मकर संक्रांति: एकता और खुशी का पर्व

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं मकर संक्रांति के पर्व के बारे में। अब हम आपसे मकर संक्रांति के पर्व के बारे में बात करें तो हिंदू धर्म में मकर संक्रांति एक महत्तवपूर्ण और प्राचीन पर्व हैं। यह पर्व हर वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता हैं। मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का पर्व होता हैं।

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खगोलशास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक होता हैं। मकर संक्रांति के दिन से ही दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। इस पर्व को शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता हैं।

मकर संक्रांति का पर्व न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्तवपूर्ण हैं बल्कि यह पर्व समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने का पर्व होता हैं। लोग इस दिन एक-दूसरे से मिलकर शुभकामनाएँ देते हैं और रिश्तों को प्रगाढ़ करते हैं।

इसी प्रकार मकर संक्रांति का त्योहार अलग-अलग धर्मों, संस्कृतियों और समुदायों के बीच साझा खुशी करने का मौका होता हैं। मकर संक्रांति का त्योहार प्राकृतिक और आध्यात्मिक बदलावों के प्रतीक के रुप में मनाया जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे मकर संक्रांति के पर्व के आने के बारे में।

मकर संक्रांति का पर्व कब आता हैं?- Makar Sankranti ka parv kab aata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं मकर संक्रांति के पर्व के आने के बारे में। अब हम आपसे मकर संक्रांति के पर्व के आने के बारे में बात करें तो हर वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता हैं। मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का पर्व होता हैं।

Makar Sankranti ka parv kab aata hain

यह पर्व एक महत्तवपूर्ण हिंदू त्योहार हैं। विशेष रुप से इस दिन लोग तिल और गुड़ का सेवन करते हैं, स्नान करते हैं और दान करते हैं। खासतौर से मकर संक्रांति का पर्व उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे मकर संक्रांति के पर्व के महत्तव के बारे में।

मकर संक्रांति के पर्व का महत्तव- Makar Sankranti ke parv ka mahatva

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं मकर संक्रांति के पर्व के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे मकर संक्रांति के पर्व के महत्तव के बारे में बात करें तो हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बहुत महत्तवपूर्ण हैं और यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता हैं।

Makar Sankranti ke parv ka mahatva

इस पर्व के धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्तव निम्नलिखित हैं:-

धार्मिक महत्तव

  • सूर्य पूजा:- इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्तव हैं। यह माना जाता हैं की मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं। इससे सूर्य देव का उत्तर दिशा की और बढ़ना शुभ और समृद्धि लेकर आने लगता हैं। मकर संक्रांति का दिन अंधकार से प्रकाश की और जाने का प्रतीक हैं।
  • पापों का नाश:- मकर संक्रांति के दिन गंगा, यमुनाजी या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से सब पाप नष्ट होते हैं और पुण्य मिलता हैं।
  • दान का महत्तव:- विशेष रुप से मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़, कपड़े और अन्य सामग्रियों का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता हैं। यह पर्व मानवता और समाज की सेवा का प्रतीक होता हैं।

सांस्कृतिक महत्तव

  • त्योहार की धूमधाम:- लोग मकर संक्रांति के दिन एक-दूसरे को तिल और गुड़ की पट्टी देते हैं। इसे “तिल गुड़ का लड्डू” भी कहते हैं। साथ ही लोग इस दिन पतंगबाजी भी करते हैं। विशेष रुप से यह परंपरा उत्तर भारत और गुजरात में बहुत जोश के साथ मनाई जाती हैं।
  • सर्दी का अंत:- यह पर्व सर्दियों के अंत होने और गर्मी के आगमन का इशारा होता हैं। इसलिए यह पर्व मौसम परिवर्तन से संबंधित हैं।

आध्यात्मिक और मानसिक शांति

लोग इस दिन आत्मनिरीक्षण और ध्यान करते हैं। ताकि मानसिक शांति और समृद्धि मिल सकें। यह पर्व उस समय का होता हैं जब व्यक्ति अपने जीवन को सुधारने के लिए संकल्प करने लगता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?

