महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग: शिव की विभिन्न लीलाओं का प्रतीक

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं महादेव के ज्योतिर्लिंग के बारे में। अब हम आपसे महादेव के ज्योतिर्लिंग के बारे में बात करें तो महादेव के ज्योतिर्लिंग अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं। पहले, हम आपसे चर्चा करेंगे महादेव के ज्योतिर्लिंग के नाम के बारे में। 

महादेव के ज्योतिर्लिंग के नाम – Mahadev ke jyotirling ke naam

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं महादेव के ज्योतिर्लिंग के बारे में।

mahadev ke jyotirling ke name

अब हम आपसे महादेव के ज्योतिर्लिंग के बारे में बात करें तो महादेव के ज्योतिर्लिंग निम्नलिखित हैं:- 

सोमनाथ 

मल्लिकार्जुन 

महाकालेश्वर 

ओंकारेश्वर 

केदारनाथ 

भीमाशंकर 

काशी विश्वनाथ 

त्र्यम्केश्वर 

वैद्यनाथ 

नागेश्वर 

रामेश्वर 

घृष्णेश्वर 

ये हैं महादेव के कुछ ज्योतिर्लिंग जो अलग-अलग जगहों पर स्थित होते हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे महादेव के ज्योतिर्लिंग की उपस्थिति के बारे में। 

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महादेव के ज्योतिर्लिंग की उपस्थिति – Mahadev ke jyotirling ki upasthiti

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं महादेव के ज्योतिर्लिंग की उपस्थिति के बारे में।

mahadev ke jyotirling ki upasthiti

अब हम आपसे महादेव के ज्योतिर्लिंग की उपस्थिति के बारे में बात करें तो महादेव के ज्योतिर्लिंग की उपस्थिति उनके स्थान पर निम्नलिखित हैं:- 

  • सोमनाथ:- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रभास पाटन, सौराष्ट्र, गुजरात पर स्थित हैं।
  • मल्लिकार्जुन:- मल्लिकार्जुन श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश पर स्थित हैं। 
  • महाकालेश्वर:- महाकालेश्वर उज्जैन, मध्य प्रदेश पर स्थित हैं। 
  • ओंकारेश्वर:- ओंकारेश्वर मंधाता द्वीप, नर्मदा नदी, मध्य प्रदेश पर स्थित हैं। 
  • केदारनाथ:- केदारनाथ केदारनाथ, हिमालय, उत्तराखंड पर स्थित हैं। 
  • भीमाशंकर:- भीमाशंकर पुणे के पास, महाराष्ट्र पर स्थित हैं। 
  • काशी विश्वनाथ:- काशी विश्वनाथ वाराणसी, उत्तर प्रदेश पर स्थित हैं। 
  • त्र्यम्बकेश्वर:- त्र्यम्बकेश्वर त्र्यंबक, नासिक के पास, महाराष्ट्र पर स्थित हैं। 
  • वैद्यनाथ:- वैद्यनाथ देवघर, झारखंड पर स्थित हैं। 
  • नागेश्वर:- नागेश्वर द्वारका के पास, गुजरात पर स्थित हैं। 
  • रामेश्वर:- रामेश्वर रामेश्वरम, तमिलनाड़ु पर स्थित हैं। 
  • घृष्णेश्वर:- घृष्णेश्वर औरंगाबाद के पास, महाराष्ट्र पर स्थित हैं। 

ये हैं महादेव के कुछ ज्योतिर्लिंग की उपस्थिति उनके स्थान। महादेव के ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे महादेव के ज्योतिर्लिंग की कहानी के बारे में।

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महादेव के ज्योतिर्लिंग की कहानी- Mahadev ke jyotirling ki kahani

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं महादेव के ज्योतिर्लिंग की कहानी के बारे में। अब हम आपसे महादेव के ज्योतिर्लिंग की कहानी के बारे में बात करें तो महादेव के ज्योतिर्लिंग के पीछे अनेक पौराणिक कथाएँ और धार्मिक विश्वास जुड़े हुए हैं।

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यहाँ पर महादेव के ज्योतिर्लिंग की कहानी निम्नलिखित हैं:-  

