आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं सावन शिवरात्रि के बारे में। आज सावन शिवरात्रि हैं। क्या आप जानते हैं सावन शिवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं और सावन शिवरात्रि कब मनाई जाती हैं?
अगर आप सावन शिवरात्रि के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपसे सावन शिवरात्रि के बारे में ही चर्चा करने जा रहे हैं। सावन शिवरात्रि का दिन श्रावण मास के महीने में बहुत बड़ा दिन माना जाता हैं। पहले, हम आपसे चर्चा करेंगे सावन शिवरात्रि कब मनाई जाती हैं?
सावन शिवरात्रि कब मनाई जाती हैं? – Savan shivratri kab manai jati hain?
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं सावन शिवरात्रि कब मनाई जाती हैं? अब हम आपसे सावन शिवरात्रि के मनाने के बारे में बात करें तो सावन शिवरात्रि हर वर्ष श्रावण महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती हैं। सावन का महीना भगवान शिव को विशेष रुप से प्रिय माना जाता हैं।
श्रावण मास की शिवरात्रि का विशेष महत्तव होता हैं। यह तिथि जुलाई या अगस्त के महीने में आती हैं। जो भारतीय कैलेंडर के अनुसार सावन का समय होता हैं। इस बार 2025 में सावन शिवरात्रि का पर्व 23 जुलाई 2025 को मनाई जाएगा। अब हम आपसे चर्चा करेंगे सावन शिवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं?
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सावन शिवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं? – Savan shivratri kyon manai jati hain?
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं सावन शिवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं? अब हम आपसे सावन शिवरात्रि के मनाने के बारे में बात करें तो सावन शिवरात्रि का दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना का दिन होता हैं।
यह दिन शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्तवपूर्ण होता हैं। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित किया जाता हैं। इस महीने में शिवभक्त भगवान शिव के लिए विशेष रुप से व्रत रखते हैं तथा पूजा भी करते हैं।
सावन शिवरात्रि मनाने के कारण – Savan shivratri manane ke karan
- शिव का प्रिय महीना:- श्रावण मास का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता हैं। यह कहा जाता हैं की श्रावण महीने में भगवान शिव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होने लगती हैं।
- धार्मिक महत्तव:- शिवरात्रि के दिन में शिवलिंग के अभिषेक, जल चढ़ाने, बेलपत्र, दूध और दही से शिव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता हैं। ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होने लगती हैं।
- समुद्र मंथन की कथा:- अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था तब उस समुद्र मंथन से हलाहल विष निकला था। यह विष पूरी सृष्टि को नष्ट कर सकता था। तब भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया था और संसार को विनाश होने से बचाया था। तभी से ही सावन शिवरात्रि के दिन को शिव जी के इस त्याग के रुप में स्मरण किया जाता हैं।
- पार्वती और शिव का विवाह:- कई कथाओं के तहत, शिवरात्रि का दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का दिन माना जाता हैं। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया था।
- आध्यात्मिक लाभ:- शिवरात्रि के व्रत और पूजा करने से मानसिक शांति, आत्मिक उन्नति और पापों से मुक्ति मिलती हैं।
इस शिवरात्रि का दिन विशेष रुप से शिव भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता हैं। सावन शिवरात्रि के दिन व्रत, जागरण और पूजा-अर्चना भी की जाती हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे सावन शिवरात्रि कैसे मनाई जाती हैं?
सावन शिवरात्रि कैसे मनाई जाती हैं? – Savan shivratri kaise manai jati hain?
