तमाम मसालों के बावजूद मेकर्स से हुई गलती

Vineet Bansal

आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं माँ फिल्म के बारे में। अब हम आपसे माँ फिल्म के बारे में बात करें तो इस बार थिएटर में काजोल ने ऑडियंस को डराने की ठानी थी। 27 जून को उनकी फिल्म माँ फिल्म कन्नप्पा के साथ सिनेमाघरों में टकराई हैं।

ये एक ऐसी फिल्म हैं जिसमें एक माँ अपनी बेटी को दैत्य शक्ति से बचाती हुई नज़र आएगी। इस फिल्म की कहानी माँ काली और राक्षस रक्तबीज की पौराणिक कथा से कैसे संबंधित हैं और क्या वीकेंड आप माँ के साथ थिएटर में बिता सकते हैं।

हॉरर फिल्मों का एक ही लक्ष्य होता हैं दर्शकों में भय पैदा करना। शैतान या भूत की गतिविधियों से रोगंटे खड़े हो जाना

एक शक्तिशाली माँ का अपनी बेटी को शैतानी ताकतों से बचाने का माइथोलॉजिकल हॉरर फिल्म माँ का यह आइडिया रोचक हैं, लेकिन केवल कागज़ों पर। इस फिल्म में कल्पना और पौराणिकता के बीच रची कहानी भावनाओं को कहीं भी जगा नहीं पाती। यह फिल्म भय का तनिक भी आभास नहीं कराते हैं।

पश्चिम बंगाल के चंद्रपुर में सेट हैं कहानी- Pashchim Bengal ke Chandrapur mein set hain kahani

इस फिल्म की कहानी पश्चिम बंगाल के चंद्रपुर में सेट हैं। एक नवजात बच्ची की बलि के बाद इस फिल्म की कहानी 40 साल आगे आती हैं। शुभांकर अपनी पत्नी अंबिका और 12 साल की बेटी श्वेता के साथ खुशहाल जीवन बिता रहा हैं। शुभांकर अपने पिता के निधन की खबर मिलने पर गाँव में आ जाता हैं।

Pashchim Bengal ke Chandrapur mein set hain kahani

शैतानी ताकत लौटते समय उसे मार देती हैं। तीन महीने बाद गाँव का सरपंच जायदेव उनकी पैतृक हवेली को बेचने के लिए अंबिका को गाँव बुलाता हैं। अंबिका अपनी बेटी के साथ वहाँ आ जाती हैं। उसे यह पता चलता हैं की यह श्रापित हवेली हैं।

इस हवेली के पीछे खंडहर को लेकर यह मान्यता हैं की वहाँ पर एक पेड़ के पास जाना मना हैं। उस पेड़ में राक्षस रहता हैं। वह राक्षस पहली बार माहवारी आने वाली लड़कियों को उठा लेता हैं। हवेली के नौकर की बेटी दीपिका के साथ श्वेता वहाँ चली जाती हैं। उसके बाद दैत्य दीपिका को उठाकर ले जाता हैं।

अंबिका पुलिस के साथ उसकी खोज़ में लग जाती हैं। इन सब के दौरान कई अजीबोगरीब चीज़ें दिखने लगती हैं। दीपिका वापस आ जाती हैं। अभी दैत्य द्वारा वश में की गई लड़कियाँ श्वेता को ले जाने की कोशिश करती हैं। आखिर क्यों दैत्य श्वेता को अपने साथ ले जाना चाहता हैं? क्या अंबिका उसकी रक्षा कर पाएगी?

जानिए पंचायत 4 फिल्म की कहानी के बारे में।

देवी काली और रक्तबीज के पौराणिक कथा पर आधारित हैं कहानी?- Devi Kali aur raktabeej ke pauranik katha par adharit hain kahani?

सैवयन रिदना क्वाद्रास द्वारा लिखी गई कहानी और स्क्रीन प्ले पौराणिक कहानी देवी काली और रक्तबीज से जुड़ी हुई हैं। देवताओं और राक्षस के युद्ध में रक्तबीज के खून की एक बूंद, धरती पर गिरने से तमाम राक्षस पैदा होते थे।

Devi Kali aur raktabeej ke pauranik katha par adharit hain kahani

इसकी एक बूंद चंद्रपुर गाँव में गिरती हैं, वहीं से राक्षस की उत्पत्ति होती हैं। यह दर्शकों तक गाँव को आंतकित करता हैं। फिल्म में राक्षस और मनुष्य के बीच का कोई भी संघर्ष नहीं हैं, इसलिए रोमांच नहीं हो पाता हैं।

यह भी जानें:- चिड़ियाँ फिल्म की कहानी के बारे में।

छोरियों को बचाने के चक्कर में छोड़ दी कहानी- Chhoriyon ko bachane ke chakkar mein chhod di kahani

छोरी, छोरी 2 जैसी हॉरर फिल्में निर्देशित कर चुके विशाल फुरिया फिल्म माँ में भी छोरियों को ही बचाने की बात कर रहे हैं, लेकिन राक्षस की महत्तवाकांक्षाओं के बीच अंबिका के दीवार बनने की प्रक्रिया को प्रभावशाली बना पाने में नाकाम कर रहे हैं। मध्यांतर से पहले कहानी को स्थापित करने में काफी वक्त लिया गया हैं।

Chhoriyon ko bachane ke chakkar mein chhod di kahani

इस फिल्म का अहम हिस्सा दैत्य हैं, जिसकी उपस्थिति से डर पैदा होना चाहिए, लेकिन उसे देखकर लगता हैं की यह किसी टीवी सीरियल का ही भूत हैं।

उस भूत की ताकत और गतिविधियाँ कहीं से हॉरर की अनुभूति नहीं देती हैं। इस फिल्म का वीएफएक्स भी कमज़ोर हैं। यहाँ पर भी साउंड के जरिए हॉरर पैदा करने का घिसा पिटा प्रयास हैं।

आवश्यक जानकारी:- डिटेक्टिव शेरदिल फिल्म की कहानी के बारे में।

निष्कर्ष- Conclusion

ये हैं माँ फिल्म से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। इस जानकारी से माँ फिल्म से संबंधित हर प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त हो सकती हैं। इस जानकारी से आपको माँ फिल्म की कहानी भी प्राप्त हो सकती हैं।

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