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मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?- Makar Sankranti ka parv kyon manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं मकर संक्रांति के पर्व के मनाने के बारे में। अब हम आपसे मकर संक्रांति के पर्व के मनाने के बारे में बात करें तो विशेष रुप से मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का पर्व होता हैं।

Makar Sankranti ka parv kyon manaya jata hain

मकर संक्रांति के दिन का महत्तव हिंदू धर्म, भारतीय संस्कृति और परंपराओं से संबंधित हैं। मकर संक्रांति के पर्व के मनाए जाने के पीछे के कारण निम्नलिखित हैं:-

भगवान सूर्य और उनके पुत्र शनि देव की कथा

यह पर्व भगवान सूर्य और उनके पुत्र शनिदेव से संबंधित हैं। यह कहा जाता हैं की शनिदेव मकर राशि के स्वामी होते हैं और शनि देव और सूर्य देव के संबंध मधुर नहीं थे। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर पर गए थे।

मकर संक्रांति के दिन पिता-पुत्रों के संबंधों में सुधार हुआ और इस दिन को उनके मिलन के रुप में देखा जाता हैं। यही वह कारण होता हैं जब मकर संक्रांति को परिवार और संबंधों में एकता और प्रेम का प्रतीक माना जाता हैं।

भगवान विष्णु और असुरों की कहानी

एक कथा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर उनके सिरों को मंदार पर्वत के नीचे दबाया था। यह घटना धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक होता हैं। तभी से मकर संक्रांति को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रुप में देखा जाता हैं।

भीष्म पितामह की कथा

महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु के लिए मकर संक्रांति के शुभ दिन का चयन किया था।

ऐसा कहा जाता हैं की मकर संक्रांति के दिन शरीर त्यागने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। इसी वजह से मकर संक्रांति को आध्यात्मिक दृष्टि से महत्तवपूर्ण माना जाता हैं।

समुद्र मंथन और अमृत प्राप्ति

इस दिन को समुद्र मंथन से भी जोड़ा जाता हैं। ऐसा माना जाता हैं की देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन के दौरान अमृत कुम्भ हासिल हुआ था।

मकर संक्रांति के दिन को देवताओं और असुरों के बीच संतुलन और शक्ति के प्रतीक के रुप में देखा जा सकता हैं।

राजा सगर और कपिल मुनि की कथा

एक और अन्य कथा के अनुसार कपिल मुनि ने राजा सगर के 60,000 पुत्रों को श्राप दिया था। राजा सगर के पापों का निवारण करने के लिए राजा भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने की कोशिश की थी। इस दिन गंगा के आगमन को उनकी मुक्ति का दिन माना जाता हैं।

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का महत्तव

इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। खगोलशास्त्र के अनुसार इस दिन उत्तरायण का प्रारंभ होता हैं। इसका मतलब यह होता हैं की सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण की दिशा में बढ़ता हैं। मकर संक्रांति का समय वह होता हैं की जब दिन बढ़ने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं।

दिन में परिवर्तन जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता हैं। जीवन और ऊर्जा का स्त्रोत सूर्य को माना जाता हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य के उत्तरायण होने से ऊर्जा का प्रवाह और जीवन में नयापन आने लगता हैं।

मौसम परिवर्तन

यह पर्व सर्दियों के अंत और गर्मी के आगमन का इशारा होता हैं। यह दिन मौसम के परिवर्तन का समय होता हैं और लोग इस दिन को नए मौकों और ऊर्जा के आगमन के रुप में देखते हैं। मकर संक्रांति का पर्व नए शुरुआत और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करने के लिए मनाया जाता हैं।

इस पर्व से सूर्य की रोशनी बढ़ने लगती हैं। इससे वातावरण में गर्मी का एहसास होने लगता हैं और ठंड कम होने लगती हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे मकर संक्रांति का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?

