आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं शनि देव की महिमा के बारे में। अब हम आपसे शनि देव की महिमा के बारे में बात करें तो शनि देव को न्याय का देवता और कर्मफल दाता माना जाता हैं। व्यक्ति के कर्मों के आधार पर शनि देव फल प्रदान करते हैं।
शनि देव की पूजा शनि अमावस्या, शनि जयंती और शनिवार के दिन विशेष फलदायी होती हैं। शनि देव न्याय के देवता, कर्मफल दाता और नवग्रहों में महत्तवपूर्ण स्थान रखने वाले देवता माने जाते हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे शनि देव के बारे में।
शनि देव कौन हैं?- Shani dev kaun hain?
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं शनि देव के बारे में। अब हम आपसे शनि देव के बारे में बात करें तो हिंदू धर्म में शनि देव प्रमुख देवताओं में से एक हैं। शनि देव को न्याय का देवता और कर्मफल दाता माना जाता हैं।
नवग्रहों में शनि देव महत्तवपूर्ण स्थान रखते हैं और मानव जीवन पर शनि देव के प्रभाव को लेकर विशेष मान्यताएँ हैं। यहाँ शनि देव के पुराणों का उल्लेख निम्नलिखित हैं:-
शनि देव का परिचय
- जन्म:- भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के पुत्र शनि देव हैं। इसलिए शनिदेव को सूर्यपुत्र भी कहते हैं।
- स्वरुप:- शनि देव जी का रंग काला होता हैं। शनि देव जी का काला रंग शनि देव जी की गहरी शक्ति और तपस्या को बताता हैं। शनि देव जी हाथ में दंड और तलवार लिए हुए दिखाई देते हैं।
- वाहन:- शनि देव जी का वाहन कौआ या गिद्ध होता हैं। शनि देव जी तीक्ष्ण दृष्टि और न्यायप्रियता का प्रतीक होता हैं।
शनि देव का प्रभाव
व्यक्ति के कर्मों के आधार पर शनि देव फल प्रदान करते हैं। यदि व्यक्ति के कर्म अच्छे होते हैं तब शनि देव जी उस व्यक्ति को शुभ फल देते हैं। यदि व्यक्ति के कर्म बुरे होते हैं तब शनि देव जी उस व्यक्ति को दंड देते हैं। शनि देव की कृपा से व्यक्ति को समृद्धि, सफलता और दीर्घायु मिलती हैं।
कुंडली में शनि देव जी को 10वें और 11वें भाव का स्वामी माना जाता हैं। शनि देव जी मकर और कुंभ राशि के स्वामी होते हैं। शनि देव जी का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को उसके कर्मों का एहसास कराना और उस व्यक्ति को सच्चाई के मार्ग पर चलाना हैं।
शनि देव जी की पूजा करने से जीवन में अनुशासन, समर्पण और सच्चाई का महत्तव समझा जाता हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे शनि देव जी के जन्म के बारे में।
जानिए बजरंग बाण की कथा के बारे में।
शनि देव जी का जन्म- Shani dev ji ka janm
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं शनि देव जी के जन्म के बारे में। अब हम आपसे शनि देव जी के जन्म के बारे में बात करें तो उनकी जन्म की कथा पुराणों और धार्मिक ग्रंथों से विस्तार से वर्णित हैं।
शनि देव जी भगवान सूर्य के पुत्र हैं। शनि देव जी की माता का नाम छाया हैं जो भगवान सूर्य की दूसरी पत्नी थीं। संज्ञा देवी (भगवान सूर्य की पहली पत्नी) की छाया स्वरुप छाया देवी हैं।
शनि देव जी की जन्म कथा
जब सूर्य भगवान के तप और तेज़ को सहन करने में छाया देवी असमर्थ थीं तब छाया देवी गहरी तपस्या में लीन हो गई थीं। इसी तपस्या के दौरान छाया देवी के गर्भ से शनि देवी जी का जन्म हुआ था। शनि देव जी का रंग गहरा काला तपस्या के प्रभाव के कारण हुआ था।
जब सूर्य भगवान ने शनि देव को पहली बार देखा था तब शनि देव जी के काले रंग के कारण भगवान सूर्य ने शनि देव जी की माता छाया देवी पर संदेह किया था। इसी घटना के कारण देवी छाया क्रोधित और आहात हुई थीं। शनि देव जी ने अपनी माता के अपमान से आहात होने के कारण कठोर तपस्या आरम्भ की थी।
