत्यंत महत्तवपूर्ण हैं।

karva chauth ke parv ka mahatv

करवा चौथ का पर्व पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक होता हैं। करवा चौथ का व्रत खासतौर से उत्तर भारत में ज्यादा मान्यता प्राप्त हैं। करवा चौथ को देश के अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता हैं। करवा चौथ के पर्व के निम्नलिखित महत्तव हैं:-

पति की लंबी उम्र की कामना

महिलाएँ करवा चौथ के दिन निर्जला (बिना पानी के) व्रत रखती हैं। साथ में महिलाएँ करवा चौथ के दिन भगवान शिव, देवी पार्वती और चंद्रमा से अपनी पति की लंबी उम्र और सुरक्षा की प्रार्थना भी करती हैं।

दाम्पत्य जीवन की सुख-समृद्धि

करवा चौथ के व्रत के माध्यम से पति-पत्नी के बीच के रिश्ते में प्रेम और समर्पण को मज़बूत करने का प्रयास किया जाता हैं। विवाहित महिलाएँ अपने पति की भलाई और उनके सुखद जीवन की कामना भी करती हैं।

सामाजिक और पारिवारिक एकता

करवा चौथ का पर्व एक ऐसा पर्व हैं जिसमें परिवार को एक साथ लाने का मौका प्रदान किया जाता हैं। करवा चौथ के पर्व के दिन महिलाएँ अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ मिलकर पूजा करती हैं। इससे सामाजिक और पारिवारिक संबंध मज़बूत होते हैं।

संस्कार और परंपराओं का निर्वहन

करवा चौथ का पर्व भारतीय परंपराओं और संस्कारों को जीवित रखने का प्रतीक हैं। इस दिन महिलाएँ विशेष पूजा सामग्री जैसे करवा (मिट्टी का घड़ा), छलनी, दीपक आदि का इस्तेमाल करती हैं। यह व्रत परंपरा का एक हिस्सा हैं।

आध्यात्मिक महत्तव

महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत संयम, धैर्य और आत्म-नियंत्रण की परीक्षा हैं। इस व्रत के द्वारा महिलाएँ अपने आत्मबल और शक्ति को अनुभव करती हैं।

चंद्रमा का महत्तव

इस दिन चंद्रमा विशेष पूजा का केंद्र होता हैं। यह कहा जाता हैं की चंद्रमा शांति और समृद्धि का प्रतीक होता हैं। महिलाएँ चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे करवा चौथ के पर्व को मनाने के बारे में।

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करवा चौथ का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?- Karva Chauth ka parv kyon manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं करवा चौथ के पर्व को मनाने के बारे में। अब हम आपसे करवा चौथ के पर्व को मनाने के बारे में बात करें तो करवा चौथ का पर्व ऐतिहासिक और धार्मिक कारणों से मनाया जाता हैं।

karva chauth ka parv kyon manaya jata hain

यह पर्व प्रेम, समर्पण और परंपराओं से जुड़ा हुआ हैं। करवा चौथ के पर्व के पीछे कई पौराणिक कथाएँ और लोककथाएँ हैं जो इस पर्व को अत्यंत महत्तवपूर्ण बनाती हैं। करवा चौथ के पर्व को मनाने के निम्नलिखित कारण हैं:-

पौराणिक कथा से जुड़ा कारण

करवा चौथ का पर्व कई पौराणिक कथाओं से संबंधित हैं। इन कथाओं में से एक कथा वीरवती की भी हैं:-

  • वीरवती की कथा:- वीरवती नाम की एक सुंदर और धर्मपरायण रानी थी जो अपने भाईयों के बीच एकमात्र बहन थी। वीरवती ने पहला करवा चौथ का व्रत विवाह के बाद अपने पति की लंबी आयु के लिए रखा था। वीरवती दिनभर व्रत रखने के कारण बहुत ज्यादा कमज़ोर हो गई थी। वीरवती के भाई वीरवती की स्थिति देखकर चिंतित हो गए और वीरवती के भाई ने चंद्रमा चिकलने से पहले ही छल से एक दीप जलाकर उसे चंद्रमा का आभास कराया था। वीरवती ने असली चंद्रमा समझकर व्रत तोड़ दिया था। उसी वक्त वीरवती के पति की मृत्यु हो गई थी। उसके बाद वीरवती ने अपने पति को पुनर्जीवित करने के लिए घोर तपस्या की थी। साथ ही वीरवती ने करवा चौथ का व्रत सही तरीके से पूरा किया। इसके फलस्वरुप वीरवती के पति को जीवनदान मिला था।

करवा और साहस की कथा

एक दूसरी कथा के अनुसार करवा नामक एक पतिव्रता स्त्री थी। करवा का पति एक दिन नदी में स्नान करते वक्त मगरमच्छ का शिकार हो गया था। अपनी भक्ति और साहस से करवा ने मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया था। करवा ने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की प्रार्थना की थी।

करवा की भक्ति से प्रभावित होने के बाद यमराज ने मगरमच्छ को मृत्यु दंड दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया था। महिलाएँ इसी कथा के आधार पर अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं।

फसल की कटाई और सौभाग्य का पर्व

ऐतिहासिक रुप से करवा चौथ का पर्व उस समय मनाया जाता था जब खरीफ फसल (धान, बाज़रा आदि) की कटाई का वक्त होता था। कृषि और पानी संग्रहण के लिए करवा (मिट्टी का घड़ा) का इस्तेमाल किया जाता था।