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं सावन शिवरात्रि कैसे मनाई जाती हैं? अब हम आपसे सावन शिवरात्रि के मनाने के बारे में बात करें तो सावन शिवरात्रि का त्योहार भगवान शिव की पूजा-अर्चना और व्रत के साथ मनाया जाता हैं।
इस त्योहार का पर्व श्रावण के महीने में आता हैं। सावन शिवरात्रि के दिन शिव भक्त विशेष श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आराधना करते हैं। सावन शिवरात्रि को मनाने का निम्नलिखित तरीका इस प्रकार हैं:-
सावन शिवरात्रि को मनाने का मुख्य तरीका
- व्रत और उपवास:- सावन शिवरात्रि के दिन शिव भक्त उपवास रखते हैं। कुछ लोग इस दिन पूरा दिन उपवास करते हैं, जबकि कुछ लोग इस दिन फलाहार का सेवन करते हैं। एक बार संध्या के समय व्रत रखने वालों के लिए फल, दूध और अन्य व्रत सामग्री का सेवन किया जाता हैं।
- शिवलिंग की पूजा:- स्नान के बाद सूबह शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक किया जाता हैं। अभिषेक के बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, चंदन और अक्षत अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद भगवान शिव की आरती भी की जाती हैं।
- जाप और मंत्र:- शिवरात्रि के दिन विशेष रुप से “ओउम नमः शिवाय” मंत्र का जाप किया जाता हैं। इस दिन शिव पुराण का पाठ या शिव चालीसा का पाठ भी किया जाता हैं। शिव मंदिरों में जाकर भक्तजन रात्रि जागरण भी करते हैं। साथ ही भक्तजन रातभर भगवान शिव का जाप और भजन-कीर्तन भी करते हैं।
- कथा और शिव पुराण का पाठ:- शिवरात्रि के दिन कुछ लोग भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनते या पढ़ते हैं। इस दिन शिव पुराण का पाठ करना भी बहुत शुभ माना जाता हैं।
सावन शिवरात्रि को मनाने का अन्य तरीका
- भंडारा और प्रसाद:- कुछ स्थानों पर शिव भक्तों द्वारा भंडारा भी आयोजित किया जाता हैं। भंडारे में प्रसाद और भोजन का भी वितरण किया जाता हैं। इस दिन प्रसाद के रुप में फल, मिठाई और अन्य व्रत के खाने का वितरण होता हैं।
- दर्शन और पूजा:- शिवरात्रि के दिन लोग शिव मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं। साथ ही लोग इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक भी करते हैं। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना शुभ माना जाता हैं।
इस त्योहार को मनाने का तरीका क्षेत्र और परंपराओं के अनुसार थोड़ा अलग होता हैं। लेकिन श्रद्धा और भक्ति से किया गया कार्य भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे सावन शिवरात्रि का क्या महत्तव हैं?
सावन शिवरात्रि का महत्तव- Savan shivratri ka mahatv
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं सावन शिवरात्रि के महत्तव के बारे में। अब हम आपसे सावन शिवरात्रि के महत्तव के बारे में बात करें तो सावन शिवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्तवपूर्ण स्थान हैं।
शिव भक्तों के लिए शिवरात्रि का दिन अत्यंत महत्तवपूर्ण हैं। इस दिन का महत्तव अलग-अलग कारणों से हैं:-
सावन शिवरात्रि के मुख्य महत्तव
- भगवान शिव की आराधना:- श्रावण मास का महीना भगवान शिव के लिए अत्यंत प्रिय माना जाता हैं। श्रावण मास के महीने में शिवरात्रि का व्रत और पूजा भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सबसे ज्यादा उत्तम माना जाता हैं।
- शिव-पार्वती विवाह:- शिवरात्रि का दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के रुप में मनाया जाता हैं। शिवरात्रि का दिन भगवान शिव की दिव्य जोड़ी के मिलन का प्रतीक हैं। शिवरात्रि के दिन लोग भगवान शिव की आराधना करके भगवान शिव की आशीर्वाद की कामना करते हैं।
- समुद्र मंथन की कथा:- अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार जब समुद्र मंथन के दौरान निकले हुए विष को शिव जी ने अपने कंठ से धारण कर लिया था ताकि सृष्टि का विनाश न हो पाए। इसी विष के असर के कारण शिव जी का कंठ नीला हो गया और शिव जी “नीलकंठ” कहलाए थे। सावन शिवरात्रि का दिन इसी त्याग और बलिदान का स्मरण हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति:- सावन शिवरात्रि के दिन व्रत और जागरण आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता हैं। इस दिन को आत्म संयम, ध्यान और शिव के प्रति अटूट भक्ति का प्रतीक माना जाता हैं।
सावन शिवरात्रि के अन्य महत्तव
- शिवलिंग का अभिषेक:- सावन शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल, दूध और अन्य पवित्र वस्त्रों से अभिषेक करना अत्यधिक शुभ माना जाता हैं। इससे व्यक्ति के सभी पापों का नाश होने लगता हैं। इससे शिव की कृपा प्राप्त होती हैं।
- मनोकामनाओं की पूर्ति:- यह कहा जाता हैं की सावन शिवरात्रि के व्रत और पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। अविवाहित लड़कियाँ विशेष रुप से इस व्रत को अच्छे जीवन साथी की प्राप्ति के लिए करती हैं।
- रोग और बाधाओं से मुक्ति:- सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना करने से रोगों से मुक्ति और जीवन की बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार:- सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को पूजा और ध्यान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता हैं। इससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती हैं।
इस त्योहार का महत्तव न सिर्फ धार्मिक हैं बल्कि सावन शिवरात्रि जीवन के अलग-अलग पहलुओं में संतुलन और समृद्धि लाने के लिए महत्तवपूर्ण मौका हैं।
निष्कर्ष- Conclusion
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