पौष मास में सूर्य पूजा और दान-पुण्य का महत्तव

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं पौष मास के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे पौष मास के महत्तव के बारे में बात करें तो पौष का महीना हिंदू पंचांग का दसवां महीना होता हैं। पौष मास के महीने को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अति महत्तवपूर्ण माना जाता हैं।

आमतौर पर पौष मास का महीना दिसंबर-जनवरी के बीच में आता हैं। चंद्र कैलेंडर के अनुसार पौष मास का महीना मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अगले दिन से ही शुरु हो जाता हैं।

इस महीने का नाम “पौष” इसलिए पड़ा क्योंकि पौष मास के समय सूर्य की ऊर्जा प्रबल हो जाती हैं। सूर्य देव की उपासना और सूर्य देव के प्रति आभार प्रकट करने का यह समय उत्तम समय माना जाता हैं।

यह महीना धार्मिक, सामाजिक और प्राकृतिक संतुलन का प्रतीक होता हैं। पौष मास का समय तप, संयम और साधना का होता हैं जो हमारे जीवन को शुद्ध और अनुशासित बनाने लगता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे पौष मास कब आता हैं?

पौष मास कब आता हैं?- Pausha Maas kab aata hain?

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं पौष मास कब आता हैं? अब हम आपसे पौष मास के बारे में बात करें तो हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास का महीना हिंदू वर्ष का दसवां महीना होता हैं। आमतौर पर पौष मास का महीना दिसंबर और जनवरी के महीनों के बीच में पड़ता हैं।

Pausha Maas kab aata hain

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद से पौष मास के महीने की शुरुआत होती हैं। यह महीना पौष पूर्णिमा तक चलता हैं। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के दौरान पौष मास की शुरुआत होती हैं।

पौष मास की तिथियाँ हर वर्ष बदलती हैं क्योंकि यह महीना चंद्र कैलेंडर पर आधारित होता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे पौष मास के महत्तव के बारे में।

पौष मास का महत्तव- Pausha Maas ka mahatva

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं पौष मास के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे पौष मास के महत्तव के बारे में बात करें तो हिंदू धर्म और संस्कृति में पौष मास का विशेष महत्तव हैं।

Pausha Maas ka mahatva

पौष मास धार्मिक और आध्यात्मिक साधनाओं के लिए उपयुक्त माना जाता हैं। विशेष रुप से इस मास में की गई पूजा-पाठ और दान-पुण्य का फल शुभ होता हैं।

धार्मिक महत्तव

  • सूर्य पूजा का समय:- सूर्य देव की पूजा के लिए पौष मास समर्पित माना जाता हैं। विशेष रुप से पौष महीने में सूर्य को अर्घ्य देना, गायत्री मंत्र का जाप और सूर्य नमस्कार शुभ माना जाता हैं।
  • दान-पुण्य:- इस महीने में तिल, गुड़, कंबल, गर्म कपड़े और अन्न का दान करने से विशेष पुण्य मिलता हैं। इस महीने में गरीबों और जरुरतमंदों की मदद करना अत्यंत फलदायी माना जाता हैं।
  • स्नान और व्रत का महत्तव:- पौष मास में गंगा स्नान, यमुना स्नान या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता हैं। इस महीने में व्रत रखना और भगवद्‌गीता या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यंत लाभदायक होता हैं।
  • पौष पूर्णिमा:- पौष पूर्णिमा के दिन धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ और दान करने का एक अलग महत्तव हैं। पौष पूर्णिमा का दिन कथा-सत्संग सुनने और भजन कीर्तन में समय बिताने के लिए सबसे ज्यादा उत्तम माना जाता हैं।

आध्यात्मिक महत्तव

यह महीना तप, संयम और साधना का समय माना जाता हैं। इस महीने के दौरान ध्यान और योग करने से मन और शरीर को संतुलित किया जाता हैं। चंद्र कैलेंडर के तहत पौष मास का महीना शीत ऋतु के बीच में आता हैं। जो तपस्या और आत्मानुशासन के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता हैं।

सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू

मकर संक्रांति:- इस महीने के अंत में मकर संक्रांति का त्योहार आता हैं। यह त्योहार अत्यंत महत्तवपूर्ण होता हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसके कारण दिन लंबे और रात्रियाँ छोटी होने लगती हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे पौष मास के त्योहार के बारे में।

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पौष मास का त्योहार- Pausha Maas ka tyohar

अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं पौष मास के त्योहार के बारे में। अब हम आपसे पौष मास के त्योहार के बारे में बात करें तो पौष मास के महीने में कई महत्तवपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं।

Pausha Maas ka tyohar

इन सब त्योहारों का हिंदू धर्म में विशेष महत्तव हैं। पौष महीने के ये सब त्योहार धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्तवपूर्ण हैं।

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति का त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता हैं। इस त्योहार को तिल संक्रांति, खिचड़ी पर्व या उत्तरायण भी कहते हैं। मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़, खिचड़ी और पतंगबाजी का एक अनोखा महत्तव हैं। इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य को और ज्यादा शुभ बनाते हैं।

पौष पूर्णिमा

पौष पूर्णिमा पौष मास की पूर्णिमा को मनाई जाती हैं। यह दिन धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विशेष माना जाता हैं। पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, पूजा-पाठ और दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता हैं। कुछ लोग इस दिन सत्यानारायण कथा का आयोजन भी करते हैं।

शाकंभरी जयंती

शाकंभरी जयंती को पौष पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं। शाकंभरी जयंती भी पौष पूर्णिमा वाले दिन ही मनाई जाती हैं। यह दिन देवी शाकंभरी को समर्पित होता हैं। देवी शाकंभरी प्रकृति और अन्नपूर्ण देवी के रुप में पूजी जाती हैं। विशेष रुप से राजस्थान और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में देवी शाकंभरी का पूजन किया जाता हैं।

धनु संक्रांति

यह पर्व सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता हैं। विशेष रुप से दक्षिण भारत में धनु संक्रांति के पर्व को विशेष पूजा और अनुष्ठान के साथ मनाया जाता हैं।

सूर्य उपासना पर्व

पौष मास में सूर्य देव की पूजा करने का विशेष महत्तव होता हैं। पौष मास में हर रविवार को व्रत रखकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता हैं।

लोहड़ी

लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति के पर्व के आसपास मनाया जाता हैं। इस पर्व को विशेष रुप से उत्तर भारत और पंजाब में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं।

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निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं पौष मास के महत्तव से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।

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