  • सोमनाथ:- चंद्र देवता ने भगवान शिव की आराधना की थी और उनको अभयदान प्राप्त हुआ था। इन सब का उल्लेख शिव पुराण और स्कंद पुराण में किया गया हैं। ये सब वर्णन सोमनाथ ज्योतिर्लिंग में किए गए हैं। 
  • मल्लिकार्जुन:- यह कहा जाता हैं की भगवान शिव और माता पार्वती अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने के लिए श्रीशैलम आए थे। श्रीशैलम माता पार्वती और भगवान शिव के मिलन का प्रतीक होता हैं। 
  • महाकालेश्वर:- उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा गया हैं की एक बार उज्जैन के एक ब्राह्माण ने महाकाल की पूजा-अर्चना की थी। ब्राह्माण की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने स्वयं ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रकट होकर ब्राह्माण की रक्षा की थी। 
  • ओंकारेश्वर:- नर्मदा नदी के द्वीप मंधाता पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग राजा मंधाता की तपस्या और भगवान शिव की कृपा का प्रतीक होता हैं। इस ज्योतिर्लिंग पर भगवान शिव ने ओंकार के रुप में प्रकट होकर तपस्वियों को दर्शन दिए थे। 
  • केदारनाथ:- पांडवों के अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव की आराधना की थी। इसके बाद भगवान शिव ने केदारनाथ में ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रकट होकर पांडवों को आशीर्वाद दिया था। केदारनाथ का वर्णन महाभारत से किया गया हैं। 
  • भीमाशंकर:- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा में बताया गया हैं की भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध करके यहाँ विश्राम किया था। इसी जगह पर शिवलिंग प्रकट हुआ और भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कहा जाने लगा। 
  • काशी विश्वनाथ:- वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव ने स्वयं काशी नगर की रक्षा करने के लिए प्रकट किया था। काशी विश्वनाथ मोक्ष का द्वार माना जाता हैं। 
  • त्र्यम्बकेश्वर:- गोदावरी नदी के पास स्थित त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा गया हैं की गौतम ऋषि और उनकी पत्नी अहिल्या ने यहाँ भगवान शिव की तपस्या की थी। अहिल्या और उनके पति गौतम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें ज्योतिर्लिंग के रुप में दर्शन दिए थे। 
  • वैद्यनाथ:- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा गया हैं की राक्षा राजा रावण ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे यह ज्योतिर्लिंग दिया था। रावण ने इस ज्योतिर्लिंग को लंका ले जाने का बहुत प्रयास किया लेकिन यह ज्योतिर्लिंग झारखंड में स्थापित करना पड़ा था। 
  • नागेश्वर:- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा में बताया गया हैं की यहाँ पर भगवान शिव ने एक भक्त सुदर्शन को राक्षस दारुक से बचाया था। तभी से यह स्थान नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता हैं।  
  • रामेश्वर:- रामेश्वर में भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले भगवान शिव की आराधना की थी। वहाँ पर एक शिवलिंग स्थापित किया गया था। ये वहीं शिवलिंग हैं जो रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के रुप में पूजनीय हैं। 
  • घृष्णेश्वर:- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा में कहा गया हैं की यहाँ पर एक भक्त द्रढ़ु नामक स्त्री ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। उस स्त्री की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे ज्योतिर्लिंग के रुप में दर्शन दिए थे। 

इन कथाओं से साबित होता हैं की भगवान शिव की उपासना और भक्ति करने वाले भक्तों की भगवान शिव अपने कृपा से दर्शन देते हैं। भगवान शिव उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे महादेव के ज्योतिर्लिंग कैसे आएँ हैं?