इससे शनि देव जी महान तपस्वी और शक्तिशाली देवता बन गए थे। शनि देव जी को तपस्या और माता के आशीर्वाद से विशेष शक्तियाँ प्राप्त हुई थीं। शनि देव जी को ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने नवग्रहों में महत्तवपूर्ण स्थान दिया था। इससे शनि देव जी को कर्मफल दाता के रुप में नियुक्त किया गया था।
शनि देव जी का जन्म स्थान
कुछ ग्रंथों में उल्लेख किया गया हैं की शनि देव जी का जन्म “सौर मंडल” में हुआ था। सौर मंडल प्रतीकात्मक रुप से शनि देव जी की शक्ति और सूर्य के साथ उनके संबंध को बताता हैं।
शनि देव जी का जन्मदिन
उनके जन्म का दिन शनि जयंती और शनि अमावस्या हैं। ये दोनों दिन एक ही दिन आते हैं। शनि देव जी के जन्मदिन को ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता हैं। इस दिन विशेष रुप से शनि देव जी की पूजा-अर्चना की जाती हैं। अब हम आपसे चर्चा करेंगे शनि देव जी की पौराणिक कथा के बारे में।
यह भी पढ़े:- भैरव की कथा।
शनि देव की पौराणिक कथा- Shani dev ki pauranik katha
अब हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं शनि देव जी की पौराणिक कथा के बारे में। अब हम आपसे शनि देव जी की पौराणिक कथा के बारे में बात करें तो हिंदू धर्मग्रंथों में शनि देव जी की कहानी कई तरह से वर्णित हैं।
न्याय के देवता, कर्मफल दाता और नवग्रहों में शनि देव जी महत्तवपूर्ण स्थान रखने वाले देवता हैं। हमें शनि देव जी की कथाएँ जीवन में कर्म, न्याय और सच्चाई के महत्तव को समझाती हैं। यहाँ शनि देव जी से संबंधित पौराणिक कथाएँ निम्नलिखित हैं:-
शनि देव और उनके पिता सूर्यदेव
शुरु से ही शनि देव और सूर्यदेव जी के संबंध कठोर थे। एक कथा के अनुसार शनि देव जी ने अपने पिता सूर्यदेव जी को उनकी कठोरता और अंहकार के लिए सबक सिखाने की कोशिश की थी। बाद में शनि देव जी और सूर्यदेव जी के संबंधों में सुधार आया था। न्याय और कर्मफल दाता के रुप में शनि देव जी को प्रतिष्ठा मिली थी।
शनि देव और हनुमान जी
जब राम जी की खोज में हनुमान जी ने शनि देव जी को मुक्त किया था तब शनि देव जी ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया की जो भी हनुमान चालीसा का पाठ करेगा उस पर कभी भी शनि देव जी की टेढ़ी दृष्टि नहीं पड़ेगी। तभी से ही हनुमान जी की पूजा शनि देव जी के प्रकोप से बचने का उपाय मानी जाती हैं।
शनि देव और राजा विक्रमादित्य
एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार शनि देव जी ने राजा विक्रमादित्य की परीक्षा लेने के लिए राजा विक्रमादित्य पर साढ़े साती का प्रभाव डाला था। राजा विक्रमादित्य ने अनेकों कष्ट सहे परंतु वे कभी भी न्याय और सत्य के मार्ग से विचलित नहीं हुए। अंत में शनि देव जी ने राजा विक्रमादित्य की सत्यनिष्ठा और धैर्य से प्रसन्न होकर राजा विक्रमादित्य को वरदान दिया था।
रावण और शनि देव
रावण ने सब नवग्रहों को अपनी कैद में रख रखा था। रावण ने शनि देव जी को उल्टा लटकाया था ताकि शनि देव जी की दृष्टि से उसका साम्राज्य प्रभावित न हो सके। हनुमान जी ने रावण को हराकर शनि देव जी को मुक्त कराया था। शनि देव जी ने हनुमान जी से प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया था।
आवश्यक जानकारी:- विष्णु जी के दशावतार।
निष्कर्ष- Conclusion
ये हैं शनि देव जी से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। जानकारी पसंद आने पर जानकारी को लाइक व कमेंट जरुर करें।
जानकारी को लाइक व कमेंट करने पर हमें प्रोत्साहन मिलेगा ताकि हम आपको बहेतर-से-बहेतर जानकारियाँ प्राप्त करवा सकें।
हम आपसे आशा करते हैं की हमारी दी हुई जानकारी को प्राप्त करने के बाद आपको थोड़ी संतुष्टि मिली होगी। हमारा उद्देश्य आपको घुमराह करना नहीं हैं बल्कि आप तक सही जानकारी प्राप्त करवाना हैं।