आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं द बंगाल फाइल्स फिल्म के बारे में। अब हम आपसे द बंगाल फाइल्स फिल्म के बारे में बात करें तो विवेक अग्निहोत्री की राजनीतिक ड्रामा फिल्म द बंगाल फाइल्स 5 सितंबर 2025 को बड़े पर्दे पर रिलीज़ हुई हैं।
द बंगाल फाइल्स विवेक अग्निहोत्री की द फाइल्स ट्रायोलॉजी की तीसरी फिल्म हैं। इन सब से पहले उनकी दो मूवीज द ताशकंद फाइल्स और द कश्मीर फाइल्स आ गई हैं।
देश विभाजन से पहले 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग द्वारा भारत के विभाजन और स्वतंत्र मुस्लिम देश पाकिस्तान के निर्माण के आह्वान के लिए आरम्भ किए गए “डायरेक्ट एक्शन डे” के बाद, कलकत्ता में हुई सांप्रदायिक हिंसा के परिणामस्वरुप हज़ारों लोग मारे गए थे।
ब्रिटिश राज में हिंदुओं पर हुए ये हमले- British Raj mein hindu par hue ye hamle
इस तरह की हिंसा ब्रिटिश बंगाल के नोआखली जिले में हुई थी, जिसमें हिंदुओं पर व्यवस्थित रुप से हमले हुए, जिसमें हत्याएँ, बलत्कार, जबरन धर्मांतरण, घरों की लूट और आगजनी शामिल थी।
इन घटनाओं को विवेक अग्निहोत्री ने इतिहास की इस बार अपनी ट्रायोलॉजी की आखिरी फिल्म द बंगाल फाइल्स में खोला हैं। इतिहास के इस पन्ने को बताने के साथ उन्होंने यह बताने का प्रयास किया हैं की विभाजन के 78 साल बाद भी बंगाल के हालात कमोवेश वैसे हैं।
जानिए बागी 4 फिल्म की कहानी के बारे में।
क्या हैं फिल्म की कहानी?- Kya hain film ki kahani?
इस फिल्म की शुरुआत देश विभाजन को लेकर लार्ड माउंटबेटन, जवाहरलाल नेहरु और मुहम्मद अली जिन्ना के बीच देश के बीच चर्चा और बहस से होती हैं। जहाँ अंग्रेज, मुसलमानों के लिए एक अलग देश बनाने की मांग करते हैं। दूसरी तरफ महात्मा गांधी इसका कड़ा विरोध करते हैं। फिर कहानी वर्तमान में आ जाती हैं।
बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक दलित लड़की गायब होने का आरोप स्थानीय विधायक सरदार हुसैन पर लग जाता हैं, जो बांग्लादेशी प्रवासियों को अवैध रुप से पश्चिम बंगाल में आने में सहायता करने के लिए कुख्यात हैं, इसका मुर्शिदाबाद में वोट बैंक बनाने पर भी असर पड़ता हैं। हाई कोर्ट ने सीबीआई जाँच की संस्तुति की हैं।
दिल्ली से सीबीआई अधिकारी शिवा पंडित को मामले की जाँच के लिए भेजा जाता हैं। मामले में संदिग्ध करीब सौ साल की बूढ़ी माँ भारती को बताया जाता हैं। कश्मीरी पंडित शिवा का अतीत हैं, जो उसे सालता हैं। वहाँ पहुँचने पर उसको पता चलता हैं की बंगाल में दो संविधान चलते हैं।
माँ भारती के अतीत के साथ बंगाल के इतिहास से उसका परिचय होता हैं। इसके साथ ही सरदार हुसैनी की दबंगई के आगे वह स्वयं को लाचार पाता हैं। उसको लगता हैं की आज़ादी के पहले और बाद के हालात कमोबेश एकसमान हैं।
काफी शोध करके बनाई गई हैं फिल्म- Kafi shodh karke banai gai hain film
द ताशकंद फाइल्स में लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत को लेकर विवेक को काफी सराहना मिली थी। इन सब के बाद आई द कश्मीर फाइल्स ने कश्मीरी पंडितों के पलायन के मुद्दे को उठाया हैं। अभी बंगाल के इतिहास की परतों को माँ भारती के जरिए खोला हैं।
इसमें कोई दोराह नहीं हैं की उन्होंने गहन शोध किया हैं, लेकिन लेखन के स्तर पर यह चुस्त फिल्म नहीं बन पाई हैं। इस फिल्म को समझने के लिए इतिहास से परिचित होना बहुत आवश्यक हैं। इसको चुस्त संपादन से छोटा करने की पूरी गुजाइंश थी।
डायरेक्ट एक्शन डे भारतीय इतिहास का काला अध्याय हैं। यह फिल्म वहाँ तक आने में काफी समय लेती हैं। यह बेहद संवेदनशील और झकरोने वाली घटना हैं। परदे पर इस त्रासदी को कुछ हद तक असरदार ढ़ंग से चित्रित किया गया हैं, लेकिन फिर तेज़ी से आगे बढ़ जाती हैं।
आवश्यक जानकारी:- परम सुंदरी फिल्म की कहानी के बारे में।
निष्कर्ष- Conclusion
ये हैं द बंगाल फाइल्स फिल्म से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। इस जानकारी से आपको द बंगाल फाइल्स फिल्म की कहानी के बारे में हर प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त होंगी।
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