महिलाएँ इसी वक्त अपने घर और खेतों की समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती थी। यह परंपरा धीरे-धीरे पति की लंबी उम्र और दाम्पत्य जीवन की खुशहाली से जुड़ गई थी।

स्त्री शक्ति और पतिव्रता धर्म

स्त्री को भारतीय संस्कृति में शक्ति और धैर्य का प्रतीक माना जाता हैं। करवा चौथ का पर्व स्त्री की शक्ति और समर्पण का प्रतीक होता हैं जो एक पत्नी अपने पति के लिए दिखाती हैं।

करवा चौथ का पर्व पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को सुदृढ़ करता हैं। करवा चौथ का पर्व दाम्पत्य जीवन में प्रेम और विश्वास की नींव को मज़बूत करता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे करवा चौथ के पर्व को मनाने के बारे में।

आवश्यक जानकारी:- शरद नवरात्रि के पर्व के महत्तव।

करवा चौथ का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?- Karva Chauth ka parv kaise manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं करवा चौथ के पर्व को मनाने के बारे में। अब हम आपसे करवा चौथ के पर्व को मनाने के बारे में बात करें तो करवा चौथ का पर्व विशेष विधि-विधान और परंपराओं के साथ मनाया जाता हैं।

karva chauth ka parv kaise manaya jata hain

पूरे दिन विवाहित महिलाएँ निर्जला (बिना पानी और भोजन के‌‌) व्रत रखती हैं। पूरे दिन विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए पूजा करती हैं। करवा चौथ के पर्व की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:-

व्रत की तैयारी (सज-धज और श्रृंगार)

महिलाएँ विशेष रुप से करवा चौथ पर सजती-संवरती हैं। महिलाएँ विवाह के दौरान पहले जाने वाले वस्त्र, जैसे साड़ी या लहंगा पहनती हैं और श्रृंगार करती हैं। श्रृंगार में मेंहदी, चूड़ियाँ, बिंदी, सिंदूर आदि का इस्तेमाल करती हैं।

ऐसा कहा जाता हैं की विवाहित स्त्रियों का श्रृंगार स्त्री के पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की समृद्धि का प्रतीक होता हैं।

सरगी (सुबह की पूजा और भोजन)

सरगी एक जरुरी रस्म हैं जो सूर्योदय से पहले सास अपनी बहू को देती हैं। सरगी में कुछ विशेष प्रकार के भोजन जैसे फल, मिठाइयाँ, मेवे और पानी शामिल होते हैं। इस सरगी को खाने के बाद महिलाएँ व्रत की शुरुआत करती हैं। सरगी को ग्रहण करने के बाद पूरे दिन महिलाएँ बिना पानी और भोजन के व्रत रखती हैं।

पूजा सामग्री की तैयारी

करवा चौथ की पूजा के लिए विशेष सामग्री का इस्तेमाल किया जाता हैं। विशेष सामग्री में करवा (मिट्टी का घड़ा), दीपक, छलनी, चावल, रोली, सिंदूर, मेंहदी, मिठाई, जल से भरा लोटा और पूजा की थाली शामिल होती हैं।

यह सभी विशेष सामग्री पूजा के लिए जरुरी होती हैं। इन सब के द्वारा महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती और चंद्रमा की पूजा करती हैं।

शाम की पूजा

महिलाएँ शाम के वक्त सामूहिक रुप से या घर पर बैठकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। कथा सुनने के बाद सभी महिलाएँ करवा में जल भरकर भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा करती हैं।

पूजा के दौरान करवा को घुमाकर देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता हैं। देवी-देवताओं के आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती हैं।

  • करवा चौथ की कथा:- इसी समय करवा चौथ की पौराणिक कथा सुनाई जाती हैं। पौराणिक कथा वीरवती या करवा और उनके पति के प्रेम और समर्पण की कहानी होती हैं। पौराणिक कथा करवा चौथ के व्रत के महत्तव और धार्मिक आधार को बताती हैं।

चंद्र दर्शन (चंद्रमा को अर्घ्य देना)

रात के समय चंद्रमा निकलने पर महिलाएँ चंद्रमा को छलनी से देखकर पूजा करती हैं। सबसे पहले महिलाएँ चंद्रमा को जल से अर्घ्य देती हैं और फिर अपने पति के दर्शन करती हैं। छ्लनी से चंद्रमा और पति दोनों को देखने की रस्म का गहरा धार्मिक और सांकेतिक महत्तव हैं।

  • पति का व्रत तोड़ना:- चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर और कुछ खिलाकर व्रत तोड़वाता हैं। इन सब के बाद महिलाएँ भोजन करती हैं।

भोजन और उत्सव

महिलाएँ व्रत पूर्ण होने के बाद अपने परिवार के साथ भोजन करती हैं। सभी परिवारजन इसी समय एक साथ भोजन करते हैं जो उत्सव का माहौल बनाता हैं। महिलाएँ कई स्थानों पर एक-दूसरे के साथ मिलकर त्योहार की खुशियाँ बाँटती हैं।

जरुर पढ़े:- गणेश चतुर्थी के महत्तव के बारे में।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं करवा के पर्व से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।

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