आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं बागी 4 फिल्म के बारे में। अब हम आपसे बागी 4 फिल्म के बारे में बात करें तो हर्षा के निर्देशन में बनी फिल्म बागी 4 सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई हैं। टाइगर श्रॉफ संजय दत्त सोनम बाजवा और हरनाज़ कौर संघू से सजी एक्शन थ्रिलर मूवी को लेकर काफी वक्त से बज बना हुआ था।
साल 2016 में बागी के साथ शुरु हुआ सफर फ्रेंचाइज़ी के जरिए बागी 4 तक पहुँच गया हैं। अभी तक टाइगर श्रॉफ ही अपने कंधों पर इसी फ्रेंचाइज़ी को लेकर चल रहे हैं, जो किसी भी अभिनेता के लिए बड़ी बात हैं क्योंकि फ्रेंचाइज़ी में कलाकार बदलते हैं।
अतीत-वर्तमान के बीच जूझती बागी 4 की कहानी- Ateet-vartman ke beech jujhti baghi 4 ki kahani
इस फिल्म की कहानी शुरु होती हैं रौनी के एक्सीडेंट से। कोमा में कई महीनों तक रहने के बाद वह होश में आ जाता हैं। उसको बस अलीशा ही याद हैं। रौनी के भाई जीतू का कहना हैं की ऐसी कोई लड़की हैं ही नहीं। वह बस उसकी कल्पनाओं में हैं।
धीरे-धीरे परतें खुलती हैं। यह पता चलता हैं की अलीशा वाकई में थी, लेकिन अब वह चाको के कब्जे में हैं। चाको ने उसको क्यों कैद किया हैं, उस पर कहानी अभी अतीत तो कभी वर्तमान में आती रहती हैं।
बागी 4 में दिखा साउथ फिल्मों का रंग- Baghi 4 mein dikha south film ka rang
इस फिल्म की पटकथा और कहानी निर्माता साजिद नाडियावाला ने लिखी हैं। इस निर्देशन की जिम्मेदारी कन्नड़ फिल्मों के निर्देशक ए हर्षा को मिली हैं। यही वजह हैं की फिल्म आवश्यकता से अधिक लाउड हैं।
जब टाइगर और संजय एक-दूसरे से लड़ते हैं तो चिल्लाकर एक-दूसरे की और दौड़ते हैं जो दक्षिण भारतीय फिल्मों के एक्शन का स्टाइल हैं।
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कहानी में लेखक से हो गई ये चूक- Kahani mein lekhak se ho gai ye chook
बागी यानी की विद्रोही लेकिन फिल्म में टाइगर और संजय का पात्र बागी नहीं, बल्कि दिलजले आशिक लगते हैं। अपने प्यार के लिए लड़ते हैं, लेकिन वह प्यार इतना गहरा कब हुआ उसको लेखक सीन में लिखना भूल गए हैं।
रौनी के तो कुछ प्यार भरे सीन भी हैं, लेकिन चाको को अवंतिका से इतना प्यार कब हुआ की वो मरने मारने पर उतर आया समझ नहीं आता हैं।
बागी 4 में एनिमल और पठान की झलक- Baghi 4 mein animal aur pathan ki jhalak
इस फिल्म के कुछ एक्शन सीन जिसमें अकेले टाइगर सौ लोगों को कुल्हाड़ी से मार गिराते हैं या फिर अंत में संजय-टाइगर के बीच का फाइट सीन हो, जिसमें टाइगर अपनी शर्ट फाड़कर बॉडी दिखाते हैं, एनिमल फिल्म की सस्ती कॉपी लगती हैं।
गानों पर एक्शन करने का एक बेंचमार्क एनिमल सेट कर चुकी हैं, उसके बाद ऐसे सीन बस उसकी नकल बनकर रहते हैं। फिल्मकार कहते हैं की एक्शन बिना इमोशन किसी काम का नहीं होता हैं, यह बात फिल्म में अनुभव होती हैं।
पुलिस के होने का कोई भी लॉजिक नहीं हैं। इस फिल्म की विशेष बात यह हैं, उसका प्रोडक्शन वैल्यू, जो बड़ा हैं। इस सीन से लेकर गानों पर किया गया बड़ा खर्च पर्दे पर दिखता हैं।
रजत अरोड़ा के लिखे संवाद दमदार हैं। इस फिल्म का गाना गुजारा… थिएटर से निकलने के बाद भी याद रहता हैं। वहीं ये मेरा हुस्न गाना पठान के हमें तो लूट लिया… की नकल लगता हैं।
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निष्कर्ष- Conclusion
ये हैं बागी 4 से संबंधित जानकारियाँ हम आपसे आशा करते हैं की आपको जरुर पसंद आई होगी। इस जानकारी से आपको बागी 4 की कहानी से संबंधित हर प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त होंगी।
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