यह भी जानें:- लोहड़ी के पर्व का महत्तव।

मकर संक्रांति का पर्व कैसे मनाया जाता हैं?- Makar Sankranti ka parv kaise manaya jata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं मकर संक्रांति के पर्व के मनाने के बारे में। अब हम आपसे मकर संक्रांति के पर्व के मनाने के बारे में बात करें तो मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता हैं।

Makar Sankranti ka parv kaise manaya jata hain

लेकिन कुछ सामान्य परंपराएँ और विधियों को सभी स्थानों पर अपनाया जा सकता हैं। यहाँ मकर संक्रांति के पर्व के मनाने के प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं:-

स्नान और पूजा

  • पवित्र स्नान:- इस दिन लोग प्रात: काल में स्नान करते हैं। विशेष रुप से किसी पवित्र नदी में जैसे की गंगा, यमुनाजी या अन्य किसी भी नदी में। पवित्र नदी में स्नान पापों का नाश करने और पुण्य अर्जित करने के लिए किया जाता हैं।
  • सूर्य पूजा:- विशेष रुप से मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती हैं। सूर्य पूजा में तांबे के बर्तन में जल, फूल, लाल चंदन और गुड़ अर्पित करते हैं। सूर्य भगवान से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की जाती हैं।

दान का महत्तव

मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़, कपड़े, बर्तन और अनाज का दान किया जाता हैं। विशेष रुप से तिल और गुड़ का दान बहुत शुभ माना जाता हैं। क्योंकि तिल और गुड़ मीठा और पुण्यकारी होता हैं।

तिल और गुड़ लोगों को दान करने से पुण्य मिलता हैं। तिल और गुड़ का दान करना आत्मा को शुद्ध करने का माध्यम माना जाता हैं।

तिल और गुड़ का सेवन

विशेष रुप से इस दिन तिल और गु‌ड़ का सेवन किया जाता हैं। तिल और गुड़ को “तिल गुड़ का लड्डू” या “तिल गुड़ का मिश्रण” भी कहा जाता हैं।

लोग इस दिन एक-दुसरे को तिल और गुड़ के लड्डू या पट्टी देते हैं। तिल और गुड़ के लड्डू जैसी मिठाई शीतलता और गर्मी के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए खाई जाती हैं।

पतंगबाज़ी

विशेष रुप से यह पर्व गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर भारत में पतंगबाज़ी के रुप में मनाया जाता हैं। इस दिन लोग आसमान में रंग-बिरंगे पतंगे उड़ाते हैं और इसी दौरान खेल-कूद और प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाती हैं।

पतंगबाज़ी को “उत्तरायण” के साथ देखा जाता हैं क्योंकि सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और इस को उत्सव के रुप में मनाया जाता हैं।

लोक उत्सव और संगीत

विशेष रुप से इस दिन लोग नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता हैं। जैसे की गुजरात में “गरबा” और डांडिया” नृत्य की परंपरा की जाती हैं। इस दिन को लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर खुशी के साथ मनाते हैं।

इस दिन कई स्थानों पर मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस मेले में लोग सामूहिक रुप से आनंद लेते हैं।

खास पकवान

इस दिन विशेष प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। जैसे की तिल की चिउड़ी, तिल-गुड़ का लड्डू, हलवा, खिचड़ी इत्यादि। विशेष रुप से इन व्यंजनों का सेवन इस दिन किया जाता हैं।

आवश्यक जानकारी:- नारद जी का समुद्र मंथन में योगदान।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं मकर संक्रांति के पर्व से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक और कमेंट जरुर कर लें।

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मैं रोज़ाना की खबरों पर लिखने के लिए प्रेरित हूँ और भारत की सभी खबरों को कवर करता हूँ। मेरा लक्ष्य पाठकों को ताज़ा जानकारी प्रदान करना है, जो उन्हें समाचार की समझ और देशव्यापी घटनाओं की खोज में मदद करे।
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