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महादेव के ज्योतिर्लिंग कैसे आएँ?- Mahadev ke jyotirling kaise aaen?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं महादेव के ज्योतिर्लिंग कैसे आएँ हैं? अब हम आपसे महादेव के ज्योतिर्लिंग के बारे में बात करें तो महादेव के ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति और उनकी स्थापना के बारे में कई पौराणिक कथाएँ और धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं।

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ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के दिव्य रुप को बताते हैं जो स्वयं प्रकट माने जाते हैं। इन ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति से संबंधित कुछ कथाएँ निम्नलिखित हैं:- 

  • सोमनाथ ज्योतिर्लिंग:- चंद्रदेव ने अपने ससुर प्रजापति दक्ष के श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्रदेव ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। चंद्रदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने चंद्रदेव को दर्शन दिए और श्राप से मुक्ति दिलाई। चंद्रदेव ने यहाँ शिवलिंग स्थापित किया था। जो आज भी सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रसिद्ध हैं। 
  • मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग:- भगवान कार्तिकेय भगवान शिव और माता पार्वती से नाराज़ होकर दक्षिण भारत के श्रीशैलम पर्वत पर चले गए थे। भगवान कार्तिकेय को मनाने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती वहाँ पर गए और यहीं शिवलिंग के रुप में प्रकट हुए थे। इसे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भी कहा जा सकता हैं। 
  • महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग:- उज्जैन के एक ब्राह्माण की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ब्राह्माण को दर्शन दिए और यहाँ स्वयं ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रकट हुए थे। इस ज्योतिर्लिंग को महाकालेश्वर के नाम से जाना जाता हैं। जो भगवान शिव के महाकाल के रुप का प्रतीक होता हैं। 
  • ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग:- यह कहा जाता हैं की राजा मंधाता और अन्य  तपस्वियों ने यहाँ घोर तपस्या की थी। तपस्वियों की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ओंकार के रुप में प्रकट होकर तपस्वियों को दर्शन दिए थे। इस जगह को अब ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रुप में जाना जाता हैं। 
  • केदारनाथ ज्योतिर्लिंग:- पांडवों ने अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव की आराधना की थी। भगवान शिव ने पांडवों को केदारनाथ में दर्शन दिए थे। यहाँ भगवान शिव शिवलिंग के रुप में प्रकट हुए थे। इस जगह को अब केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता हैं। 
  • भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग:- भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध करने के बाद यहाँ विश्राम किया था। तभी से यह जगह भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से जानी जाती हैं। 
  • काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग:- भगवान शिव ने स्वयं काशी को अपनी नगरी घोषित किया था। साथ ही यह जगह काशी विश्वनाथ के रुप में स्थापित हुई थी। यह कहा जाता हैं की यह स्थान मोक्ष प्रदान करने वाला हैं। 
  • त्र्यम्बकेश्वर  ज्योतिर्लिंग:- गोदावरी नदी के उदग्म स्थल के पास स्थित इस स्थान पर गौतम ऋषि और उनकी पत्नी अहिल्या ने भगवान शिव की तपस्या की थी। गौतम ऋषि और उनकी पत्नी अहिल्या की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने त्र्यम्बकेश्वर के रुप में प्रकट होकर गौतम ऋषि और उनकी पत्नी अहिल्या को दर्शन दिए थे। 
  • वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग:- रावण ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद भगवान शिव को प्रसन्न किया। यहाँ शिवलिंग प्राप्त किया। इस शिवलिंग को लंका ले जाने के प्रयास में रावण ने यह शिवलिंग झारखंड में स्थापित किया। तभी से यह जगह वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जानी जाती हैं। 
  • नागेश्वर ज्योतिर्लिंग:- भगवान शिव ने भक्त सुदर्शन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने भक्ति सुदर्शन को राक्षक दारुक से बचाया था। तभी से यह जगह नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जानी जाती हैं। 
  • रामेश्वर ज्योतिर्लिंग:- भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले यहाँ भगवान शिव की आराधना की थी। साथ ही भगवान राम ने यहाँ एक शिवलिंग स्थापित किया। यह शिवलिंग अब रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रसिद्ध हैं। 
  • घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग:- यहाँ पर घृष्ण नामक एक भक्त ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। घृष्णा नामक भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहाँ घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रकट होकर दर्शन दिए थे। 

इस कथा से यह स्पष्ट होता हैं की ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के अलग-अलग रुपों और लीलाओं का प्रतीक होता हैं। जो भक्ति, तपस्या और श्रद्धा के आधार पर भक्तों को दर्शन देते हुए प्रकट हुए हैं। 

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं महादेव के ज्योतिर्लिंग से संबंधित कुछ जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।

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