संतान सप्तमी व्रत कथा सनातन धर्म की बहुत ही प्रमुख कथा होती है माना जाता है कि इस कथा को पढ़ने से संतान प्राप्ति होती है जो लोग काफी समय से संतान सुख से वंचित हैं उन्हें इस कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए यह कथा सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है लिए हम इस कथा के बारे में विस्तार से आपको जानकारी देते हैं।
संतान सप्तमी का व्रत 2025 में 30 अगस्त 2025 को रखा जाएगा आज के दिन महिलाएं अपने पुत्र के मंगल और पुत्र की लंबी आयु के लिए इस व्रत को बहुत ही श्रद्धा भाव से रखती हैं।
संतान सप्तमी व्रत कथा का रहस्य – Santan Saptmi vrat katha ka rahsya
Santan Saptami Vrat Katha:- संतान सप्तमी व्रत कथा से जुड़ा रहस्य हम आपको बताने जा रहे हैं कृपया इसके बारे में ध्यान पूर्वक अध्ययन करें।
संतान सप्तमी व्रत को बहुत ही श्रद्धा और विश्वास के साथ ही पूरा करना चाहिए इस व्रत को कभी भी खंडित नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से संतान सुख में बहुत ही कमी होने का योग हो जाता है।
यदि Santan Saptami Vrat को कोई ऐसी महिला करती है जिसको कोई संतान नहीं है माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से उसे महिला को संतान की प्राप्ति अवश्य होती है इस व्रत को बहुत ही विधिपूर्वक तरीके से करना चाहिए।
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संतान सप्तमी के व्रत की कथा – Santaan Saptami Vrat ki katha
सनातन धर्म (Sanatan Dharm) की प्रमुख कथा संतान सप्तमी व्रत की कथा के बारे में हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं कृपया श्रद्धा भाव से इस कथा को पढ़ें।
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एक बार की बात है जब भगवान श्री कृष्ण और पांडवों के बड़े भाई महाराज युधिष्ठिर जी के बीच वार्तालाप हो रही थी तभी भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को Santan Saptami Vrat Katha के बारे में बताया यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रखा जाता है।
भगवान श्री कृष्ण जी का कहना था कि जब उनकी माता देवी की के कई बच्चों को श्री कृष्ण के मामा कंस ने मार डाला था दम भगवान श्री कृष्ण की माता जी बहुत ही ज्यादा दुखी थी और वह अपने इस दुख से बाहर निकल नहीं पा रही थी।
तभी एक ऋषि ने उनका दर्शन दिए और उन्हें संतान सप्तमी व्रत के बारे में बताया उन्होंने कहा कि संतान सप्तमी व्रत की कथा को यदि आप पढ़ती हैं और इस व्रत के सभी नियमों का श्रद्धा भाव से पालन करती हैं तब आपको एक ऐसी यशस्वी संतान प्राप्त होगी जो की विश्व में आपका नाम रोशन करेगी।
ऋषि की यह बात मानकर भगवान श्री कृष्ण की माता देवकी जी ने इस व्रत का बहुत ही श्रद्धा भाव से पालन किया और इस व्रत को पूरा किया जिसके बाद उन्हें संतान के रूप में भगवान श्री कृष्ण प्राप्त हुए।
जिन्होंने अपनी माता देवकी को अपने मामा कंस के अत्याचारों से मुक्त कराया और कंस का वध किया संसार को भी पाप मुक्त किया जिससे भगवान श्री कृष्ण की माता देवकी जी का जीवन धन्य हो गया।
Santan Saptami Vrat Katha के बारे में जानकर युधिष्ठिर जी की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा और उन्होंने अपने राज्य में इस कथा के बारे में सबको बताया उसके बाद से महिलाएं अब तक अपने पुत्रों और अपनी संतान सुख समृद्धि और लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखती चली आ रही है।