आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं भूल चूक माफ फिल्म के बारे में। अब हम आपसे भूल चूक माफ फिल्म के बारे में बात करें तो 9 मई को राजकुमार राव और वामिका गब्बी की फिल्म भूल चूक माफ सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली थी। लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति को देखते हुए मेकर्स ने इसे ओटीटी पर रिलीज़ करने का फैसला लिया हैं।
हाई कोर्ट ने इसकी ओटीटी रिलीज़ पर रोक लगा दी हैं। कई कंट्रोवर्सी के बाद अभी ये फिल्म थिएटर में आई हैं। फिल्म भूल चूक माफ विवादों से उबरने के बाद सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई हैं।
निर्माताओं ने इस बार दर्शकों को एक सुविधा और दी हैं की दो सप्ताह बाद फिल्म अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज़ होगी। निर्माताओं को शायद यह अनुभव हुआ हैं की फिल्म को बनाने में कुछ चूक हुई हैं। यही कारण हैं की दो सप्ताह के अंदर दर्शकों के घरों तक स्वयं ही पहुँचने का फैसला ले लिया हैं।
क्या हैं भूल चूक माफ फिल्म की कहानी?- Kya hain Bhool Chook Maaf film ki kahani?
‘भूल चूक माफ’ को ‘टाइम लूप’ के तौर पर प्रचारित किया हैं। यह एक ऐसी शैली हैं जिसमें मुख्य पात्र बार-बार एक ही समय-सीमा में फंस जाते हैं और बार-बार एकसमान घटनाओं को महसूस करते हैं। यहाँ पर इस फिल्म का मुख्य पात्र 25 वर्ष के रंजन तिवारी का एकमात्र सपना अपनी प्रेमिका तितली से शादी करने का हैं।
तितली के पिता ब्रिज मोहन शर्त रखते हैं की अगर रंजन की दो महीने में सरकारी नौकरी लग गई तो बेटी से उसकी शादी करा देंगे।
बेरोजगार रंजन की माँ रमावती अचार का बिजनेस करती हैं। पिता रघुनाथ भी पत्नी के व्यवसाय पर आश्रित होता हैं। रंजन के साथ उसके मामा और दोस्त हरि ही रहते हैं।
रंजन के साथ शादी करने को बेकरार तितली अपनी माँ का तीन तोले का सोने का हार गिरवी रखने से गुरेज नहीं करती हैं। बिचौलिए भगवान दास की सहायता से रंजन की सरकारी नौकरी लग जाती हैं। फिल्म में शादी की तैयारी होती हैं, लेकिन हल्दी का दिन बार-बार रंजन की जिंदगी में आ जाता हैं।
जानिए जाट फिल्म की कहानी के बारे में।
एक्टर्स नहीं आपके धैर्य की परीक्षा लेती हैं ये फिल्म- Actors nahi aapke dhairya ki pariksha lete hain ye film
इस फिल्म के निर्देशक करण शर्मा ने ही फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले लिखा हैं। उनका टाइमलूप का आइडिया रोचक हैं, लेकिन संदेश देने के प्रयासों में काफी चूक होती हैं। इस फिल्म का फर्स्ट हाफ मुद्दे पर आने में काफी वक्त ले लेता हैं।
इसमें बीच-बीच में हंसी का झोंका भी आ जाता हैं। दूसरे हाफ से कहानी टाइम लूप पर आ जाती हैं। यहाँ पर फिल्म जुगाड़ से समाज पर पड़ने वाले प्रभाव और इसके परिणाम की बात करती हैं।
एक ही तारीख को बार-बार जीने का प्रसंग उबाऊ लगने लगता हैं। यह फिल्म सही मायने में आपके धैर्य की परीक्षा लेती हैं, इसका परिणाम एक बिखरे हुए और भटकाव भरे कथानक के तौर पर सामने आ जाता हैं।
किरदार को मासूम दिखाने के लिए कहानी को बनारस में सेट किया गया हैं। इसी कहानी को किसी और शहर में भी आसानी से सेट किया जाता था। एक सीन में रंजन तिवारी गाय को गुड़ रोटी खिलाने को पूरण पोली कहता हैं।
आवश्यक जानकारी:- हाउसफुल 5 फिल्म की कहानी के बारे में।
निष्कर्ष- Conclusion
ये हैं भूल चूक माफ फिल्म की कहानी से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। इस जानकारी से आप भूल चूक माफ फिल्म के बारे में बहुत कुछ जान जायेंगे।
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